देहरादून: मुख्यमंत्री की विधानसभा चंपावत में बीते दिनों एक बड़ा हादसा हुआ। चंपावत में एक स्कूल की बाथरूम की छत गिरने से चंदन सिंह नाम के छात्र की मौत हो गई। साथ ही तीन छात्र इस घटना में घायल हो गये। इस घटना के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सभी सरकारी स्कूल भवनों का निरीक्षण करवाने के निर्देश दिये। ऐसा नहीं है कि शासन प्रशासन या शिक्षा विभाग के पास उन स्कूलों की लिस्ट नहीं है जो स्कूल कभी भी हादसों का शिकार हो सकते हैं।
उत्तराखंड के कुमाऊं हो या गढ़वाल में ऐसे कई स्कूल हैं जिनको बेहद संवेदनशील माना गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ऐसे लगभग 1280 से अधिक स्कूल उत्तराखंड में है जो या मरम्मत मांग रहे हैं। बीते साल उत्तराखंड सरकार ने 500 से अधिक स्कूलों की मरम्मत के लिए पैसा जारी जरूर किया था, मगर अब तक इन 500 स्कूलों की मरम्मत पूरी नहीं हो पाई है। आज भी 700 से अधिक स्कूल बजट का इंतजार कर रहे हैं।
राज्य में 1116 प्राथमिक और 172 माध्यमिक विद्यालय बुरी हालत में हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष साल 2021 और 2022 में लगभग 409 माध्यमिक और 172 विद्यालयों को दुरुस्त करने के लिए केंद्र ने हामी भरी थी। माध्यमिक विद्यालयों के लिए 84.96 करोड़ की मंजूरी मिल चुकी है। 268 विद्यालयों के लिए लगभग 27 करोड़ की धनराशि जारी की गई है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि बजट जारी होने के एक साल बाद भी इन स्कूलों में काम कछुए की गति से चल रहा है।
ऐसे में अब राज्य सरकार को देखना होगा कि जिस तरह से चंदन सिंह की जान एक छज्जा गिरने से गई वैसे भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा न हो। उत्तराखंड में लगातार होती बारिश, भूस्खलन की घटनाएं किसी से छिपी नहीं हैं। हर साल उत्तराखंड में बारिश की वजह से सैकड़ों लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं। इससे इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि जिन स्कूलों में छोटे-छोटे बच्चे पढ़ रहे हैं उन स्कूलों की छतें, दिवारें और भवन भी सुरक्षित नहीं हैं।