बेरोजगारों का गुस्सा अब सड़क पर उतरा!| Uttarakhand News | Dehradun News | Uttarakhand Berojgar Sangh

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उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं का गुस्सा अब सड़क पर उतर आया है, कैसे उत्तराखंड में रोजगार पर यलगार हुआ है, क्यों एक बार पिर बेरोजगार युवा सड़क पर है। कैसे इस बार प्रदेश के युवा ने दे डाली है सरकार को चेतावनी, अगर नहीं बात तो हो जाएगा, उलटफेर। सीधे खबर पर आता हूं दोस्तो उत्तराखंड में सरकारी भर्तियों में हो रही देरी और आउटसोर्स व बैक डोर भर्तियों के विरोध में उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने आक्रोश रैली निकालकर सचिवालय कूच किया। संघ से जुड़े बेरोजगार युवा परेड ग्राउंड में एकत्रित हुए उसके बाद पैदल मार्च निकालते हुए सचिवालय की ओर बढे, लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सचिवालय से पहले बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। दरअसल दोस्तो बेरोजगारों ने प्रदेश में चल रही आउटसोर्सिंग भर्तियों को समाप्त करने की मांग उठाते हुए जमकर प्रदर्शन किया। संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम कंडवाल ने कहा कि बीते कई वर्षों से युवा कोचिंग संस्थानों और लाइब्रेरी मे पढ़कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते आ रहे हैं, लेकिन सरकार की तरफ से नई भर्तियां नहीं निकाली जा रही है। उन्होंने कहा कि जेई, एई भर्ती का इंतजार कर रही युवाओं के सब्र का बांध टूटता जा रहा है। उन्होंने इन पदों पर सरकार से जल्द विज्ञप्ति जारी करने की मांग उठाई है।

कंडवाल यहीं नहीं रुके, वो कहते हैं कि इस प्रदेश में कई सालों से भर्तियां आउटसोर्स व बैकडोर के माध्यम से की जा रही है। जब आउटसोर्स के माध्यम से नियुक्ति मिल जाती है तो कुछ साल बीतने के बाद यह लोग सरकार से नियमित भर्ती और ग्रेड-पे की मांग करने लगते हैं. अगर सरकार इनका नियमितीकरण कर देती है तो राज्य भर के 10 लाख से अधिक रजिस्टर्ड युवाओं के भविष्य का क्या होगा। वहीं दोस्तो बेरोजगारों का कहना है कि अगर सरकार आउटसोर्स से सीधी भर्तियां करना चाह रही है तो आयोग को बंद कर दिया जाए। आयोगों पर भारी भरकम धनराशि खर्च करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. बेरोजगारों का कहना है कि सरकार को तत्काल बैक डोर और आउटसोर्स संविदा की भर्तियों को समाप्त करके नियमित भर्तियां निकलने की मांग उठाई है। अगर सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना किया तो आंदोलन तेज करने की भी चेतावनी दी है। आज सिर्फ आउटसोर्स और संविदा कर्मियों के कारण ही भर्तियों रुकी हुई है। आज सिंचाई और लोक निर्माण विभाग में संविदा पर लगे 70 से 75 जेई और एई मांग कर रहे है कि उन्हें पक्का कर दिया जाए। जल संस्थान में भी 100 से 150 कर्मचारी उपनल के लगाए गए है, जो खुद को परमानेंट करने की मांग उठा रहे है। उपनल के जरिए बहुत से कर्मचारी बाहरी राज्यों के है। यदि उन्हें परमानेंट कर दिया गया तो फिर यहां के युवाओं का क्या होगा? आज के आंदोलन की बाद भी यदि सरकार नींद से नहीं जागी तो फिर और बड़ा आंदोलन किया जाएगा। आज उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं ने साफ कर दिया कि वे सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं हैं। आउटसोर्स और बैकडोर भर्तियों के खिलाफ उनकी मांगें अब प्रशासन के सामने चुनौती बन चुकी हैं। अगर सरकार ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।