जी हां दोस्तो उत्तराखंड के धराली में आपदा आई, चली गई लेकिन सवाल आज भी वहीं के वहीं है। धराली में 147 लोग मलबे में एक भी नहीं निकाल पाए ऐसा कैसे हो गया। अब सरकार में राज्यमंत्री ने भई धराली आपदा पर अपनी सरकार से कर डाला है बड़ा सवाल। जी हां दोस्तो मौका तो था विश्व आपदा प्रबंधन समिट का, यहां कर्नल अजय कोठियाल ने धराली त्रासदी को लेकर ऐसा बयान दिया जिसने पूरे आपदा प्रबंधन ढांचे को झकझोर कर रख दिया। उनका दर्द, उनका गुस्सा और उनका सवाल तीनों ही सीधे-सीधे सिस्टम की नाकामी पर निशाना साधते दिखे। कर्नल कोठियाल ने मंच से ये कहते हुए पूरा माहौल गंभीर कर दिया कि धराली में 147 लोग मलबे में दबे पड़े है और हम एक को भी नहीं निकाल पाए, हमारा आधुनिक आपदा प्रबंधन तंत्र एक भी व्यक्ति को नहीं निकाल पाया। ये सोचने वाली बात है, वैसे आपको अब तक ये बताया जाता रहा होगा कि काम चल रहा है, लोगों को खोजा जा रहा है लेकिन कर्नल कोठियाल का एक बयान उन सभी सरकारी दावों की पोल खोलने को काफी कि 147 लोग दबे हैं और हमारा तंत्र एक को भी उस मलबे से बाहर नहीं निकाल पाया। इतना ही नहीं कर्नल कोठियाल यहीं नहीं रुके उन्होंने सेना की तारीफ़ करते हुए कहा कि सेना ने अपने 7 जवानों को निकाल लिया पर बाकी 147 लोगों को हमने ऐसे ही छोड़ दिया। क्या यही हमारी तैयारी है? क्या यही हमारा तंत्र है? दोस्तो कर्नल का अगला सवाल और भी तीखा था कि आपदा प्रबंधन विभाग धराली में कैंप क्यों नहीं कर रहा? वैज्ञानिक संस्थान मौके पर क्यों नहीं हैं? इतनी बड़ी घटना के बाद भी तकनीकी समर्थन नदारद क्यों? उन्होंने आरोप लगाया कि जो टीमें वैज्ञानिक आधार पर काम कर सकती थीं, वे मैदान में दिखीं ही नहीं।
दोस्तो अपने बयान को और कड़ा करते हुए कर्नल कोठियाल ने कहा कि एनडीआरएफ जैसे विशेष प्रशिक्षित बल से लेबर का काम करवाया गया! उन्हें वहीं की मिट्टी हटाने में लगा दिया, जबकि जिन वैज्ञानिक और तकनीकी टीमों की असल ज़रूरत थी, वे मौके पर पहुँची ही नहीं कोठियाल की ये टिप्पणी सीधे तौर पर आपदा प्रबंधन एजेंसियों की तैयारी और नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़ा करती है। दोस्तो कर्नल कोठियाल का अंतिम बयान सबसे चेतावनी भरा था उन्होंने कहा कि अगर हम अपने ही लोगों को नहीं बचा पा रहे, तो चीन से कैसे टक्कर लेंगे? चीन हिमालय की तरफ बढ़ रहा है और हम पीछे जा रहे हैं। दोस्तो अब इस बयान ने न केवल राज्य और केंद्र सरकार के आपदा प्रबंधन तंत्र पर सवाल खड़े किए बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े बड़े मुद्दों पर भी ध्यान खींचा है, तो धराली आपदा पर कर्नल अजय कोठियाल का बड़ा खुलासा: “सरकार दावे कर रही, सच जमीन पर कुछ और है” कर्नल अजय कोठियाल ने आखिरकार बोल ही दी सच्चाई। देशभक्ति देश का रक्षक कभी झूठ नहीं बोलता, कर्नल कोठियाल से हमेशा से जनता यही अपेक्षा करती भी रही। देहरादून: विश्व आपदा प्रबंधन समिट में पूर्व सैन्य अधिकारी और केदारनाथ पुनर्निर्माण से जुड़े कर्नल अजय कोठियाल ने धराली आपदा पर बड़ा और गंभीर दावा करते हुए राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है। कोठियाल ने कहा है कि धराली में 50 नहीं बल्कि 147 लोग अब भी मलबे में दबे हुए हैं और वास्तविक स्थिति सरकार के आधिकारिक दावों से बिल्कुल अलग है। सेना ने निकाले 7 शव, लेकिन राज्य सरकार अब तक खाली हाथ कर्नल कोठियाल के अनुसार सेना ने 9 में से 7 जवानों के शव खोज निकाले, जबकि राज्य सरकार अब तक एक भी शव निकालने में सफल नहीं हुई। उन्होंने राहत और बचाव कार्यों की गति पर गंभीर सवाल उठाए। “वाइब्रेंट विलेज खतरे में, लेकिन सरकार बेपरवाह” उन्होंने कहा कि चीन सीमा से सटे धराली और आसपास के वाइब्रेंट विलेज लगातार खतरे में हैं, फिर भी इन क्षेत्रों को “अपने हाल पर छोड़ दिया गया है।” स्थानीय लोगों में सरकार की निष्क्रियता को लेकर गहरी नाराज़गी है।
धराली इंतज़ार में—राहत की, पुनर्निर्माण की, और सचमुच जिम्मेदार कार्रवाई की कर्नल कोठियाल की टिप्पणियों ने आपदा प्रबंधन और सरकारी तैयारियों पर एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। वहीं धराली अब भी राहत, सुरक्षा और ठोस पुनर्निर्माण कार्यों का इंतज़ार कर रहा है, तो इधर जब सरकार का नुमाइनदा ही सवाल कर रहा हो तो फिर विपक्ष कहा पीछे रहने वाला। कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी सरकार को आड़े हाथ लेने कतई देर नहीं की। और हां यहां एक और बात गौर करने वाली है धराली में मलबे में दबे लोगों की संख्या सरकारी तौर पर 50 के करीब ही बताई गई, लेकिन कोठियाल के मुताबिक 147 ये आकड़ा है, तो क्या आप जनता के सामने अब तक झूठ परोसा जा रहा था। यहां दोस्तो आपको बता दूं कि बीजेपी नेता कर्नल अजय कोठियाल को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ी जिम्मेदारी थी। सीएम धामी ने धराली आपदा के बाद पूरी गंगोत्री घाटी में पुनर्स्थापना की जिम्मेदारी कर्नल अजय कोठियाल को सौंपी। कर्नल अजय कोठियाल केदारनाथ आपदा के बाद पुनर्निर्माण कार्यों को लेकर चर्चा में आये थे। एक बार फिर उनको धराली के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन पुनिर्निर्माण तो दूर की बात कोठियाल ने आपदा प्रबंधन तंत्र पर तीखे सवाल के साथ अपनी ही सरकार को राहत के नाम पर कठघरे में खड़ा कर दिया है।