उत्तराखंड के यमुनोत्री क्षेत्र में हिमनदों के तीव्र पिघलाव से बन रही झीलों और उनसे उत्पन्न संभावित भू-आपदाओं को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक पहल की जा रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस द्वारा प्रदत्त एवं वित्तपोषित एक बहुआयामी शोध परियोजना के अंतर्गत यमुनोत्री क्षेत्र में गहन अध्ययन किया जा रहा है। इस महत्वपूर्ण शोध परियोजना का नेतृत्व सेंटर फॉर हिमालयन स्टडी के निदेशक प्रोफेसर बी.डब्ल्यू. पांडेय तथा मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. ओम जी. रंजन द्वारा किया जा रहा है। उनके साथ शोधार्थियों की एक टीम, सारांश, अरविंद कुमार एवं दुर्वेश चौधरी वर्तमान में यमुनोत्री ग्लेशियर के निचले क्षेत्रों में पायलट सर्वे के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। शोध के अंतर्गत यमुनोत्री क्षेत्र में तेजी से हो रहे हिमनद क्षय के कारण निर्मित हिमानी झीलों का अध्ययन किया जा रहा है। इन झीलों से उत्पन्न होने वाली संभावित हिमानी झील जनित बाढ़ (GLOF) तथा उससे जुड़े भू-जोखिमों का समग्र और वैज्ञानिक विश्लेषण इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य है। यह अध्ययन न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण, क्षेत्रीय योजना निर्माण और भविष्य की विकास रणनीतियों के लिए भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इससे भविष्य में धराली जैसी आपदाओं की पुनरावृत्ति को रोकने में सहायता मिल सकती है, ताकि यमुनोत्री के नीचे बसे क्षेत्र ऐसी विनाशकारी घटनाओं के साक्षी न बनें। इस परियोजना के साथ-साथ दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के भूगोल विभाग के स्नातकोत्तर स्तर के देश-विदेश के शोधार्थियों का एक समूह भी यमुनोत्री क्षेत्र में शोध कार्य के लिए पहुँचा है।