देवभूमि का सती अनुसूया मंदिर, यहां देवी के तप से बच्चे बन गए थे ब्रह्मा, विष्णु, महेश

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कहते हैं कि उत्तराखंड कण कण में देवी देवताओं का वास है। आज एक ऐसे देवी मंदिर के बारे में जानिए, जो असीम शक्तियों को खुद में समेटे हुए है। ये है माता अनुसूया मंदिर। उत्तराखंड के चमोली जिले में मंडल से करीब 6 किलोमीटर ऊपर मौजूद है माता अनुसूया का मंदिर। अगर आप चाहते हैं कि यहां पूजा का दिव्य सुख प्राप्त करें, तो यहां होने वाले नौदी मेले में आइए। इस दौरान यहां अलग अलग गांवों से लोग देव डोलियां लेकर पहुंचते हैं। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां जप-तप करने से निसंतानों को संतान प्राप्ति होती है। जनश्रुति ये भी है कि इसी जगह पर माता अनसूया ने अपने तप के बल पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी त्रिदेवों को बच्चे के रूप में बदल दिया था। बाद में काफी तप करने के बाद ही त्रिदेव अपने असली रूप में आ सके थे। आगे पढ़िए  

इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं विशेष हैं। कहते हैं कि जो निसंतान दंपति यहां पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें संतान की प्राप्ति जरूर होती है। यहां होने वाले पर्व के अवसर पर गांव के मंदिरों, सगर, बणद्वारा, देवल्धार, कठुड़ और खल्ला की देवी डोलिया मंदिर पहुंचती है। निसंतान महिला को मंदिर में रात्रि के समय होने वाले अनुष्ठान में हिस्सा लेना होता है। मान्यता है कि अनुष्ठान के बाद महिला को स्वप्न में फल दिखाई देता है, जिसका अर्थ है कि महिला को जल्द संतान प्राप्ति होगी। स्वप्न के बाद महिला अपने पति के साथ मंदिर के पास स्थित धारे से स्नान कर लौट आती है। कहते हैं यहां आने वाले निसंतान दंपति निराश होकर नहीं लौटते। इस बार भी मंदिर में सैकड़ों निसंतान दंपति पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे हैं।