जी हां दोस्तो उत्तराखंड में कड़ाके की ठंड ने मानो सब कुछ जमा दिया, दोस्तो कई नदियां, नाले, झरने सब जमते दिखाई दे रहे हैं। इधर पारा गिया तो मौसम विभाग ने भी ने दे दी चेतावनी, कैसे बरतनी होगी सावधानी, कितना गिरा पारा, कहां जम गई नदी। Severe cold in Uttarakhand उत्तराखंड में कड़ाके की ठंड ने लोगों की जिंदगी थम सी गई है। कई नदी-नाले और झरने बर्फ की चादर में ढक गए हैं, मौसम विभाग ने पारा गिरने की चेतावनी जारी की है। पूरे राज्य में ठंड की स्थिति और इसका प्रभाव, सब बताउंगा आपको। दोस्तों, पहाड़ों पर सर्दी ने इस बार अपना कड़ा असर दिखाना शुरू कर दिया है। उत्तराखंड के ऊँचे-ऊँचे इलाके बर्फ की सफेद चादर में ढक गए हैं। नदियां, नाले, झरने और झीलें जैसे थम सी गई हैं, और पूरा क्षेत्र बेहद शांत और सुरम्य नजर आ रहा है। खास तौर पर बद्रीनाथ धाम के पास बहने वाली ऋषिगंगा नदी का नजारा कुछ अलग ही है। पूरी धारा लगभग जमकर बर्फ बन चुकी है, और ऐसा लगता है जैसे नदी ने एक चमकती हुई सफेद चादर ओढ़ ली हो। पर्यटक और श्रद्धालु इस दृश्य को देख मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, नदी के किनारे बहती बर्फ की जमी हुई धाराओं के बीच झरनों की बर्फ से ढकी बूँदें जैसे क्रिस्टल की तरह चमक रही हैं।
जी हां दोस्तो उत्तराखंड में इस समय ठंड का कहर जारी है। उत्तरकाशी के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में तापमान शून्य से काफी नीचे जाने से प्राकृतिक जल स्रोत जम गए हैं। कड़ाके की ठंड से सिर्फ पहाड़ी इलाके ही नहीं, बल्कि मैदानी जिले भी प्रभावित हो रहे हैं। गंगोत्री धाम क्षेत्र से कुछ ऐसी ही तस्वीरें सामने आई हैं, यहां तापमान माइनस 10 डिग्री तक जाने के कारण नदी-नाले और झरने जमने लगे हैं। दोस्तो शीतकाल में गंगोत्री नेशनल पार्क में अवैध शिकार रोकने और पार्क क्षेत्र में दुर्लभ वन्यजीवों की गतिविधियों की जानकारी के लिए गोमुख समेत केदारताल ट्रैक और नेलांग घाटी में करीब पचास ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं। वहीं, धाम समेत अन्य जगहों पर में पानी की आपूर्ति बंद हो गई है, साथ ही वहां लोहे के पाइप फटने के कारण स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बीते कुछ दिनों से हालांकि गंगोत्री धाम में बारिश और बर्फबारी नहीं हुई है, लेकिन गंगोत्री धाम में इन दिनों बिना बारिश और बर्फबारी के भी न्यूनतम तापमान माइनस 1 से 10 डिग्री तक जा रहा है तो वहीं हर्षिल घाटी में दिन में अधिकतम तापमान चार से पांच डिग्री तक रह रहा है। शाम चार बजे के बाद यह माइनस 1 से देर रात्रि तक माइनस 8 डिग्री न्यूनतम जा रहा है। इसलिए गंगोत्री धाम समेत नेलांग घाटी और गोमुख ट्रैक पर सभी नदी नाले और झरने जमने लगे हैं। पानी की आपूर्ति पूरी करने के लिए पाले से ढकी बर्फ को आग से पिघलाकर प्रयोग में लाया जा रहा है।
इसके साथ ही इन विषम परिस्थितियों में विभागीय कर्मचारियों ने समुद्र तल से करीब 10 से 13 हजार फीट की ऊंचाई वाले स्थानों पर करीब पचास ट्रैप कैमरे लगाए हैं। जिनसे शीतकाल और बर्फबारी के दौरान वन्यजीवों के अवैध शिकार की घटनाओं पर नजर रखी जाती है। साथ ही दुर्लभ वन्यजीवों स्नो लेपर्ड, भरल, भूरा भालू और कस्तूरी मृग आदि की गतिविधियों और जनसंख्या की गिनती में होती है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इस समय पहाड़ों पर तापमान काफी नीचे जा चुका है, और आगे आने वाले कुछ दिनों में ठंड और बढ़ सकती है। ऐसे में लोगों को ठंड से बचाव के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है। वैसे दोस्तो नजारा बेहद आकर्शक है ये नजारे न केवल देखने में बेहद सुंदर हैं, बल्कि प्रकृति की शक्ति और उसके बदलते रूप की याद दिलाते हैं। ऋषिगंगा नदी और इसके आसपास का क्षेत्र अब पूरी तरह से बर्फ की चादर में लिपटा हुआ है, और ये दृश्य हर किसी के लिए एक मनोहारी अनुभव साबित हो रहा है, लेकिन सिर्फ नज़ारे ही नहीं, बल्कि इन कठिन मौसम परिस्थितियों में वन्यजीवों की सुरक्षा और स्थानीय लोगों की समस्याओं पर भी नजर रखना बेहद जरूरी है। मौसम वैज्ञानिकों की चेतावनी के अनुसार आने वाले दिनों में ठंड और बढ़ सकती है, इसलिए सावधानी बरतना अनिवार्य है।