अंकिता हत्याकांड में विपक्षियों का फूटा गुस्सा, ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ नहीं अब ‘भाजपा के दरिंदों से बेटी बचाओ’ नारे की जरूरत

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Ankita Bhandari Murder: लापता युवती अंकिता भंडारी की हत्या के आरोप में पुलिस ने पूर्व राज्यमंत्री के बेटे सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस की पूछताछ में तीनों आरोपियों ने विवाद के बाद अंकिता को चीला शक्ति नहर में धक्का देने की बात कबूली है। वहीं नहर में पानी बढ़ने के चलते एसडीआरएफ को युवती का कुछ पता नहीं चल पाया। इससे पहले आरोपियों ने पुलिस को गुमराह करने के लिए युवती के रिजॉर्ट से लापता होने की बात कहते हुए गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

अंकिता की हत्या की खबर मिले ही स्थानीय लोगों ने हंगामा कर दिया। लोगों ने आरोपी को लेकर जा रही जीप को घेर लिया। कुछ लोगों ने जीप का शीशा भी तोड़ दिया। वहीं, रिजॉर्ट में तोड़फोड़ भी की। वहीं बेकाबू भीड़ ने एक आरोपी के साथ मारपीट भी कर दी। उधर, रिजॉर्ट को सील करने के लिए पहुंचे एसडीएम कोटद्वार को भी लोगों ने घेर लिया और लोग रिजॉर्ट का दरवाजा तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश करने लगे। वही राजनीतिक गलियारों में भी गुस्सा दिखने लगा।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा है कि तीर्थ नगरी ऋषिकेश से लगे पौड़ी जिले के यमकेश्वर में हुई अंकिता की हत्या ने न केवल राज्य की कानून व्यवस्था बल्कि भाजपा सरकार के “बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ” नारे की हकीकत भी सामने ला दी है। उत्तराखण्ड की मासूम बेटी के नृशंस हत्याकांड पर उन्होंने कहा कि भाजपा पदाधिकारियों के परिजन की मुख्य अभियुक्त के रूप में गिरफ्तारी के बाद अब इस नारे को “भाजपा के दरिंदों से बेटी बचाओ” कर देना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह प्रदेश के लिए अफ़सोसजनक स्थिति है कि मृत लड़की का अभागा पिता चार दिन तक अपनी बेटी की गुमशुद की रिपोर्ट लिखाने के लिए घूमता रहा लेकिन उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गयी। रिपोर्ट लिखने में ना-नुकुर के पीछे निश्चित ही सत्ता पक्ष भाजपा का दबाव होगा। नेता प्रतिपक्ष आर्य ने आरोप लगाया कि चार दिन बाद भी गुमशुदा लड़की के पिता के सामने होने के बाद भी गिरफ्तार मुख्यभियुक्त द्वारा रिपोर्ट लिखवाना सिद्ध करता है कि सरकार ने अंतिम समय तक आरोपी को बचाने की कोशिश की और मामले को कमजोर करने की हर तकनीकी कोशिश की है।

हरीश रावत ने अंकिता भंडारी हत्या कांड पर कहा कि अंकिता भंडारी की गुमशुदगी पर चार दिनों से कार्रवाई नहीं होने पर साफ पता चलता है कि आरोपियों को लेकर प्रशासन सत्ता की हनक को लेकर डरा हुआ था, तभी स्थानीय प्रसासन ने मामले में चार दिनों से कार्रवाई नहीं की, उन्होंने इस पूरी घटना को उत्तराखड की सबसे बड़ी त्रासदी करार दिया है। उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह सत्ता की हनक में रिजॉर्ट के नाम पर ये सब होता रहा तो इससे प्रदेश की गरीब जनता अपने आप को ठगा हुआ महसूस करेगी।