‘ऑपरेशन कालनेमि’से हुआ बड़ा खुलासा! | Operation Kalanemi| Uttarakhand News

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वैले दोस्तो खेल करने वाले कहीं भी खेल कर सकते हैं, योजना फिर प्रदेश सरकार की हो या केंद्र की सरकार की योजना, हर जगह कुछ भ्रष्ट किस्म के लोग अपना असली चेहरा तो दिखा ही देते हैं, लेकिन कहते हैं पाप का अंत एक दिन जरूर होता है। Operation Kalanemi In Uttarakhand ऐसा एक मामला जो अपनी देवभूमि में खूब फला फूला, बड़ा खेला होता रहा। केन्द्र की योजना में पैसा लूटा गया, लेकिन अब जब जांच हुई। और ऐसे लोगों पर रिकवरी की तलवार लटक रही है तो हाथ-पांव फूले हुएं हैं। जी हां दोस्तो देवभूमि में फिर एक बड़ा खेल सामने आया है, केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना में ऐसा मोड़ आया कि सभी की नींद उड़ी और अब, रिकवरी की कार्रवाई ने पैदा कर दी नए स्तर की टेंशन। देखिए कैसे इस योजना में हुआ अचानक खुलासा और क्यों सबकी निगाहें अब इसी पर टिकी हैं। दोस्तो उत्तराखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चिह्नित पात्रों द्वारा मिली सरकारी मदद को लेकर बड़ी लापरवाही सामने आई है। कई ऐसे लाभार्थी हैं जिन्होंने योजना के तहत आवास का लाभ तो प्राप्त किया, लेकिन न तो आवास निर्माण पूरा किया, और न ही उसे सही ढंग से पूरा कराया।

वहीं, कुछ मामलों में तो आवास तो बने, लेकिन उसमें खिड़कियां, दरवाजे और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं ही नहीं हैं। दोस्तो इस गंभीर स्थिति को देखते हुए शहरी विकास निदेशालय ने ऐसे सभी लाभार्थियों से सरकारी धन की रिकवरी की तैयारी शुरू कर दी है। निदेशालय ने सभी नगर निकायों के अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और चेतावनी दी है कि समय पर रिपोर्ट न देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। दोस्तो हरिद्वार जिले की बात करें तो यहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुल 8,120 आवासों को स्वीकृत किया गया था। निर्माण के लिए समय-समय पर धनराशि की किश्त जारी की गई। इसके चलते जिले में अब तक 3,772 आवास पूरे हो चुके हैं, और इनमें लोग रहने भी लगे हैं। इन आवासों की जानकारी उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट के रूप में भेज दी गई है, लेकिन देखिए आगे हुआ क्या …कैसे इस मामले में नया खुलासा हुआ। कैसे पीएम आवास योजना को कमाई का जरिया कुछ लोगों ने बना दिया, वो बताता हूं। जांच के दौरान यह सामने आया कि 4,348 आवास अभी तक अधूरे हैं। इन आवासों के लिए जारी की गई धनराशि का सही उपयोग प्रमाणित नहीं किया गया है। कुछ आवासों में खिड़कियां और दरवाजे तक नहीं लगे, वहीं कुछ में शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं का निर्माण ही नहीं हुआ। दोस्तो शहरी विकास विभाग के निदेशक विनोद गिरी गोस्वामी ने बताया कि सभी नगर निकायों से रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत निदेशालय ऐसे लाभार्थियों को सूची से बाहर कर उनके द्वारा लिए गए धन की रिकवरी प्रक्रिया शुरू करेगा।

इसके साथ ही अधिकारियों को चेतावनी दी गई है कि जो रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत नहीं करेंगे, उनके वेतन पर भी रोक लगाई जा सकती है। दोस्तो अधिकारियों और लाभार्थियों की यह लापरवाही न केवल योजना की सफलता पर प्रश्न उठाती है, बल्कि इसका असर सीधे जनता पर भी पड़ता है। योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद परिवारों को पक्का आवास मुहैया कराना है, ताकि उनकी जीवनशैली बेहतर हो और उन्हें सुरक्षा मिले। लेकिन अधूरे निर्माण और धन के दुरुपयोग से न केवल सरकार की योजनाओं की विश्वसनीयता को ठेस पहुंच रही है, बल्कि जनता का विश्वास भी कम हो रहा है दोस्तो निदेशालय की चेतावनी स्पष्ट है: अब कोई भी लाभार्थी या अधिकारी यदि समय पर अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करेगा, तो उनके खिलाफ कानूनी और वित्तीय कार्रवाई की जाएगी। इसका मकसद साफ है – प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले सरकारी धन का सही और पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित करना, इस कार्रवाई से उम्मीद की जा रही है कि शेष अधूरे आवास जल्द पूर्ण होंगे, और योजना के तहत मिलने वाले लाभ सीधे उन परिवारों तक पहुंचेगे, जो वास्तव में इसके पात्र हैं। शहरी विकास विभाग का यह कदम बताता है कि सरकार योजना की सफलता और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेग। देखा जाए तो प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद परिवारों को सुरक्षित और पक्का घर मुहैया कराना है। लेकिन लापरवाही और अधूरे निर्माण ने इस लक्ष्य को खतरे में डाल दिया है। अब शहरी विकास निदेशालय की सख्त कार्रवाई और रिकवरी अभियान यह सुनिश्चित करेगी कि धन का सही उपयोग हो और अधूरे आवास जल्द पूरा किए जाएँ। यानी, योजना की सफलता और जनता का विश्वास अब सीधे कार्रवाई और पारदर्शिता पर निर्भर करेगा।