उत्तराखंड में एक फौजी के डेढ़ साल के बेटे शुभांशु जोशी की मौत ने स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। जम्मू-कश्मीर में तैनात सैनिक दिनेश चंद्र के बेटे की तबीयत बिगड़ने पर मां उसे ग्वालदम अस्पताल ले गई, लेकिन इलाज न मिलने पर उसे बैजनाथ, बागेश्वर और फिर हल्द्वानी रेफर किया गया। Bageshwar Soldier Son Death चार घंटे में पांच अस्पतालों ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा। 108 एंबुलेंस के लिए एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा। आखिरकार डीएम के हस्तक्षेप पर रात 9:30 बजे एंबुलेंस मिली, लेकिन अल्मोड़ा से हल्द्वानी ले जाते समय हिमांशु की मौत हो गई। बेटे के अंतिम संस्कार के बाद दिनेश ने सोशल मीडिया पर एक मार्मिक वीडियो साझा किया। इसमें कहा कि बागेश्वर में जब परिजनों ने 108 एंबुलेंस के लिए कॉल किया तो सिर्फ आश्वासन मिला। एक घंटा बीत गया। बच्चा तड़प रहा था और एंबुलेंस का कोई पता नहीं था। आखिरकार उन्होंने खुद डीएम को फोन कर मदद मांगी। उनके आदेश पर रात साढ़े नौ बजे एंबुलेंस मिली।
बच्चे को अल्मोड़ा ले जाया गया लेकिन वहां से हल्द्वानी रेफर कर दिया गया। बच्चे को हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बागेश्वर में डेढ़ साल के बच्चे की मौत मामले में कुमाऊं कमिश्नर को जांच के आदेश दिए हैं। कहा, जांच में लापरवाही पाई जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सीएम ने कहा, बागेश्वर में बच्चे की चिकित्सा सुविधा में लापरवाही से मौत का मामला दुर्भाग्यपूर्ण व पीड़ादायक है। अब तक सूचना प्राप्त सूचना में प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि कतिपय स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरती है। इस संवेदनशील प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए कुमाऊं आयुक्त को तत्काल जांच के आदेश दिए गए। इस मामले में यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही या उदासीनता पाई जाती है तो दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। जनता के विश्वास और जीवन की रक्षा में कोई कोताही सहन नहीं की जाएगी।