जब हर ओर से सवालों की बौछार हो, जब गुस्से की लहर सड़कों पर उमड़ पड़े, तब तब प्रदेश की सरकार को लेना पड़ा ऑन द स्पॉट बड़ा फैसला। परेड मैदान में आंदोलनकारी युवाओं के बीच पहुंचकर जो दस्तख़त हुए, वो अब सिर्फ एक आदेश नहीं — आने वाले समय में कई बड़े राज़ खोल सकते हैं। UKSSSC Paper Leak Nainital Protes दोस्तो पेपर लीक मामले में CBI जांच की सिफारिश तो हो गई, लेकिन अब असली खेल शुरू होगा। कौन है इस भर्ती घोटाले का मास्टरमाइंड? किन चेहरों से उठेगा पर्दा? और क्या ये फैसला सरकार की मजबूरी था या मास्टरस्ट्रोक? जवाब मिलेंगे, लेकिन हर जवाब के साथ उठेंगे नए सवाल। सबसे पहले आपको ये एक तस्वीर दिखा रहा हूं। उत्तराखंड की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में उस वक्त हलचल मच गई, जब संयुक्त स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर आंदोलन कर रहे युवाओं के बीच खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी परेड मैदान पहुंचे। बीते 21 सितंबर से देहरादून के परेड मैदान में डटे बेरोजगार युवा लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे। इस ऐतिहासिक आंदोलन का परिणाम आखिरकार सामने आ गया — मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारियों के बीच बैठकर मौके पर ही CBI जांच की संस्तुति कर दी। दोस्तो बेरोजगार संघ की कई और मांग भी थी। आंदोलन में बैठे युवाओं ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखीं, लेकिन सरकार की चुप्पी से नाराजगी लगातार बढ़ रही थी।
जब यह आंदोलन राज्यभर में गूंजने लगा, तब मुख्यमंत्री धामी ने खुद मोर्चा संभाला और धरना स्थल पहुंचकर सीधा संवाद किया। उसी दौरान उन्होंने CBI जांच की हामी भरते हुए कहा कि सरकार युवाओं की भावनाओं का सम्मान करती है और निष्पक्ष जांच ही सच्चाई को सामने ला सकती है। इस पर बोरोजगार संघ ने भी कहा देर आए दुरुस्त आए। 2 दोस्तो जिस मांग को लेकर धरना प्रदर्शन चल रहा था तो अब CBI जांच की संस्तुति से अब यह मामला सिर्फ एक राज्यीय विवाद नहीं रह गया है। इससे जुड़े अधिकारियों, बिचौलियों और पूरे नेटवर्क की परतें खुल सकती हैं। साथ ही यह कदम अन्य राज्यों में भी ऐसे मामलों के लिए एक उदाहरण बन सकता है, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री धामी ने आश्वासन दिया कि आपकी मांग को पर कार्रवाई हो रही है और जो भी जरुरत पड़ेगी वो किया जाएंग। दोस्तो इस पूरे मामले इस पूरे आंदोलन में उत्तराखंड बेरोजगार संघ और उसके अध्यक्ष राम कंडवाल की भूमिका अहम रही। लगातार संवाद, सोशल मीडिया के माध्यम से जनजागरूकता और धरना स्थल पर युवाओं की एकजुटता — इन सभी ने मिलकर आंदोलन को इतना मजबूत बनाया कि सरकार को कदम उठाने ही पड़े। लेकिन इसके अलावा भी बेरोजगार संघ की कुछ और मांगे हैं जिन्हें प्रदर्शन कर रहे युवाओं ने मुख्यमंत्री के सामने रखा। दोस्तो मांग तो युवाओं की थी सीबीआई जांच की। उस पर CBI जांच की संस्तुति के साथ ही युवाओं की यह लड़ाई एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। यह सिर्फ परीक्षा में गड़बड़ी का मामला नहीं, बल्कि एक पूरे सिस्टम में जवाबदेही की मांग है।
यह दिखाता है कि अगर युवा संगठित हों, शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखें और पीछे न हटें — तो सत्ता को भी झुकना पड़ता है, लेकिन मुख्यमंत्री धामी ने युवाओं की परेशानियों का समाधान होगा और भरोसा दिया गया कि आप की मांगे सरकार की प्रथमिकता में है। 5 दोस्तो अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि CBI की जांच कितनी गहराई तक जाती है और क्या वाकई दोषियों को सज़ा मिलती है या यह सिर्फ एक राजनीतिक शांति का उपाय बनकर रह जाएगा। लेकिन फिलहाल, ये दिन युवाओं की जीत का दिन है — उम्मीद और हौसले का दिन यह फैसला सिर्फ एक औपचारिक घोषणा नहीं, बल्कि युवाओं के संघर्ष, एकजुटता और अडिग इरादों की जीत है। CM धामी ने परेड मैदान में मौजूद हजारों युवाओं के सामने उस दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए, जिसके जरिए इस मामले की जांच अब देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी, CBI, को सौंपी जाएगी। संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा में कथित गड़बड़ियों को लेकर लंबे समय से छात्रों में आक्रोश था। बार-बार हुई पेपर लीक की घटनाओं ने युवाओं का भरोसा तोड़ा था और सरकारी व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े किए थे। इसके खिलाफ उत्तराखंड बेरोजगार संघ के नेतृत्व में चला यह आंदोलन अब एक प्रतीक बन चुका है — उस आवाज़ का, जिसे लंबे समय तक अनसुना किया गया।