उत्तराखंड में स्कूल में मजदूरी, कैसे बढ़ेगा इंडिया? क्यों कठघरे में खड़ा ना करूं शिक्षा व्यवस्था। दगड़ियो जब छात्रों को किताबें छोड़ पकड़नी पड़े फावड़ा और बेलचा, तो सवाल क्यों नहीं हो, वो तस्वीर दिखाउंगा और करूंगा सवाल। दोस्तो कुछ कहुं उससे पहले आप ये दो तस्वीरों देखिए। Students Work As Labourers कुछ दिन पहले वायरल हुई जिम्मे स्कूल गया बच्चा गुरूजी की गाड़ी धो रहा है, तो वहीं दूसरी तस्वीर अब सामने आया है जिसमें बच्चे फावड़ा बेलचा चला रहे हैं और सर पर कंक्रीट ढो रहे हैं। कहने को तो कहा जाता है – ‘बेटी पढ़ाओ, बेटा बढ़ाओ’,लेकिन जब स्कूल ही बच्चों से मजदूरी कराने लगे, तो सवाल उठता है – ऐसे कैसे बढ़ेगा इंडिया?क्या यही है नया भारत?जहां स्कूलों में शिक्षा की जगह बच्चों से काम करवाया जाता है?आज कठघरे में है पूरी शिक्षा व्यवस्था और सवाल है — सिर्फ एक स्कूल प्रबंधन का नहीं, जो ये काम बच्चों से करा रहा है क्या पूरा सिस्टम दोषी है? दगड़ियो ये तस्वीर कहीं और से नहीं आई है ये राजधानी देहरादून से सामने आई है। हां वही देहरादून हमारी राजधानी, यहां एक स्कूल के अंदर छोटे छोटे बच्चों से रेत बजरी उठाने और फावड़ा चलाते हुए मजदूरी करवाने का मामला सामने आया है। राजकीय प्राथमिक विद्यालय बांध विस्थापित बंजारावाला देहरादून में बच्चों से मजदूरी करवाने का मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। अब हड़कंप मचे भी क्यों ना, मां-बाप ने बच्चों को खिला-पिला कर स्कूल भेजा ताकि वो पढ़ कर बेहत अपने भविष्य कर सके, लेकिन स्कूल ने शिक्षा मजदूरी की दे दी। हाथ में पैन पैनसिल और किताबों की जगह फावड़ा-बेलचा थमा दिया और सर रख दिया नौनिहालों के संवरते भविष्य का तसला।
अब बात देहरादून के स्कूल की है तो इसे फैलने और इस पर सवाल होने पर लगे स्वास्य महमके के साथ ही जिला प्रशासन हरकत में आ गया। खबर ये निकल कर आई की देहरादून के जिला अधिकारी सविन बंसल के संज्ञान में जैसे ही ये मामला आया, वैसे ही उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी से इस पर एक्शन लेने के निर्देश दिए। जिसके बाद तुरंत जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक ने संज्ञान लेते हुए संबंधित शिक्षिका को निलंबित कर दिया है, साथ ही मामले की विभागीय जांच के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। दोस्तो विद्यालय परिसर में बच्चों को स्कूल समय के दौरान मजदूरों की तरह मिट्टी उठाते हुए देखा गया। वीडियो में स्कूल स्टाफ की मौजूदगी हालांकि नदारद थी, जिसके बाद कई तरह के सवाल खड़े होने लगे कि आखिरकार कौन शिक्षक है, जो इन मासूम बच्चों ऐसे काम ले रहा है और किसी की नजर नहीं पड़ रही है। बात मुख्य शिक्षा अधिकारी तक भी जल्द पहुंच गई, उनका कहना है कि 30 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट मांगी गई है सीईओ कार्यालय से जारी पत्र कहा गया कि विद्यालय में बच्चों से सफाई कार्य करवाने जैसी गतिविधि अनुशासनहीनता की श्रेणी में आती है। इसके लिए संबंधित शिक्षिका को निलंबित किया जाता है। साथ ही अन्य के खिलाफ भी कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है। जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक देहरादून प्रमिला भारती द्वारा जारी आदेश में उप शिक्षा अधिकारी रायपुर को जांच अधिकारी नामित किया गया है। उन्हें 30 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। इतना ही नहीं जांच आदेश में ये भी कहा गया कि प्राथमिक शिक्षा परिषद के दिशा-निर्देशों के अनुसार विद्यालय परिसर में सफाई व्यवस्था के लिए स्कूल प्रबंधन समिति या सहायक स्टाफ जिम्मेदार होता है न कि विद्यार्थी। ऐसे में बच्चों से सफाई कार्य करवाना बच्चों के अधिकारों का हनन माना गया है। विभाग ने सभी ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को भी निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र के स्कूलों का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करें कि किसी भी विद्यालय में बच्चों से गैर-शैक्षणिक कार्य न कराया जाए।
इधर देहरादून जिला अधिकारी सविन बंसल ने भी इस घटना को शिक्षा व्यवस्था के लिए सही नहीं बताया है। उन्होंने कहाना है कि ऐसे मामलों में शून्य सहिष्णुता नीति अपनाई जाएगी। हम स्पष्ट करते हैं कि यदि भविष्य में किसी भी स्कूल में इस प्रकार की घटना दोबारा पाई गई तो संबंधित हेड टीचर और ब्लॉक अधिकारी के विरुद्ध भी प्रत्यक्ष कार्रवाई की जाएगी। दोस्तो इससे पहले चमोली जिले के थराली ब्लॉक के गोठिंडा गाँव का बताया गया। जहाँ एक शिक्षक अपनी गाड़ी स्कूल के बच्चों से धुलवा रहा था, ये हालात हैं पहाड़ के स्कूलों की बच्चे रोज़-रोज़ दूर-दूर तक उफनती नदियाँ पार करके, ऊबड़-खाबड़ रास्तों से होकर स्कूल आते हैं ताकि कुछ सीख सकें और अपना भविष्य बना सकें। वहां शिक्षक कार धुलवाता है और देहरादून में स्कूल में मजदूरी कराई जा रहा ही, इसे क्या कहा जाए?बच्चों की मासूमियत का शोषण या शिक्षा व्यवस्था की नाकामी?आख़िर इसकी जिम्मेदारी किसकी है?