धराली में चौतरफा पसरे मलबे में जिंदगी के निशान खोजने में एनडीआरएफ और सेना की टीम युद्धस्तर पर जुटी है। Dharali Search Operation जिस तरह आपदाग्रस्त क्षेत्र में बड़े बड़े होटल, होस्ट हाउस, होमस्टे और अन्य भवन जलप्रलय के साथ आए मलबे में जमींदोज हुए हैं, उसे देखते हुए मलबे में जिंदगी के निशान खोजने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। एनडीआरएफ द्वारा इस्तेमाल की जा रही ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से मिली जानकारी के अनुसार मलबे के आठ से दस फीट नीचे होटल और लोगों के दबे होने की संभावना है। जीपीआर तकनीक इलेक्ट्रिकल डिटेक्टर के जरिए करीब 40 मीटर तक दबे तत्वों का पता लगा सकती है। इस तकनीक से मिले संकेतों के आधार पर मलबे में कई स्थानों पर खुदाई हो रही है।
एनडीआरएफ के असिस्टेंट कमांडेंट आरएस धपोला ने बताया कि इसकी मदद से जो तस्वीरें सामने आई हैं, उससे यह जानकारी मिली है कि धराली में आपदा प्रभावित क्षेत्र में करीब आठ से 10 फीट नीचे होटल और लोग दबे हुए हैं। कुछ स्थानों पर जीपीआर से मिले संकेतों पर खुदाई की जा रही है। इसमें मंगलवार को दो खच्चरों और एक गाय के शव मिले हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्र को चार सेक्टर में बांट कर मलबे में दबे लोगों की तलाश की जा रही है। इसमें दो सेक्टर में एनडीआरएफ और दो में एसडीआरएफ की ओर से कार्य किया जा रहा है। वहीं, शासन ने आपदा के कारणों के अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की जो टीमें बनाई थीं, वह भी पहुंच गई हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, आर्मी ने भी खोजबीन, रेस्क्यू अभियान चलाया। कई जगह मैन्युअली खोदाई भी की गई।