रुड़की के रामनगर निवासी लापता कारोबारी के शव की शिनाख्त और उसकी गुमशुदगी दर्ज करने में लापरवाही बरतने में गंगनहर कोतवाली के एक दारोगा और दो पुलिसकर्मियों (मुंशी) की लापरवाही सामने आई है। एसएसपी ने इन्हें अनोखी सजा दी है, जिसमें एक दरोगा और दो सिपाहियों को हरिद्वार में दो दिन तक अलग-अलग श्मशान घाट में आठ-आठ घंटे रहकर शवों के शवदाह में सहयोग करने की अनोखी सजा सुनाई। एसएसपी के सजा सुनाने के पीछे मंशा है कि फिर से ऐसी लापरवाही की पुनरावृत्ति न हो।
रुड़की के रामनगर निवासी मेडिकल स्टोर कारोबारी हरीश चांदना 20 अक्टूबर 2022 को लापता हो गए थे। उनकी पत्नी ने उसी दिन गंगनहर कोतवाली पुलिस को तहरीर दी थी। उसी रात पत्नी को कमरे में सुसाइड नोट मिला था। लेकिन, पुलिस ने उनकी गुमशुदगी दर्ज नहीं की थी। कारोबारी ने रहीमपुर फाटक के पास ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस उस समय कारोबारी के शव की शिनाख्त नहीं कर पाई थी। पुलिस ने लापरवाही दिखाते हुए कारोबारी हरीश चांदना के स्वजन को भी बुलाकर शव की शिनाख्त कराना जरूरी नहीं समझा था।
पुलिस ने अज्ञात में शव का 72 घंटे बाद लावारिस में अंतिम संस्कार करा दिया था। इसके बाद 26 अक्टूबर को पुलिस ने कारोबारी की मौत के बाद उनकी गुमशुदगी दर्ज की थी। लापरवाही पर एसएसपी अजय सिंह ने उप निरीक्षक नवीन सिंह और मुंशी चेतन तथा संतोष की हरिद्वार के चंडीघाट, खड़खड़ी घाट तथा सती घाट स्थित शवदाह घाट पर सोमवार और मंगलवार को आठ-आठ घंटे की ड्यूटी लगाकर वहां की व्यवस्था देखने के निर्देश दिए हैं।