प्री-SIR पर ही उठ गए सवाल! | Uttarakhand News | CM Dhami | Congress | Election Commission

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जी हां दोस्तो उत्तराखंड में कैसे बहुत कुछ बदल जाएगा, SIR की तैयारी जारी है, लेकिन शुरू होने से पहले ही मतदाताओं में कन्फ्यूजन की लहर दौड़ रही है। ससुराल में वोट, मायके में नाम—ये सवाल अब आम लोगों की जुबान पर है। प्री-SIR के दौरान ही उठ रहे ये सवाल, प्रशासन और चुनाव आयोग के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। क्या हेल्पलाइन और बूथ लेवल अफसर इस उलझन को सुलझा पाएंगे, यह अब देखना बाकी है, लेकिन इधर बीजेपी कांग्रेस में अलग तरह की जंग चल रही है। दोस्तो उत्तराखंड में जल्द एसआईआर शुरू किया जाएगा, इससे पहले प्री एसआईआर चल रहा है। एसआईआर को लेकर लोगों में किसी तरह की शंका न हो, इसलिए राज्य सरकार और चुनाव आयोग ने अनोखी पहल शुरू की है। प्री-एसआईआर शुरू करने के साथ मतदाताओं की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिए हैं। प्रदेश में प्री-एसआईआर के दौरान कोई भी शंका होने पर वोटर हेल्पलाइन नंबर-1950 पर कॉल करके पूरी जानकारी ले सकते हैं। मै आपको शंका और समाधान की तरफ ले जाउं उससे पहले देखिए बीजेपी कांग्रेस क्या कर रही है, क्या कह रही है।

उत्तराखंड में SIR लागू होने से BJP अब राज्य से बाहर रहकर काम कर रहे उत्तराखंड के नागरिकों को लेकर एक बड़ा अभियान शुरू करने जा रही है। BJP, प्रदेश से बाहर रह रहे लोगों से उनके पैतृक गांव में वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने की अपील करेगी। इसके लिए पार्टी ने मेरी गणना, मेरा गांव अभियान के तहत कार्यकर्ताओं को गांव-गांव भेजने की तैयारी की है। इधर उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने एसआईआर पर भाजपा सरकार को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि समुदाय विशेष के लोगों के वोट साजिशन काटे गए तो कांग्रेस किसी को नहीं छोड़ेगी, उनके अनुसार अभी से माहौल बनाया जाना शुरू हो गया हैं और हम तक पूरी जानकारी आ रही हैं उनके अनुसार हम इस मामले मे सडक से सदन तक आंदोलन खड़ा करेंगे। दोस्तो बता दूं कि उत्तराखंड में प्री-एसआईआर के दौरान 70 फीसदी मतदाताओं की मैपिंग का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए बूथ लेवल अफसरों (बीएलओ) ने घर-घर पहुंचकर मतदाताओं से संपर्क करना शुरू कर दिया है। इस दौरान सामने आ रहा है कि ऐसे लोग, जो साल 2003 में दूसरे विधानसभा क्षेत्र में निवास करते थे, उनकी मैपिंग में दिक्कत हो रही है। साथ ही शादीशुदा महिलाओं को मायके की वोटर लिस्ट से खुद की मैपिंग करवानी पड़ रही है। ऐसे में काफी वोटर दुविधा का शिकार हो रहे हैं। दोस्तो मतदाताओं को परेशानी से बचाने और उनकी शंकाओं के समाधान के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को हेल्प डेस्क बनाने और हेल्पलाइन नंबर जारी करने के निर्देश दिए थे। जिलों में हेल्पलाइन नंबर-1950 सक्रिय कर दिया गया है। इस पर कॉल करके कोई भी व्यक्ति, एसआईआर व वोटर लिस्ट को लेकर जानकारी ले सकता है, अब यहां मै आपको ये भी बता दूं कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान क्या होगा।

थोड़ा गौर कीजिएगा दोस्तो, SIR देश के एक वैध मतदाता के रूप में पाक्षता का पता लगाने के लिए आयोजित की जा रही है। इसके तहत बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) मतदाताओं के घर जाकर उनकी डिटेल्स को सत्यापित करेंगे और गणना फॉर्म बांटेंगे। नए पात्र मतदाताओं (जैसे 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले) के नाम सूची में जोड़े जाएंगे। मृत या स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं के विवरण (जैसे पता, फोटो, अन्य जानकारी) करो सुधारा जाएगा। उत्तराखंड में प्री-एसआईआर शुरू होने के साथ ही मतदाता सुरक्षा और सही जानकारी सुनिश्चित करने की पूरी प्रक्रिया चल रही है। साथ ही बीएलओ घर-घर जाकर नाम, पता और अन्य विवरणों की पुष्टि कर रहे हैं। नए मतदाताओं के नाम जोड़ना और स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं के विवरण को अपडेट करना भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन राजनीतिक तापमान भी लगातार बढ़ रहा है। भाजपा का ‘मेरी गणना, मेरा गांव’ अभियान और कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल की चेतावनी इस प्रक्रिया को और चर्चा का विषय बना रहे हैं। ऐसे में मतदाताओं से अपील है कि वे अपने अधिकार और जानकारी को समझें और सुनिश्चित करें कि उनका नाम सही सूची में दर्ज हो। प्री-एसआईआर सिर्फ रिकॉर्ड अपडेट नहीं, बल्कि हर मतदाता के मतदान अधिकार की सुरक्षा का एक अहम कदम है।