उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को लेकर कोई मिथक तो नहीं जुड़ा हुआ है? चाहे कांग्रेस हो या फिर भाजपा, गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित करवाने वाले मुख्यमंत्रियों की कुर्सी जा चुकी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार भी गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित कराने से दूरी बनाई हुई है। करीब-करीब पिछले दो सालों में धामी सरकार की ओर से गैरसैंण में कोई भी विधानसभा सत्र आयोजित नहीं करवाया। साल 2022 का आखिरी शीतकालीन विधानसभा सत्र भी देहरादून स्थित विधानसभा सभा भवन में होने जा रहा है। 29 नवम्बर से पांच दिसम्बर के बीच देहरादून स्थित विधानभवन में सत्र होगा।
कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा कहीं गैरसैंण के साथ कोई मिथक तो नहीं जुड़ गया, जो भी मुख्यमंत्री वहां सत्र आहूत कराएगा, उसके पैरों से उसकी जमीन खींच ली जायेगी। शायद यही कारण हैं कि सीएम धामी गैरसैंण का रूख नहीं कर पा रहे हैं। कांग्रेस ने भाजपा पर गैरसैंण की अनदेखी का आरोप लगाते हुए जमकर निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा कि इसे उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि राज्य गठन के 22 साल बीतने के बावजूद हर विधानसभा सत्र से पहले पक्ष और विपक्ष के बीच तलवारें खींच जाती हैं। सत्र देहरादून में होगा या फिर गैरसैंण में होगा इसको लेकर अनिश्चितता के बादल छाए रहते हैं।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि भाजपा के मुख्यमंत्री गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर देते हैं, इसे विडंबना ही कहा जा सकता है कि उस समय के मुख्यमंत्री रहे त्रिवेंद्र रावत अपने कार्यकाल के साथ गैरसैंण का सत्र भी लेकर चले गए। यह वही सत्र था जिस वक्त त्रिवेंद्र रावत से मुख्यमंत्री की कुर्सी छिन गई थी। उसके बाद मुख्यमंत्री बने तीरथ रावत ने वहां कोई सत्र आयोजित नहीं करवाया। उसके बाद उत्तराखंड की कमान संभाल रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी गैरसैंण का रूख नहीं कर पा रहे हैं। गरिमा दसौनी ने कहा कि गैरसैंण के साथ कहीं कोई मिथक तो नहीं जुड़ गया है कि जो भी मुख्यमंत्री वहां सत्र आहूत कराएगा, उसके पैरों से उसकी जमीन खींच ली जायेगी।