उत्तराखंड में बेटे के सामने छीन ली बाप की सांसे…देखने वालों का कांप उठा कलेजा, ये भयानक दृष्य आपको हिला देगा। दगडियो उत्तराखंड के चमोली ज़िले में हुई थराली आपदा ने जो मंजर दिखाया, वो शायद ही कोई कभी भूल पाएगा। Cloudburst in Tharali तेज बारिश, भूस्खलन, उफनती धाराएं और सब कुछ बहा ले जाने वाला मलबा, लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा दृश्य सामने आया, जिसने इंसानियत को झकझोर दिया, हर किसी को हिला दिया। दोस्तो ये कोई खबर नहीं, यह एक बेटे की आँखों में जिंदा जलती वो तस्वीर है, जिसमें उसका पिता उसकी आँखों के सामने जिंदगी से हार गया – और वो कुछ नहीं कर सका, एक बेटा पुकारता रहा। सैलाब पिता को निगलता गया। थराली के एक गांव में पिता-पुत्र मलबा हटाने में लगे थे। गाँव में बारिश लगातार कहर बनकर बरस रही थी। अचानक पहाड़ से मलबे का सैलाब आया और पिता को अपनी चपेट में ले गया। दोस्तो बेटा चीखता रहा, दौड़ता रहा, लेकिन तेज बहाव ने पिता को पल भर में ओझल कर दिया। पापा रुक जाओ ये चीख वहाँ मौजूद हर किसी ने सुनी, लेकिन कोई कुछ नहीं कर सका। सब पत्थर की तरह खड़े रहे — और देखते-देखते एक ज़िंदगी मलबे में समा गई। दोस्तो जो लोग उस क्षण वहाँ मौजूद थे, उस दृश्य को याद कर काँप उठते हैं। एक लोग बताते हैं कि हमने पहली बार किसी बेटे को अपने बाप को यूँ जाते देखा और वो कुछ नहीं कर पाया। हमारी रूह कांप गई गांव की गलियों में आज सन्नाटा है, और हर चेहरा नम।
आपदा तो हर साल आती है, लेकिन इस बार वह एक बेटे की पूरी दुनिया लील गई। इस आपदा में चेपडों गांव का पूरा बाजार तबाह हो गया। कई आपदा पीड़ितों में अपनी दुख भरी कहानी बताई। कैसे व्यापारियों के सामने उनकी दुकानों का नामोनिशान मिट गया। वहीं एक व्यापारी ने बताया कि आधी रात उनकी आंखों के सामने उनके पिता पानी के तेज बहाव में बह गए और वो उन्हें बचा भी नहीं पाए। इलाके में आपदा के बाद हालात इतने खराब हैं कि प्रशासन की टीम भी ग्राउंड जीरो पर नहीं पहुंचा पा रही है। ग्रामीणों को रात 11 बजे आया था कॉल कि बादल फट गया है। इसीलिए आप जल्दी से अपनी गाड़ियां और दुकानों का सामान समय से हटा लो.कॉल आने के बाद वो तुरंत दुकान पहुंचे और वहां से अपनी गाड़ियां व दुकान से कुछ पेपर अपने साथ लिए कि पीछे-पीछे उनके पिता भी दुकान आ गए थे। देवी जोशी कहते हैं कि उन्होंने अपने पिता को आने से मना किया था, लेकिन वो नहीं माने और जबरदस्ती दुकान पर आ गए। देवी जोशी का कहना है कि गाड़ियों और दुकानों का सामान हटाया तो सब कुछ सही था, लेकिन जब वो ऊपर की तरफ आने लगे तो रात करीब 12 बजे दोबारा से बादल फटा और उसमें सब कुछ तहस-नहस हो गया और मेरे पिता भी उस आपदा की भेंट चढ़ गए। अब एक व्यपारी बेटा पुलिस-प्रशासन ने मदद मांगते हुए कहा कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को भेजा जाए, ताकि उनके पिता को ढूंढा जा सके। हम अपने पिता के बिना अनाथ हो गए।
यदि उनका शव भी मिल जाए तो उन्हें तभी संतुष्टि हो जाएगी। इधर प्रशासन की ओर से राहत और बचाव का दावा किया जा रहा है, लेकिन प्राकृतिक आपदा से पहले की तैयारियों की कमी बार-बार जानें ले रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में अलर्ट सिस्टम, मजबूत ढांचे और तत्काल राहत साधनों की कमी का नतीजा एक बार फिर सामने है – और कीमत चुकानी पड़ी एक परिवार को, एक बेटे को। दगड़ियों व्यापारी ने बताते है कि आपदा के समय यहां पर करीब 60 आदमी थे, जिसमें से एक बुजुर्ग व्यापारी का कुछ पता नहीं चल पा रहा है। वहीं एक अन्य व्यापारी ने बताया कि रात को करीब 12.30 इतना बड़ा सैलाब आया कि उन्हें दुकान से पैसे उठाने का समय भी नहीं मिला। मेरे ताऊ जी मलबे में दब गए हैं. कई लोगों को चोटें भी आई हैं. हम लोग भी मरते-मरते बचे हैं। चेपडों गांव का पूरा बाजार खत्म हो गया है। दोस्तो जैसे मेने अपने पहले वाले वीडियो में इस थराली आपदा पर पूरी और कई जानकारियां दी हैं, लेकिन ये सच है कि सैलाब ने न सिर्फ चेपडों गांव के बाजार को बर्बाद किया है, थराली के मुख्य बाजार को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। थराली के मुख्य बाजार में कई दुकानों तबाह हो गई हैं। थराली से चेपडों गांव की दूरी करीब पांच किमी है, लेकिन सड़कों की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि प्रशासन की टीम का वहां पहुंचना भी मुश्किल हो रहा है. जगह-जगह सड़कें बंद पड़ी हुई हैं। यह कहानी सिर्फ एक बाप-बेटे की नहीं है। यह हर उस इंसान की है जो पहाड़ में आपदा के समय अकेला पड़ जाता है। यह उस तंत्र पर सवाल है, जो हर साल ‘दुखद घटना’ कहकर आगे बढ़ जाता है, लेकिन वो बेटा?वो शायद पूरी ज़िंदगी हर बारिश में वही दृश्य देखेगा।हर चीख में अपने “पापा” को पुकारेगा।और हर ख़ामोशी में उस दिन की चुप्पी को महसूस करेगा।