देहरादून में शिक्षकों का हल्लाबोल, एक बार फिर अपनी कई मांगों को लेकर शिक्षक सड़क पर हैं। खास कर प्रमुख मांग प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती के खिलाफ फूटा शिक्षकों का गुस्सा तो पुलिस का भी छूट गया पसीना। हाथ में बैनर पोस्टर मुंह पर एक ही नारा हमारी मांग पूरी करो। Teachers protest in Dehradun पुलिस को भी शिक्षकों को रोकने पसीना छूट गया, दोस्तो शिक्षा को लोकतंत्र की रीढ़ कहा जाता है, लेकिन जब उस रीढ़ को ही बार-बार अनदेखा किया जाए, तो आखिर कब तक वो चुप बैठेगी? ये आप कह सकते हैं। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 17 सितंबर 2025 को यही देखा गया, जब राजकीय शिक्षक संघ के बैनर तले हजारों शिक्षक सड़कों पर उतर आए। मकसद था — अपने अधिकारों की मांग को सरकार के दरवाज़े तक पहुंचाना, और इसी वजह से उन्होंने मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच किया। दोस्तो ये प्रदर्शन सिर्फ नाराज़गी का इज़हार नहीं था — यह शिक्षकों की उपेक्षा के खिलाफ एक चेतावनी दिखाई देती है। आगे आपको बताउंगा की आखिर शिक्षक चाहते क्या हैं, इनकी मांगे क्या हैं और इसका स्कूल के पठन-पाठन पर पड़ने वाले असर की बात करूंगा लेकिन पहले आप शिक्षकों के इस हल्लाबोल को देखिए, जिसने राजधानी की सड़कें जाम कर दीं, प्रशासन को पसीना-पसीना कर दिया, और पूरे प्रदेश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
अब थोड़ा इन शिक्षकों की पीड़ा को भी सुनिए, तो दोस्तो चेहरे पर गुस्सा दिखता है, मुंह पर नारा है कंधों पर बैनर, हाथों में प्लेकार्ड, और गले से निकते संघर्ष के नारे —हमें हमारा हक चाहिए, शिक्षा सेवकों को सम्मान दो, प्रधानाचार्य की सीधी भार्ती को निरस्त करो। दोस्तो पुलिस और प्रशासन को पहले से सूचना थी, लेकिन इतनी बड़ी संख्या की उम्मीद नहीं थी शायद। जगह-जगह पुलिस बल तैनात किया गया, बैरिकेडिंग लगाई गई, लेकिन शिक्षकों की संख्या और दृढ़ता के आगे वो भी बेबस दिखे। अब आता हूं दोस्तो शिक्षकों के इस होहल्ले के कारण पर..और शिक्षकों की प्रमुख मांगों पर थोड़ा गौर कीजिएगा। शिक्षकों की चार प्रमुख माँगें,सभी स्तरों की पदोन्नति,सभी स्तरों का स्थानांतरण,34 सूत्रीय मांग पत्र का शासनादेश निर्गत,प्रधानाचार्य सीधी भर्ती नियमावली संशोधन निरस्त कुछ ऐसी ही मांगे है बल शिक्षकों की। जिसको लेकर शिक्षक आंदोलित हैं, दोस्तो राजकीय शिक्षक संघ के बैनर तले ये सब हो रहा है। जिसमें 20 हजार से अधिक शिक्षक शामिल होंगे, शिक्षकों ने 2023 से प्रधानाचार्य सीधी भर्ती के खिलाफ आंदोलन किया।
आश्वासनों के बावजूद, शिक्षक अब, भी खाली हाथ हैं। दोस्तो इस हो हल्ले की बीच एक मसला बड़ा दिखता है, वो प्रधानचार्य की सीधी भर्ती का। इसे थोड़ा समझने की कोशिश कीजिएगा। यहां मै आपको बता दूं कि दो बार आंदोलनरत शिक्षकों को आश्वासन भी दिया गया, लेकिन इस बार संशोधित नियमावली जारी होने के बाद शिक्षक चॉकडाउन हड़ताल पर चले गए। दोस्तो हैरानी की बात है कि जो खबर वो ये कि प्रदेश में स्कूलों में प्रधानाचार्य के 88 फीसदी पद खाली हैं और शिक्षक सड़कों पर और व्यवस्था चौपट। दगड़ियो यहां इस पर बात फिर करुंगा … लेकिन आज बात शिक्षकों के प्रदर्शन की और मांग की। दरअसल दोस्तो उत्तराखंड के माध्यमिक स्कूलों में प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापकों के 88 फीसदी पद खाली होने से सरकार ने इन पदों को भरने के लिए नई नियमावली को मंजूरी दी है, लेकिन शिक्षक संघ ने इसका विरोध किया है। उस नियमवली में ऐसा क्या था, वो बातने के लिए जा रहा हूं। शिक्षा विभाग ने उत्तराखण्ड राज्य शैक्षिक (अध्यापन संवर्ग) राजपत्रित सेवा नियमावली- 2022 में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया था। जिसपर बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी मिल गई है।
प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती नियमावली में संशोधन किए जाने के बाद अब लोगों में उम्मीद जागी है कि जल्द ही प्रधानाचार्य प्रधानाचार्यों की भर्ती शुरू हो जाएगी। शिक्षा विभाग की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार, उत्तराखण्ड राज्य शैक्षिक (अध्यापन संवर्ग) राजपत्रित सेवा नियमावली- 2022 के तीन नियमों में संशोधन किया गया है। नियमावली के नियम- 5 में भर्ती का स्रोत, नियम- 6 में आयु सीमा और नियम- 8 में अनिवार्य शैक्षिक/ प्रशिक्षण योग्यता में संशोधन करने का प्रावधान किया गया है। जिस पर मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है। इसको एक तरफ शिक्षकों लिए अच्छी बात बताया गया तो वहीं दूसरी तरफ ये भी कहा गया कि लंबे समय से खाली पड़े प्रधानाचार्य के पदों को भरा जाएंगा तो पठन पाठन को मजबूती मिलेगी, लेकिन शिक्षकों ने इस फैसले को गलत बताया..और चोकडाउन कर दी। आगे क्या होगा वो सरकार जाने कि कैसे शिक्षकों के इस आंदोलन को खत्म कराया जाता है।