PM मोदी का उत्तराखंड दौरा: 122 साल बाद खुलेगा स्वामी विवेकानंद का कमरा, पीएम करेंगे रात्रि विश्राम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही उत्तराखंड का दौरा करने वाले है। पीएम मोदी का ये दौरा खास होने वाला है क्योंकि 122 साल में पहली बार स्वामी विवेकानंद का कमरा खुलेगा, जहां पीएम मोदी रात्रि विश्राम करेंगे।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 11 व 12 अक्टूबर को PM Modi Visit Uttarakhand पिथौरागढ़ के प्रस्तावित दौरे को लेकर उत्तराखंड सरकार ने तैयारियां तेज कर दी है। प्रधानमंत्री मोदी का 11 अक्टूबर को पिथौरागढ़ जिले के अंतर्गत नारायण आश्रम पहुंचने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। पीएम मोदी इस दौरान लोहाघाट के मायावती में स्थित अद्वैत आश्रम में योग साधना और रात्रि विश्राम करेंगे। इस आश्रम में स्थित (Swami Vivekananda’s room) स्वामी विवेकानंद का कमरा 122 सालों के बाद किसी के रात्रि विश्राम के लिए खोला जाएगा। मायावती आश्रम से हिमालय दर्शन के अलावा ओम पर्वत और नंदा देवी चोटी पीएम मोदी का खास आकर्षण होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे को देखते हुए जहां सुरक्षा एजेंसियां चौकस हैं। इसके बाद उनका पिथौरागढ़ में सीमावर्ती क्षेत्र के गांवों के निवासियों से संवाद और जनसभा को संबोधित करने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। यद्यपि, प्रधानमंत्री का आधिकारिक कार्यक्रम मिलना अभी बाकी है, लेकिन पार्टी ने उनके दौरे को देखते हुए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।

इस आश्रम की विशेषता यह है कि यहां स्वामी विवेकानंद के योग और साधना कक्ष (Swami Vivekananda’s Yoga and Sadhana Room) को 122 साल बाद देश के किसी व्यक्ति के रात्रि विश्राम के लिए खोला जा रहा है। स्वामी विवेकानंद के बाद यहां रात्रि विश्राम करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले व्यक्ति होंगे। अद्वैत आश्रम के प्रबंधक सहृदयानंद महाराज (Sahrdayanand Maharaj) के अनुसार स्वामी विवेकानंद जिस कक्ष में ठहरे थे और उन्होंने वहां योग साधना की थी। उसी कक्ष में प्रधानमंत्री मोदी के रात्रि विश्राम की व्यवस्था की गई है। स्वामी विवेकानंद 1901 में तत्कालीन मद्रास से यात्रा पर निकले थे। 3 जनवरी 1901 को लोहाघाट के अद्वैत आश्रम पहुंचे। स्वामी विवेकानंद ने आश्रम में 15 दिनों तक रहकर योग साधना की थी। आश्रम के प्रबंधक सुहदानंद महाराज ने बताया कि योग और साधना के लिए विवेकानंद को दो कमरे आवंटित किए गए। इसके बाद से उनके रात्रि विश्राम वाले कमरे में ठहरने की अनुमति किसी को नहीं दी गई। हालांकि इस शताब्दी वर्ष में कई बड़ी शख्सियत आश्रम का भ्रमण कर चुकी हैं।