परीक्षा रद्द होगी या नहीं ! | UKSSSC | Uttarakhand News | Paper Leak | Dehradun News

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क्या फिर से बिक गया भविष्य का पर्चा? क्या इस बार भी मेहनत हार जाएगी और सिफारिश जीत जाएगी। उत्तराखंड की अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा एक बार फिर सवालों के घेरे में है — और अब मैदान में उतरी है एसआईटी! Uttarakhand Paper Leak Case नलेकिन इस बार जांच सिर्फ कागज़ों तक नहीं रहेगी, क्योंकि निगरानी करेंगे हाईकोर्ट के रिटायर जज। पूरी खबर के साथ आया हूं साथ ही आपको बताउंगा की कि परीक्षा रद्द होगी या नहीं इसका फैसला कैसे होने जा रहा है। दोस्तो उत्तराखंड चयन आयोग की जांच में अब हाईकोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में एसआईटी जांच करेगी बल। मुख्य सचिव ने किया बड़ा ऐलान — परीक्षा रोकी गई, पूरे प्रदेश में फैलेगा जांच का जाल, और दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा! सवाल अब एक ही है: क्या छात्रों को मिलेगा न्याय, या फिर ये मामला भी बन जाएगा सिस्टम की एक और कहानी? सब बताने जा रहा हूं आप से गुजारिश है दोस्तो की आप अंत तक मेरे साथ वीडियो में जरूर बने रहें, ताकि आप आधी खबर देख कर ही मेरे ठैरा बल पर ज्यादा फोकस ना करें। मै उत्तराखंड की खबर बताने वाले वाला ठैरा बल खैर ये तो होता रहेगा आप आम मुझे देखते हैं उसके लिए बहुत शुक्रीया दिल से आपका, खबर पर आता हूं दोस्तो। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की परीक्षाएं एक बार फिर विवादों में हैं। परीक्षा में गड़बड़ी और पेपर लीक लेकर जहां युवाओं में आक्रोश है, वहीं सरकार अब गंभीर दिख रही है।

अब मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई है और खास बात यह है कि हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज इस जांच की निगरानी करेंगे। यह कदम सरकार के लिए जितना अहम है, उतना ही प्रदेश के उन लाखों अभ्यर्थियों के लिए भी, जिनकी मेहनत और भविष्य दांव पर लगा है। दोस्तो बता दूं कि बीते रविवार को राज्य में स्नातक स्तरीय अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा आयोजित की गई थी। परीक्षा के बाद हरिद्वार सहित कई केंद्रों पर अनियमितताओं की शिकायतें सामने आईं। सोशल मीडिया पर प्रश्न पत्रों के स्क्रीनशॉट, संदिग्ध आंसर शीट और परीक्षा केंद्रों के बाहर की अफरा-तफरी ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए। छात्रों ने आवाज़ बुलंद की — कुछ ने सड़क का रास्ता चुना, कुछ ने कोर्ट का भी, अब दोस्तो मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने मीडिया से बात करते हुए घोषणा की कि अब इस पूरे मामले की जांच एसआईटी को सौंपी जा रही है। इस विशेष जांच टीम की अगुवाई एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी करेंगे, और इसका दायरा पूरे प्रदेश में होगा। दोस्तो आपको मै बता दूं कि यह पहली बार है जब सरकार ने स्पष्ट किया है कि परीक्षा के दौरान हुई हर गड़बड़ी — चाहे वह पेपर लीक, केंद्रों की लापरवाही या भीतर से मिलीभगत — सभी की निष्पक्ष जांच होगी। इस एसआईटी जांच की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी निगरानी हाईकोर्ट के रिटायर जज द्वारा की जाएगी।

इससे जांच की पारदर्शिता पर उठने वाले सवालों को रोकने की कोशिश की गई है। रिटायर्ड जज और एसआईटी टीम प्रदेश के हर जिले में जाकर छात्रों और अन्य लोगों से तथ्य इकट्ठा करेंगे। कोई भी व्यक्ति सीधे टीम से संपर्क कर सकता है, और परीक्षा से जुड़ी कोई भी जानकारी या शिकायत दे सकता है। उधर दोस्तो हरिद्वार एक बार फिर विवादों के केंद्र में है। पिछले पेपर लीक मामलों में भी हरिद्वार और रुड़की जैसे क्षेत्रों को नकल गैंग का गढ़ माना गया था, इस बार भी सबसे ज्यादा शिकायतें हरिद्वार से ही आई हैं। मुख्य सचिव ने साफ शब्दों में कहा है कि हरिद्वार केंद्र पर जिस भी अधिकारी या कर्मचारी की लापरवाही सामने आएगी, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। इधर दगड़ियो सरकार का यह कदम ऐसे समय में आया है जब छात्रों का भरोसा लगातार डगमगा रहा है। पहले यूकेएसएसएससी, फिर पटवारी, फिर जेई और अब फिर से स्नातक स्तरीय परीक्षा में गड़बड़ियों की आशंका — यह राज्य की परीक्षा प्रणाली को एक गंभीर संकट में डाल चुका है। छात्रों का सवाल है अगर हमने मेहनत की और पेपर पहले ही बिक गया, तो फिर हमारी गलती क्या है?मुख्य सचिव आनंद वर्धन और डीजीपी दीपम सेठ दोनों ने प्रेस से बातचीत में भरोसा दिलाया कि “छात्रों का हित सर्वोपरि है।

उन्होंने कहा कि परीक्षा से जुड़ी कोई भी कार्रवाई एसआईटी रिपोर्ट आने तक रोकी जाएगी जांच की समयसीमा एक माह तय की गई है, दोषी पाए गए किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी और भविष्य में ऐसी घटनाएं फिर न हों, इसके लिए नई निगरानी प्रणाली लागू की जाएगी। पिछले मामलों से सबक लिया या दोहराव? दोस्तो ये सवाल भी किया जा सकता है। उत्तराखंड में यह कोई पहला मौका नहीं है। हाकम सिंह से लेकर पटवारी पेपर लीक, फिर असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती विवाद — हर बार जांच हुई, कुछ गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन सिस्टम नहीं सुधरा। एक रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच होना इस बात का संकेत है कि सरकार अब दिखावे से आगे बढ़कर ठोस कार्रवाई के मूड में है। लेकिन नतीजा तब ही मायने रखेगा जब, दोषियों को खुली कोर्ट में सज़ा मिले छात्रों को मुआवजा या पुनः परीक्षा का अवसर मिले और भविष्य के लिए एक पारदर्शी, तकनीकी रूप से सुरक्षित भर्ती प्रणाली बने और हां आखिर में मै कहूंगा कि छात्रों के लिए यह एक परीक्षा नहीं, भविष्य और विश्वास की लड़ाई है। सरकार के लिए यह एक टेस्ट है — क्या वो समय रहते जागेगी, या फिर एक और पीढ़ी अपने सपनों के जलने की कहानी लिखेगी?