उत्तराखंड में यात्री बसों में सफर सुरक्षित नहीं हैं। ये हम नहीं कह रहे बल्कि ये खबर इस बात की तस्दीक कर रही है। पहाड़ के साथ की मैदानी रूटों पर दौड़ रही बसों में कंपनी से शॉकर लगाए गए थे। एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक ये शॉकर अब बसों से हटाए गए हैं। जानकारी के मुताबिक रोडवेज की करीब 400 बसें ऐसी हैं, जिनके शॉकर खराब हो गए थे। खबर के मुताबिक रोडवेज ने रिपेयर करने के बजाय बसों से शॉकर ही हटा दिए हैं। जानकार कहते हैं कि शॉकर हटने से बस का पूरा भार और उसमें सवार यात्रियों का भार कमानी रहता है। कमानी टूटने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। खबर के मुताबिक रोडवेज ने 2016 में 400 बसें खरीदी गई थीं। ये बसें उत्तराखंड के सभी डिपो में भेजी गईं। इसमें कुछ बसें मैदान तो कुछ बसें पहाड़ों पर चल रही हैं।
बसों के आगे पीछे के पहिये पर कमानी के साथ दो-दो शॉकर लगाए गए थे। कुछ समय बाद शॉकर खराब होने लगे। अब रोडवेज ने शॉकर रिपेयर करने के बजाय उन्हें बसों से हटा दिया। कई बसें ऐसी हैं, जिनमें साथ में सपोर्ट के लिए लगे लोहे के गुटके भी हटा दिए गए हैं। न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में कुछ निजी बसें भी ऐसी हैं, जिनके शॉकर निकाले गए हैं। कई बसेों से शॉकर गायब मिले हैं। परिवहन विभाग के रिटायर तकनीकी अधिकारी के मुताबिक बस में शॉकर का बड़ा रोल होता है। शॉकर से सफर आरामदायक होता है और बस गड्ढों पर हिचकोले नहीं खाती है। शॉकर हटाना कभी भी खतरनाक साबित हो सकता है। उधर दीपक जैन, महाप्रबंधक (संचालन), रोडवेज का कहना है कि शॉकर से बस में सफर आरामदायक होता है, सड़कों के गड्ढों पर बसें हिचकोला नहीं खाती, हो सकता है हमारी कुछ बसों में शॉकर नहीं हो, इसे दिखाया जाएगा।