देहरादून: विधानसभा सचिवालय में हुए भर्ती घपले में निरस्त की गईं 228 नियुक्तियों के मामले में विधानसभा ने अब संबंधित कार्मिकों की सेवाएं समाप्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। इस कड़ी में सोमवार को 40 कार्मिकों की सेवा समाप्ति के आदेश जारी कर दिए गए। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने इसकी पुष्टि की। विधानसभा में हुई नियुक्तियों का मामला तूल पकडऩे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजकर इसकी जांच कराने और विवादित नियुक्तियों को निरस्त करने का आग्रह किया था।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने जांच के लिए सेवानिवृत्त आइएएस डीके कोटिया की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेषज्ञ जांच समिति गठित की। इस समिति ने 19 सितंबर को दी अपनी रिपोर्ट में विधानसभा में वर्ष 2000 से 2022 तक नियुक्त सभी कर्मियों की नियुक्ति को नियम विरुद्ध बताया था। हालांकि वर्ष 2016 से पूर्व नियुक्त कर्मचारियों के संदर्भ में विधिक राय लेने की सिफारिश की गई थी। इस पर स्पीकर ने वर्ष 2016 के बाद भर्ती कर्मचारियों को हटाने का निर्णय लिया था। खंडूड़ी ने कहा कि कर्मचारियों को हटाना शुरू कर दिया गया है। ऐसे कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है इसलिए इस प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा।
सोमवार को 40 आदेश जारी किए गए, जिन्हें मार्शल के माध्यम से संबंधित कर्मियों को हस्तगत कराया गया। बताया गया कि मंगलवार और बुधवार तक निरस्त की गई शेष नियुक्तियों के संबंध में भी आदेश जारी कर दिए जाएंगे। जांच समिति में विधि, न्याय से जुड़ा कोई विशेषज्ञ नहीं था। ऐसे में वर्ष 2016 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के मामले में क्यों विधिक राय नहीं ली गई? उन्होंने कहा कि दिसंबर 2012 में पूर्व विस अध्यक्ष हरबंश कपूर व अगस्त 2012 में गोविंद सिंह कुंजवाल के समय नियुक्त कर्मचारियों को महज डेढ़ साल में नियमित कर दिया गया। उन्हें किस आधार पर राहत दी गई? कर्मचारियों ने 2016 से पहले नियुक्त कर्मचारियों को लेकर विधिक राय लेने में हो रही देरी को पक्षपातपूर्ण बताया। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष खंडूड़ी ने कहा कि विधिक राय ली जा रही है।