उत्तराखंड में मंदिर से सोना चोरी के आरोपों के बीच सियासी संग्राम | Uttarakhand News | Kedarnath

Share

जी हां दोस्तो केदारनाथ मंदिर से सोना चोरी होने का क्या है सच, ये सवाल तब से लेकर अब तक बरकरार है जब से ये मामला हम सबके सामने आया है। इस मामले जांच हुई लेकिन अब उस जांच पर ही सवाल उठने लगे हैं, तो क्या सही में केदारनाथ मंदिर से सोना चोरी हो गया। इस होती सियासत दिखाने के लिए आया हूं दोस्तो। दोस्तो केदारनाथ धाम में सोना चोरी का विवाद अब राजनीति के गर्मागर्म मुद्दे में तब्दील हो गया है। गढ़वाल कमिश्नर की जांच को लेकर कांग्रेस ने उठाया है बड़ा सवाल, और मांग की है न्यायिक जांच कराने की। इधर जहां जांच पूरी होने का दावा किया जा रहा है, वहीं कांग्रेस का मानना है कि इस मामले में पारदर्शिता और न्याय नहीं मिल पा रहा। सवाल उठ रहे हैं — क्या इस विवाद का समाधान न्यायिक प्रक्रिया के बिना संभव है? आज की खास रिपोर्ट में मै आपको बताउंग कि कैसे मंदिर से सोना चोरी की एक खबर राजनीतिक मैदान में बदल दिया है, और क्यों कांग्रेस इस मामले में पूरी जांच की मांग कर रही है। दोस्तो ये खबर जब निकल कर आई की बाबा केदार के दर से सैकड़ों किलो सोना गायब है तो हड़कंप पूरे देश में देखने को मिला।

अब आपको पहले इस मामले को बताता हूं कि कैसे ये मामला सामने आया। केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सितंबर 2022 में स्वर्ण मंडित किया गया था, जिसमें सोने की जगह तांबे की प्लेटों के इस्तेमाल का आरोप लगा। तीर्थ पुरोहित ने 1.5 अरब रुपये के घोटाले का दावा किया। इतना भर नहीं था इस मामले आज जहां सियासी शोर सुनाई दे रहा है वहां और बहुत कुछ हुआ इस बीच दूसरी तस्वीर देखिए। जून 2024 में, ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह कहते हुए हंगामा मचा दिया कि मंदिर से 228 किलो सोना गायब है और अब तक कोई जांच नहीं हुई है। उन्होंने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि सोने के बजाय तांबे की प्लेटें लगाई गई हैं। दोस्तो इस पूरे माले को समझिएगा, पहुले 2022 फिर 2024 उसके बाद क्या हुआ। दोस्तो अब इस मामले में मानहानी का दावा किया जाएगा, करिए किसने किसको रोका है, लेकिन इमले में सरकार और समिति की सफाई क्या आई थी, वो बता देता हूं। दोस्तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित राज्य सरकार ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के आरोपों का खंडन किया। मंदिर समिति ने भी इसे खारिज कर दिया।

इतना ही नहीं मामले की जांच के लिए गढ़वाल आयुक्त की अध्यक्षता में एक जांच टीम गठित की गई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट में मंदिर समिति को क्लीन चिट दे दी। रिपोर्ट के अनुसार, सोने के बजाय तांबे का उपयोग किया गया था और सोना खरीदा नहीं गया था, बल्कि दानदाताओं ने सहयोग किया था। दोस्तो गढ़वाल कमिशनर ने बीकेटीसी को क्लीन चिट भी दे दी है बावजूद उसके कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ओर बीकेटीसी के अध्यक्ष रहे गणेश गोदियाल बार बार बीकेटीसी पर सवाल खड़े कर रहे है। गोदियाल ने बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष पर सवाल खड़े किये है, उन्होंने कहा की अजय अजेंद्र इसका जवाब दें उनको बताना चाहिए की जो ये 230 किलो सोना घोटाले का प्रकरण है वह समाचारों में किसने प्रेषित करवाया साथ ही समाचारों में बीकेटीसी को किसी दानी के द्वारा यह सोना दान देने वाली बात करने पर उनके द्वारा कुछ नही कहा गया। वही गोदियाल के सवालों पर पलटवार करते हुए बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष अजय अजेंद्र ने कहा की पहले से ही मीडिया के सामने सभी बातों को रखा जा चुका है, वहीं गणेश गोदियाल के दिमाग़ में बार बार एक ही बात घूमती रहती है जिसके कारण वह सवाल खड़े कर रहे है अजेन्द्र अजय ने गोदियाल पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि यदि उनके पास कोई तथ्य है तो उनको सक्षम अथॉरिटी पर जाकर शिकायत करनी चाहिए, हाइकोर्ट व सुप्रीमकोर्ट मे याचिका दाखिल करे गणेश गोदियाल के पास किसी प्रकार का कोई तथ्य नहीं है जिसके कारण वह केवल मीडिया व सोशल मीडिया के जरिए लोगों को भ्रम में डालने का काम कर रहे हैं केवल टिआरपी पाने के लिए यह काम किये जाते है। अब ये सियासत कहां जाकर थमेगी कोई नहीं जानता।