See from the horse to the panchayat…| Uttarakhand News | Panchayat Election | BJP | Congress

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उत्तराखंड के केदारनाथ में जिसने कभी थामी घोड़ों की लगाम, अब संभालेगा जिला पंचायत की कमान। दोस्तो आज में आपको पंचायत चुनाव की बात नहीं बताउंगा, बहुत खबरें दिखा और बता चुका हूं। बीजेपी कांग्रेस और ये वो सब। from the horse to the Panchayat election 2025  अब में आपको पंचायत चुनाव में जिन लोगों ने धमाल मचाया या फिर कुछ अलग करके दिखाया है, उनके बारे में बताउंगा। उस लड़के की कहानी बताता हूं, तो सिर्फ हमारे और आपके लिए कहानी है। लेकिन उसके लिए असल हकिकत है। जो सपना उसने खूली आंखों से देखा उसे अंततह अंजाम तक पहुंचाया। संघर्षों से चमका एक सितारा नाम है पवन कुमार। दोस्तो कठिनाइयों के सामने कभी हार न मानने वाले पवन कुमार ने यह साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी मंज़िल दूर नहीं। जीवन की शुरुआत से ही संघर्षों से जूझते पवन ने जहां एक ओर केदारनाथ की कठिन घाटियों में घोड़े-खच्चर चलाकर अपनी आजीविका चलाई, वहीं अब छोटी उम्र में जिला पंचायत सदस्य बनकर अपने क्षेत्र के विकास की नई जिम्मेदारी निभाने को तैयार हैं।

दोस्तो कई लोग हैं जो ऐसा कर पा रहे हैं, आपके आस पास कोई ऐसा ही मामला हो तो आप उसे मुझ तक जरूर पहुंचाएं। मै उसे दुनिया के पटल पर ले जाउंगा। दुनिया को दिखाउंगा कि अपने उत्तराखंड के पानी में ऐसा कुछ खास है जो और कहीं नहीं है। इसलिए यहां के युवा ऐसा कारनामा कर दिखाते हैं जिसे दुनिवाले देखते रह जाते हैं। खैर आगे बढ़ते हुए वो बताने जा रहा हूं जो आपको किसी ने नहीं बताया होगा। रुद्रप्रयाग जिले के रतूड़ा क्षेत्र के पवन कुमार की यह कहानी सिर्फ एक चुनाव जीतने की नहीं है, यह कहानी है जमीनी संघर्ष, आत्मनिर्भरता और जनसेवा की भावना की। आज जब युवाओं में बेरोजगारी और हताशा का माहौल है, ऐसे में पवन जैसे युवा न सिर्फ उम्मीद की किरण हैं, बल्कि नई पीढ़ी के लिए आदर्श भी है। दोस्तो ये तो सभी जानते हैं कि अपने उत्तराखंड में रोजगार को लेकर कितनी सारी चुनौतिया हैं। उच्च शिक्षा लेने के बाद भी बेरोजगारी। ये वो सवाल है जिसका जवाब आज तक नहीं मिला। कब मिलेगा ये भी बता नहीं कागजों और भाषणों में तो बहुत कुछ दिखाई देता है। लेकिन जमीनी हकिकत कुछ और ही बया करती है। दोस्तो पवन कुमार ने वर्ष 2022 में गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से एमए की डिग्री प्राप्त की।

डिग्री के बाद सरकारी नौकरी की तमाम कोशिशें कीं, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। तब उन्होंने हार मानने के बजाय अपने पिता के कार्य को अपनाया और केदारनाथ यात्रा में घोड़े-खच्चर चलाकर रोज़गार का रास्ता चुना। इससे पहले वे विकास खंड जखोली में दो वर्षों तक डाटा ऑपरेटर की नौकरी भी कर चुके थे। लेकिन अब घोड़ों की लगाम से नेतृत्व की जो कमान थामी है उससे वो चर्चा में तो है हीं, साथ उनकी होंसलाअफजाई भी हो रही है। भई वाह कमाल किया है। दोस्तो इस मई महिने में जब केदारनाथ यात्रा शुरू हुई, तो पवन ने फिर यात्रियों को घोड़े पर चढ़ाकर केदारनाथ पहुंचाया। इसी बीच जब जिला पंचायत चुनाव की घोषणा हुई और रतूड़ा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई, तो पवन ने भी मैदान में उतरने का साहसिक फैसला किया। ये सब अचानक हुआ, रतूड़ा वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई। अपने सहयोगियों के दम पर उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की हामी भरी। धनपुर पट्टी के पाबौ गांव निवासी पवन कुमार को चुनाव जीताने में भाजपा-कांग्रेस के नेताओं के साथ ही वार्ड के धनपुर व रानीगढ़ पटटी के कई अन्य जनप्रतिनिधियों का साथ रहा। भाजपा व कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी से इतर पवन कुमार के लिये खुले मंचो।