Pitru Paksha 2024: आज से शुरू हो रहे हैं श्राद्ध पक्ष, जानें क्या करें, क्या न करें

पितृ पक्षों में अपने पूर्वजों पितरों का श्राद्ध करना बेहद ही जरूरी बताया गया है। यदि उनका श्राद्ध शास्त्रों में बताई गई तिथि पर नहीं किया जाता तो पितरों को शांति नहीं मिलती और वह प्रेत योनि में भटकते रहते हैं।

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इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत मंगलवार से हो रही है, जबकि समापन दो अक्टूबर को होगा। माना जाता है कि इस दौरान पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। Pitru Paksha Tarpan Vidhi अब 16 दिन तक पूर्वजों को तर्पण का सिलसिला चलेगा। धार्मिक मान्यताओं में तो यहां तक कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपने पितरों को भूल जाता है और श्राद्ध पक्ष में उनका दर्पण और पिंडदान नहीं करता, उससे उनके पितर रुष्ठ हो जाते हैं। ऐसे रूष्ठ पितरों को मानने के लिए धरती पर तीन स्थान बताए गए हैं, जिसमें से दो स्थान उत्तराखंड के हरिद्वार का नारायणी शिला और चमोली जिले में बदरीनाथ धाम है। वहीं एक स्थान बिहार का गया जी हैं। पुराणों में बताया गया है कि जब सूर्य कन्या राशि में आता है, तब श्राद्ध पक्ष शुरू होते हैं। इस ग्रह योग में पितृलोक पृथ्वी के सबसे करीब होता है। यह ग्रह योग आश्विन कृष्ण पक्ष में बनाता है।

पितृ पक्ष में लोहे से बने बर्तनों का कभी भी दान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा आप चाहें तो पीतल, सोने और चांदी के बर्तनों का दान कर सकते हैं। पितृ पक्ष में चमड़े से बनी चीजों या वस्तुएं का इस्तेमाल निषेध हैं। माना जाता है कि पितृ पक्ष में चमड़े का प्रयोग बहुत अशुभ होता है। इसके अलावा, पितृ पक्ष में पुराने कपड़े भी दान में देना अच्छा नहीं माना जाता है। पितृ पक्ष में हमेशा ब्राह्मणों को नए वस्त्र ही दान करने चाहिए। हिंदू पूजा और सभी अनुष्ठानों में काले रंग का इस्तेमाल करना निषेध होता है, साथ ही अशुभ भी होता है। इसलिए, पितृ पक्ष में काले रंग के वस्त्र या कंबल दान करने से बचें। हिंदू धर्म में मनुष्य पर तीन ऋण बताए गए हैं, जिसमें पहला देव ऋण, दूसरा ऋषिऋण और तीसरा पितृऋण। पितृऋण से मुक्ति पाने के लिए ही श्राद्ध किया जाता हैं। श्राद्ध, पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का एक अनुष्ठान है। माना जाता है कि जो लोग पितृपक्ष में पितरों का तर्पण नहीं करते है, उन्हें पितृ दोष लगता है।