जी हां दगड़ियो उत्तराखंड में बयानबाज़ी पर बवाल, पांडे जी हो गए तलब, अब चुफाल निशाने पर। BJP में भीतरघात या कार्रवाई का आगाज़?सब बताने के लिए आया हूं दगड़ियो, जी हां धुएँ में BJP ये इसलिए कह रहा हूं क्योंकि बीजेपी में बयानों का बवंडर आया है , पांडे जी पेश हो चुके हैं, अब चुफाल पर उठ रहा तीर। MLA Bishan Singh Chuphal उत्तराखंड बीजेपी में राजनीतिक तापमान चरम पर है। विवादित बयान के बाद अरविंद पांडे को जब प्रदेश अध्यक्ष के सामने पेश होना पड़ा, तब ये सिर्फ एक रसूखभरी फजीहत नहीं थी—यह एक सियासी जंग की शुरुआत थी। अब सभी की नजरें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और विधायक बिशन सिंह चुफाल पर टिकी हैं। सवाल उठता है: अगर पांडे को तलब किया जा सकता है, तो चुफाल की बारी आयेगी क्या, पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे को प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी कार्यालय तलब किया। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट से मिलने के बाद अरविंद पांडे के तेवर में थोड़ा सा बदलाव तो आया, लेकिन वह अभी भी उतने ही कॉन्फिडेंस में कथित भ्रष्ट अधिकारियों पर फायर नजर आ रहे हैं।
जहां एक तरफ पार्टी संगठन की प्रदेश कार्यकारिणी की नई टीम के गठन को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं को इंतजार है, तो वहीं दूसरी तरफ सरकार की बात की जाए तो वहां पर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाएं है। इसके विपरीत पार्टी में कुछ बड़े नेताओं की नाराजगी और कुछ विधायकों द्वारा केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद सुर्खियां बनी हुई हैं। अमित शाह से मुलाकात करने वाले विधायकों में पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे भी शामिल हैं। उन्होंने अमित शाह से मुलाकात करने के बाद सरकार पर कई निशाने साधे थे। उनके विवादित बयानों ने सरकार को और संगठन को असहज किया था। इसी बयानबाजी को लेकर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष द्वारा पार्टी कार्यालय बुलाया गया था। तकरीबन 1 घंटे तक प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने अरविंद पांडे से बातचीत की। निश्चित तौर से बंद कमरे के अंदर अरविंद पांडे ने अपनी शिकायतें प्रदेश अध्यक्ष के सामने रखी होंगी।
प्रदेश अध्यक्ष द्वारा भी उन्हें आश्वासन दिया गया कि जो भी बात है, आप उसे पार्टी फोरम पर ही कहें। इस तरह की बयानबाजी से पार्टी की छवि धूमिल होती है।अब अंदर क्या बात हुई होगी, वो तो ये दोनों ही जाने लेकिन प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात करने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री और बाजपुर से भाजपा विधायक अरविंद पांडे ने कहा कि वह समानता से प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात करने आए थे। इस दौरान हमने उनके बयानों पर हो रही चर्चाओं को लेकर भी सवाल किया, उन्होंने कहा कि वह आज भी अपने बयान पर टिके हुए हैं। उनका कहना है कि सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है। केंद्र सरकार उत्तराखंड के लिए लगातार तत्पर है, लेकिन कुछ ऐसे छोटे अधिकारी हैं, जो कि इस तरह के कार्य कर रहे हैं जिससे सरकार के बड़े कामों के बावजूद भी छोटे कामों से छवि धूमिल हो रही है। अब साबह पांडे जी की बात तो हो गई लेकिन बीजेपी के एक और नेता, बिशन सिंह चुफाल क्या इनकी भी पेशी होगी, ये अपने आप में बड़ा सवाल है लेकिन दगड़ियो पार्टी के विधायकों और वरिष्ठ नेताओं द्वारा लगातार की जा रही बयानबाजी को लेकर उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि वह अपने नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। इसी क्रम में आज अरविंद पांडे को पार्टी कार्यालय बुलाया गया था। उसके बाद बिशन सिंह चुफाल से भी वह बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी में विधायक एक जनप्रतिनिधि के रूप में चुनकर आता है। उसके क्षेत्र में तमाम समस्याएं होती हैं।
वैसे तो विधायक सरकार और पार्टी के स्तर पर अपनी जन समस्याओं से जुड़े सभी मुद्दों को रखता है, लेकिन उसके बावजूद भी कभी अगर ऐसे मामले सामने आते हैं, तो पार्टी विधायकों से और अपने जनप्रतिनिधियों से मिलकर चर्चा करती है और ऐसे विषयों का संज्ञान लेती है। पार्टी द्वारा यह स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी विषय होता है, तो उसे पार्टी प्लेटफार्म पर रखें, ना कि इधर-उधर बयानबाजी करें। दगड़ियो बता दूं कि हाल ही में बाजपुर विधायक अरविंद पांडे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर लौटे थे, उसके बाद उन्होंने उधम सिंह नगर जिले में अवैध खनन को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि गदरपुर और बाजपुर क्षेत्रों में बौर और गडरी नदियों में 200 मीटर से 2 किलोमीटर चौड़ाई तक गहरे गड्ढे खोदकर अवैध खनन किया जा रहा है। इस आरोप के बाद से उत्तराखंड में राजनीतिक हलचल तेज हो गई थी। वहीं विधायक अरविंद पांडे द्वारा लगाए गए आरोपों की तुरंत जांच की गई दगड़ियो तो राजस्व, चकबंदी और खनन विभाग की एक संयुक्त टीम ने बाजपुर तहसील के ग्राम रत्नामढ्या और केलाखेड़ा क्षेत्र में जाचं की। जांच टीम को 50 से 60 फीट गहरे गड्ढे या सक्रिय अवैध खनन की कोई गतिविधि नहीं मिली। बौर नदी का जल प्रवाह भी केवल 30-40 मीटर चौड़ाई में पाया गया था। दगड़ियो इतिहास की झलक देखते हैं तो आज भी याद आता है कि 2009–13 का दौर जब बिशन सिंह चुफाल प्रदेश अध्यक्ष थे। तब विधान सभा क्षेत्र में जमीन विवाद उठा—BJP का नया मुख्यालय चाय बागान की जमीन पर बनाया जाना था, पर उसमें सीलिंग निकाल दी गई थी।
चुफाल ने इस पर पल्ला झाड़ते हुए कार्रवाई को षड़यंत्र बताया था, तथ्यों के बावजूद उन्होंने अपनी राजनीतिक स्थिति बतौर “शिकार” पेश की थी अब जब विवादित बयान के बाद पांडे को पेश किया गया, तो सवाल ये उठता है कि चुफाल गिरोह की अगली कड़ी हैं या फिर पार्टी उनके बयान को सहन कर पाएगी? चुफाल ने पहले भी अधिकारियों पर तीखा आरोप लगाया था कि “सरकार में जो लोग हैं वे अयोग्य हैं”, और उन्होंने ठेका लेने वाले हेमराज बिष्ट को फाइल गायब करने का दोषी ठहराया था और साथ ही मैं राज्यमंत्री के काम को लेकर आरोप लगाए थे और राज्यमंत्री ने भी खूब कहा था, ऐसे में क्या राज्यमंत्री हेमराज बिष्ट को भी बूलावा जाएगा या सिर्फ इतना है। ऐसे में तो कई नेताओं की और पेशी हो सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री ने भी तो माना था की पार्टी माफिया के फंड से चलती है, पैसा चैक से आता है तो वहां क्या होगा देखना होगा।