राजभवन ने लौटा दिया राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण का बिल, सरकार के पास दोबारा पारित करने का विकल्प

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देहरादून: सरकारी नौकरियों में राज्य आंदोलनकारियों के 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण के विधेयक को राजभवन ने सात साल बाद लौटा दिया है। राज्यपाल के सचिव डॉ.रंजीत सिन्हा ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटाया गया है। छह साल पहले इस विधेयक को विधानसभा से पारित कर राजभवन भेजा गया था लेकिन तब से विधेयक राजभवन में लम्बित था। राजभवन के इस कदम से राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण पर एक बार फिर से उम्मीद बंधी है।

माना जा रहा है कि सरकार आरक्षण विधेयक को दोबारा सदन से पास कराकर राजभवन को भेज सकती है। ऐसी स्थिति में राजभवन को विधेयक को मंजूरी देनी ही पड़ेगी। प्रदेश सरकार ने राजभवन से विधेयक लौटाने के संबंध में नए सिरे पत्राचार कर अनुरोध किया था। अब सरकार इसकी खामियों को दूर कर नए सिरे से बिल ला सकती है। बता दें कि 2015 में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार ने विधान सभा से पास कराकर राज्य आंदोलनकारियों को नौकरी में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का बिल मंजूरी के लिए राजभवन भेजा था। सात साल बाद इसे लौटाया गया है।

विधानसभा से इस विधेयक को पारित कर राजभवन को भेजा गया था। लेकिन इस विधेयक को राजभवन से मंजूरी नहीं मिल पाई थी। विधेयक के राजभवन में ही अटक जाने से यह विधेयक कानून का रूप नहीं ले पाया। साथ ही सरकार के सामने दोबारा से विधेयक को विधानसभा में लाने का रास्ता भी बंद था। लेकिन, अब राजभवन से विधेयक लौटाए जाने से छह साल से बंद दरवाजा खुलने की उम्मीद बंध गई है। सरकार के पास इस विधेयक को दुबारा विधानसभा से पारित कराने का विकल्प खुल गया है।