अंकिता हत्याकांड के बाद खत्म होगी राजस्व पुलिस व्यवस्था, इतने गांवाें में होगी रेगुलर पुलिसिंग

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Dehradun: उत्तराखंड के बड़े हिस्से में आज भी सुरक्षा व्यवस्था आज भी पटवारी, लेखपाल, कानूनगो, नायब तहसीलदार के जिम्मे है। अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद अंग्रेजों के समय से लागू राजस्व पुलिस पर तमाम सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में पूरी व्यवस्था सिविल पुलिस के जिम्मे करने की मांग जोर पकड़ रही है। अब इसके लिए कवायद शुरू हो गई है। कुमाऊं में पहले चरण में विभिन्न शहरों से लगे 1221 गांवों को थाने-चौकियों से मर्ज किया जाएगा। राजस्व गांवों में किसी भी तरह का अपराध होने पर पटवारी, लेखपाल, कानूनगो और नायब तहसीलदार आदि मुकदमा दर्ज करते हैं। यही अधिकारी और कर्मचारी बिना ट्रेनिंग और संसाधनों के अपराधियों की गिरफ्तारी के साथ मामलों की विवेचना भी करते हैं।

अंकिता हत्याकांड मामले में राजस्व पुलिस पर कार्रवाई करने में देरी करने के आरोप लगे थे। यह भी कहा गया कि राजस्व पुलिस की लापरवाही से अंकित की हत्या हुई। इसके बाद राजस्व क्षेत्रों की सुरक्षा सिविल पुलिस के हाथों में दिए जाने की प्रक्रिया शुरू हुई है। इसी के तहत डीआईजी ने सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को शहर से लगे राजस्व गांवों को चिन्हित करने के निर्देश दिए। एसएसपी, एसपी की ओर से डीआईजी को रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई है। दूसरे चरण में खुलेंगे थाना-चौकी पहले चरण में शहर से लगे गांवों को थानों चौकियों से मर्ज किया जाना है। दूसरे चरण में पुलिस विभाग की ओर से नए थाने और चौकियां खोली जाएंगी। वहां पूरा स्टॉफ स्थापित किया जाएगा। इससे दूरस्थ क्षेत्र के ग्रामीणों को आपराधिक घटनाओं में कार्रवाई के लिए यहां-वहां भटकना नहीं पड़ेगा।

पहले से ही जवानों की रिक्तियों से जूझ रहे पुलिस विभाग के लिए नए थाने चौकियों का संचालन करना आसान नहीं होगा। सरकार को पुलिस स्टेशन का निर्माण, वाहनों की खरीद, गांव तक बीट पुलिसिंग के लिए करोड़ों रुपयों की आवश्यकता पड़ेगी। इसके अलावा अब तक सड़क के आसपास नौकरी करने वाले पुलिस कर्मियों के लिए दूरस्थ गांवों तक पहुंचना आसान नहीं होगा। योजना के तहत पहले चरण में शहरों से लगे गांवों को आसपास के थाना-चौकियों से जोड़ा जाना है। इसके लिए कुमाऊं के 1221 गांव चिन्हित किए गए हैं। दूसरे चरण में थाना-चौकियों के निर्माण की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।