उत्तराखंड: सरकारी नौकरी के नाम पर युवाओं को ठगने वाले गिरोह का खुलासा, कहीं आप भी तो नहीं बने शिकार

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Dehradun Crime News: सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर बेरोजगार युवाओं से ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। आरोपी भारतीय युवा खेल परिषद नाम से वेबसाइट चलाते थे। गिरोह भारतीय युवा खेल परिषद में फिजिकल एजुकेशन टीचर, रेलवे और इनकम टैक्स विभाग में नौकरी दिलाने का झांसा देते थे। जिस पर युवाओं का रजिस्ट्रेशन कराया जाता था। इसके बाद विभिन्न विभागों के ऑफर लेटर उन्हें मेल के माध्यम से भेज दिए जाते थे। इस तरह एक-एक युवा से डेढ़ से दो लाख रुपये वसूल किए जाते थे। आरोपितों के बैंक खातों में पिछले छह महीने में करीब 55 लाख रुपये का लेनदेन हुआ है। गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है।

एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि कुछ दिन पहले कुछ युवाओं ने अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत की थी। एसटीएफ ने आवेदक बनकर इस नंबर पर संपर्क किया तो गिरोह के सदस्य ने बताया कि यह एक सरकारी संस्था है और इसमें विभिन्न विभागों के खाली पदों पर भर्ती के लिए आवेदन करने से पहले 700 रुपये का रजिस्ट्रेशन शुल्क देना होता है। इस मामले की जांच करते हुए एसटीएफ उस खाते तक पहुंच गई, जिसमें यह रुपये जमा कराए जा रहे थे। इसके बाद उन्हें हरिद्वार स्थित एक आश्रम में प्रशिक्षण दिलाने की बात कही गई। नौकरी के लिए अंतिम चयन के नाम पर आवेदक से डेढ़ से दो लाख रुपये का खर्चा बताया जाता था। इस धनराशि को गिरोह के सदस्य यूथ एसोसिएशन के नाम से बने बैंक खाते और अपने निजी खातों में जमा करवाते थे।

 

जानकारी पुख्ता होने पर एसटीएफ टीम ने शनिवार को आरोपित आनंद मेहतो निवासी उर्दू बाजार भागलपुर बिहार वर्तमान निवासी चैड़ा गांव नोएडा, योगेंद्र कुमार निवासी अशोक नगर वसुंधरा एन्क्लेव पूर्वी दिल्ली और संजय रावत निवासी जलालपुर रोड राधेश्याम विहार मुरादनगर गाजियाबाद को पूछताछ के लिए बुलाया और इसके बाद तीनों को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में आनंद महतो ने बताया कि वह 12वीं पास है। महतो ने एसटीएफ को बताया कि योगेश, संजय और मनीष मिलकर युवाओं से रेलवे, इनकम टैक्स, शिक्षा विभाग आदि में नौकरी लगाने के नाम पर पैसे लेते थे। जबकि, कुछ युवाओं को उन्होंने विदेश भेजने के नाम पर भी रुपये लेकर ठगा था। सभी संबंधित विभागों के फर्जी नियुक्ति पत्र ई-मेल के माध्यम से भेज दिए जाते थे।