उत्तराखंड में आ गया पंचायत चुनाव का फाइनल रिजल्, लेकिन कौन बना नंबर -1? इधर शुरू हो गई एक और सियासी जंग। जो नम्बर में आपको बताने जा रहा हूं। वो कोई नहीं बताएगा आपको, क्योंकि असल मेरे आकड़ों को देखेगें तो बता चलेगा कि ना बीजेपी और ना कांग्रेस। सब फेल हो गए। तो वो फिर किंग मेकर कौन है। सब बताउंगा आपको, Panchayat Election Final Result उत्तराखंड पंचायत चुनाव का फाइनल रिजल्ट आ चुका है, जिसके बाद पंचायत चुनाव की तस्वीर पूरी तरह साफ हो चुकी है। बीजेपी की झोली में ही सबसे ज्यादा सीटें आई हैं। वहीं कांग्रेस ने भी पंचायत चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है। इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवारों को भी जनता ने बंपर सीटें दी हैं। क्या सच ये ही है, या फिर और कुछ मामला है। अगर ये ही मामला तो आंकड़े भी तो होने चाहिए। जिससे ये पता चलेगा कि कौन कितने पानी में है। दोस्तो राज्य निर्वाचन आयोग से मिले आंकड़ों पर गौर करें तो बीजेपी ने कुल 122 सीटें जीती हैं। वहीं कांग्रेस के 80 प्रत्याशी जनता का विश्वास जीतने में कामयाब रहे हैं। अब बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही दल निर्दलीयों की तरफ टकटकी लगाए देख रहे हैं। जी हां दोस्तो वो किंग मेकर। जिनको साथ लिए बिना आप आगे नहीं बढ़ सकते हैं। दगड़ियो देखा जाए तो बीजेपी ने जिला पंचायत सदस्य के लिए 315 समर्थित उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। वहीं कांग्रेस के 198 अधिकृत समर्थित प्रत्याशी थे। इसके अलावा कांग्रेस ने 32 अन्य प्रत्याशियों को अपना समर्थन दिया था। अब बीजेपी कह रही है कि उन्होंने जिला पंचायत सदस्य की 122 नहीं, बल्कि 216 सीटें जीती हैं।
दरअसल, जो प्रत्याशी बीजेपी से बागी होकर चुनाव लड़े थे, अब बीजेपी उन्हें भी दोबारा से अपने पाले में लाने में लगी हुई है। बीजेपी कह रही है कि सभी रूठे हुए उम्मीदवार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विचारधारा और विकास के साथ आगे बढ़ेंगे। आने वाले कुछ दिनों में यह पिक्चर पूरी तरह से साफ हो जाएगी। अब बात कांग्रेस की करता हूं, लेकिन आपको बता दूं कि आप अंत तक मेरे साथ जरूर बने रहें क्योंकि मैं आपको एक एक आकंड़ा दिखाउंगा। जो सच की तस्दीक करेगा। कि किस सीट पर कौन है दमदार। दोस्तो कांग्रेस भी बीजेपी वाली थ्योरी पर काम कर रही है। कांग्रेस का भी यही कहना है कि उन्हें जिला पंचायत सदस्य की 80 नहीं, बल्कि 160 सीटें मिली हैं। कांग्रेस का मानना है कि कई ऐसे निर्दलीय उम्मीदवार हैं, जो उनकी पार्टी की संपर्क में हैं, वो कांग्रेस की विचारधारा से ताल्लुक रखते हैं। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी सरकार ने भले ही पंचायत चुनाव में जीत के लिए हर हथकंडा अपनाया हो, लेकिन कांग्रेस ने शुद्ध रूप से विचारधारा और बीजेपी के झूठ को पर्दाफाश करके जनता के दिल में जगह बनाई है। दोस्तो यहां छोड़ दीजिए बीजेपी कांग्रेस क्या कह रही है। यहां ना बीजेपी और ना ही कांग्रेस मजबूत है। यहां जो मजबूत भूमिका में हैं वो हैं निर्दलीय। जनता इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों खबू दिल लूटाया है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां इसलिए भी निर्दलीय उम्मीदवारों की तरफ देख रही हैं, क्योंकि पूरे प्रदेश में 152 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराया है। कहां कितने निर्दलीय जीते ये दिखाता हूं। समझिएगा इनकी ताकत क्या कह रह रही।
गढ़वाल, रुद्रप्रयाग में 14 निर्दलीय जीते हैं। देहरादून में 10 निर्दलीय जीत कर आए हैं। टिहरी गढ़वाल में 18 निर्दलीयों ने जीत का झंडा बुलंद किया। उत्तरकाशी में 21 निर्दलीयों ने जीतकर दोनों ही पार्टियों की नींद उड़ा रखी है। पौड़ी गढ़वाल जिले में 24 निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं। कुमाऊं, अल्मोड़ा जिले में 18 निर्दलीय उम्मीदवार जीते। नैनीताल में भी 18 निर्दलीय प्रत्याशियों ने बाजी मारी.पिथौरागढ़ में 11 निर्दलीयों ने अपनी जीत दर्ज कराई। बागेश्वर में चार और चंपावत में तीन निर्दलीय जीते हैं। उधम सिंह नगर में 11 निर्दली जीतकर आए। ये आकंड़े बताने के लिए काफ हैं। कि निर्दलीयों ने इस खेला किया है। अब बीजेपी के जिलेवार आंकड़े बताने जा रहा हूं, वो भी देखिए। पौड़ी जिले में बीजेपी समर्थितों ने 14 सीटें जीती हैं। इसी तरह चमोली में सात जिलों पर बीजेपी ने अपना परचम लहराया है। देहरादून में बीजेपी आठ तो टिहरी में 13 सीटों पर जीती है। वहीं उत्तरकाशी में सात और रुद्रप्रयाग में पांच सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों ने अपना कब्जा जमाया है। इस तरह कुमाऊं मंडल के जिलों की बात करें तो बीजेपी के नैनीताल में सात, अल्मोड़ा में 13, पिथौरागढ़ में 14, चंपावत में 11, बागेश्वर में 9 और नैनीताल में सात प्रत्याशी जीते हैं। उधम सिंह नगर जिले में भी बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
बीजेपी ने यहां 12 सीटें जीती हैं। कांग्रेस की जिलेवार परफॉर्मेंस: कांग्रेस ने नैनीताल में जहां दो सीटें जीती हैं, तो वहीं उधम सिंह नगर में 12, पिथौरागढ़ में सात, बागेश्वर में 6, चंपावत में एक और अल्मोड़ा में 14 सीटें जीती हैं। वहीं गढ़वाल रीजन की बात करें तो कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए चमोली में चार सीटों पर जीत दर्ज की है। देहरादून में 12, टिहरी गढ़वाल में 14, रुद्रप्रयाग में दो और पौड़ी में 10 सीटों पर जीत दर्ज की है। दोस्तो उत्तराखंड पंचायत चुनाव में जनता ने कई दिग्गजों को भी आईना दिखाया है। नैनीताल से बीजेपी विधायक सरिता आर्या और लैंसडाउन से बीजेपी विधायक दलीप रावत जैसे दिग्गज नेताओं के रिश्तेदार भी चुनाव हार गए हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सहित कई मंत्री तो अपने बूथ पर भी बीजेपी को जीत नहीं दिला पाए। वहीं, बात अगर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विधानसभा क्षेत्र या प्रभारी जनपद की करें तो वहां पर बीजेपी को बड़ी जीत मिली है. उधम सिंह नगर में बीजेपी ने 12 सीट जीती हैं। अपने गृह क्षेत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगभग सभी सीटों पर जीत दर्ज करवाने में कामयाब रहे हैं। दोस्तो अब आगे की लड़ाई है ब्लॉक प्रमुख और जिला अध्यक्षों के लिए इनके लिए बीजेपी-काग्रेस के पास जो भी आकंड़े हों लेकिन ये निर्दलीय हैं किंग मेकर इनके बिना। आप कुर्सी पर कब्जा कर रही नही सकते। जिधर होगा इन निर्दलियाों का दबदबा वहीं होगी ताजपोशी हालांकि अभी आरक्षण वाले मसले पर पेच पंसता दिखाई दे रहा है।