LUCC का हाई कोर्ट में खुल रहा काला सच! | Uttarakhand News | CM Dhami | Congress | Dehradun News

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800 करोड़, जी हां, पूरे आठ सौ करोड़ रुपये! वैसे इसे 92 करोड़ बताया जा रहा है। सवाल सिर्फ पैसों का नहीं, बल्कि उन हज़ारों परिवारों के सपनों का है — जिन्हें LUCC कोऑपरेटिव सोसाइटी ने ‘डबल रिटर्न’ का लालच देकर छल लिया। LUCC Chitfund Fraud Case अब हाईकोर्ट में गूंज रही है उन सिसकियों की आवाज़, जो कभी निवेश के नाम पर भरोसे में बदली गई थी। बाताउंगा कोर्ट ने LUCC का घोटाले को लेकर क्या कहा ये मामला बेहद संवदेनशील है। मैं आपको खबर बताउँ उससे पहले दगड़ियो मेरे कुछ सवाल हैं। क्या ये घोटाला सिर्फ एक कोऑपरेटिव फ्रॉड है या इसके पीछे कोई संगठित गैंग काम कर रहा था? मुख्य आरोपी देश से फरार, लेकिन किसकी छत्रछाया में? क्या अदालत के निर्देशों से खुलेंगे उन बड़े नामों के चेहरे, जिन्होंने इस पूरे खेल को परदे के पीछे से चलाया? अब ये देखना होगा, लेकिन उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चिटफंड कंपनी एलयूसीसी के 800 करोड़ के घोटाले और उसकी सीबीआई जांच कराए जाने के मामले पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ती पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने इसी मामले में पहले से चल रही जनहित याचिका के साथ सुनवाई को संबद्ध कर दिया है।

दोस्तो सुनवाई पर सीबीआई की तरफ से कहा गया कि पूर्व में जब जनहित याचिका पर सुनवाई हुई थी तब कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि क्या सीबीआई इस मामले की जांच कर सकती है? अब उनके द्वारा कोर्ट को बताया गया कि सीबीआई की तरफ से इंस्ट्रक्शन आ गए हैं जिसका जवाब उनको कोर्ट में बताना है, इसलिए इस मामले को भी उसी जनहित याचिका के साथ सुनवाई के लिए सम्बद्ध किया जाये। कोर्ट ने उनकी बात को मानते हुए उसी जनहित याचिका के साथ सुनवाई के लिए भेज दिया है। दगड़ियो उत्तराखंड की राजनीति और न्याय व्यवस्था की शान— दोनों इस समय LUCC घोटाले की सुनवाई से थर-थर कांप रही हैं। ये एक सुनियोजित धोखाधड़ी थी, जिसमें सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि लाखों परिवारों की उम्मीदों को चूना लगाया गया और अब अदालत में गूंज रहे सवाल बल इस पूरे सिस्टम को हिला रहे हैं बल लेकिन क्या न्याय के पहिए चल पाएँगे या फिर ये मामला भी कांग्रेस, बीजेपी या भ्रष्ट साझेदारों के बीच खेले जा रहे खेल का हिस्सा बन जाएगा?दगड़ियो रुड़की, देहरादून, ऋषिकेश में पीड़ितों की ओर से उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई— जिसमें मांग की गई कि इस पूरे घोटाले की जांच CBI करे। अदालत ने इस याचिका को सुनवाई के लिए खंडपीठ को सौंपा, क्योंकि पहले से दायर जनहित याचिका विचाराधीन थी। हाईकोर्ट ने CBI से पूछा— क्या आप इस मामले की जांच कर सकते हैं।

वहीं, पीड़ित भी इसे चुनौती दे रहे हैं, यहाँ मुद्दा सिर्फ ठगी का नहीं, बल्कि सिस्टम की जवाबदेही का भी है दगड़ियो थोड़ा पीछे मुड़ कर देखिए दगड़ियो इस चिटफंड कंपनी ने 2021 में देहरादून, ऋषिकेश और पौड़ी में शाखाएं खोलकर ग्रामीणों और कम आर्थिक वर्ग के लोगों को जबरदस्त लाभ का लालच देकर पैसों का जाल बुन डाला लेकिन इसमें सबसे बड़ी चूक यह रही कि कंपनी ने सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकरण तक नहीं कराया। दोस्तो 2023–24 में शोर-शराबा बढ़ने पर कंपनी अपने कार्यालय बंद कर चली गई, लेकिन इतने दिनों में राज्य के 14 जिलों और अन्य राज्यों में इस कंपनी के खिलाफ कुल 56 मुकदमे दर्ज हो चुके थे। मुख्य आरोपी दुबई भाग गया, जबकि निवेशकों पर एजेंट दबाव बना रहे थे और पुलिस भी ठोस कार्रवाई में असमंजस में दिख रही थी। हाई कोर्ट ने  दोस्तो लोकहित याचिका के साथ इस मामले को खंडपीठ भेज दिया  यानी अब सुनवाई अधिक गहराई से होगी। इधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने CBI जांच की मंजूरी दी है — यह संकेत है कि अब मामले पर केंद्र का ध्यान भी जाने लगा है। दगड़ियो पीड़ित अब अदालत के सामने मुखर हो रहे हैं— पहले ऋषिकेश के पीड़़ित ने जनहित याचिका दायर की थी, अब बड़ा समूह पीछे खड़ा है। इधर दोस्तो CID ने तेज़ की कार्रवाई, CB-CID ने Dehradun में 8 मामलों की जांच तेज़ कर दी — गिरफ्तारियाँ, बैंक खातों और संपत्तियों पर कार्रवाई शुरू हुई है। मुख्य आरोपियों दुबई भागने की आशंका से Look‑Out Circular और इंटरपोल मदद की मांग भी की गई। अब मामला कोर्ट में है तो उम्मीद उन तमाम पीड़ीतों को है जो अपना सब कुछ गवां चुके हैं। अब कोर्ट क्या कहता है इस मामले में पूरी खबर आप तक फिर पहुंचाउंगा।