सांपों का ज़हर, करोड़ों की सप्लाई | Haridwar Police | Uttarakhand News | Snake Venom

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ज़हर की अंधेरी दुनिया से उठा गया पर्दा, नोएडा में रेव पार्टियों में दुर्लभ सांप और सांपों के जहर की सप्लाई करने का मामला आपको याद है क्या, वैसा ही कुछ क्या अब उत्तराखंड में हो रहा है। जब पड़ा छापा तो दोस्तो खुलने लगे कई राज उत्तराखंड में सांपों का जहर और करोड़ों की सप्लाई के बारे में बताने आया हूं। Haridwar Snake Cobra Venom उत्तराखंड के रुड़की में सामने आया है एक ऐसा वेनम सिंडिकेट, जहाँ ज़िंदा कोबरा और जहरीले सांपों से ज़हर निकाला जा रहा था — बिना किसी अनुमति, बिना किसी सुरक्षा। दोस्तो छापेमारी में बरामद हुए 86 ज़हरीले सांप जिनमें से 70 हैं कोबरा — वही सांप, जिनका ज़हर अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने से भी महंगा बिकता है। सवाल ये है — कौन चला रहा था ये मौत की फैक्ट्री? कौन खरीद रहा था ये ज़हर? और किसकी सरपरस्ती में फल-फूल रहा था ये काला कारोबार? आज इस रिपोर्ट में मै आपको दिखाउंगा — रुड़की में ज़हर की ज़मीन के नीचे चल रही उस खामोश साज़िश को जो अब एक भयानक हकीकत बन चुकी है। ये कहानी आपको अंदर तक झकझोर देगी दोस्तो। उत्तराखंड के रुड़की शहर के सामने आया मामला सिर्फ सांपों का नहीं— यह एक काला कारोबार है, जिसे अब कहीं दबाया नहीं जा सकता जंगल की आड़ में चल रहा एक वेनम सेंटर आखिर कौन चला रहा था, और क्यों? सवाल सिर्फ़ प्रशासन की लापरवाही का नहीं, बल्कि सिस्टम में गहरे फसे भ्रष्ट गठजोड़ का भी है।

दरअसल दगड़ियो दिल्ली पीपुल्स फॉर एनिमल (PFA) टीम की सूचना पर रुड़की के खंजरपुर गांव स्थित जंगल में हुई संयुक्त छापेमारी में 86 खतरनाक सांप बरामद किए गए— जिनमें 70 कोबरा और 16 रसल वाइपर शामिल हैं, ये सब वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची‑1 में सूचीबद्ध संरक्षित प्रजातियाँ हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल उठता है—इस अवैध वेनम सेंटर में चलता क्या था? कौन था इसका संचालक? मौके पर केवल केयर टेकर विष्णु मिला— मालिक नितिन कुमार की भूमिका अभी भी संदिग्ध है। दोस्तो विशेष जांच में पता चला कि नितिन कुमार को दिसंबर 2022 में एक साल के लिए सशर्त अनुमति दी गई थी, पर वह दिसंबर 2023 में समाप्त हो चुकी थी। यानी अभी कोई वैध लाइसेंस नहीं था, फिर भी सेंटर काम कर रहा था—यह कैसे संभव हुआ? कहीं प्रशासन की सुरक्षा नहीं, तो क्या सियासी संरक्षण था? आप पूछ सकते हैं

इन सवालों को दोस्तो पूरे सेंटर में सांप तो मिले, पर उनका ज़हर नहीं जिंदा सांप बरामद हुए, लेकिन जहर की सप्लाई का कोई सुराग नहीं मिला। केयर टेकर ने दावा किया कि उसे इसकी कोई जानकारी नहीं—लेकिन यह जवाब क्यों संतोषजनक नहीं है? अगर ज़हर मौजूद नहीं था तो ये हादसा मात्र एक ‘गोदाम’ भर नहीं—दरअसल, मौत की सप्लाई चेन का सिरा हो सकता है। क्या ये वेनम कहीं ‘बिकने’ जा रहा था, या पर निरंतर चल रहा था कोई अंतरराज्यीय धंधा? कैसे एक अवैध वेनम सेंटर इतने समय तक चलता रहा—क्या कुर्सियों पर बैठे उस सिस्टम की मिलीभगत थी? दोस्तो वेनम सेंटर का मतलब ये है कि क ऐसा संस्थान या प्रयोगशाला होती है जहाँ ज़हरीले साँपों (या अन्य ज़हरीले जीवों) से विष (venom) निकाला जाता है और उसे वैज्ञानिक, औषधीय या अनुसंधान के कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है। इधर दोस्तो सवाल ये भी है कि क्या अगर किसी सरकारी अधिकारी ने आंखें बंद की थीं, तो कितनी सज़ा बचेगी जिसे न्याय मिल सके?