उत्तराखंड की तबाही ने दर्दनाक घटना को दिया जन्म | Rudraprayag | Uttarakhand News | Cloudburst

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उत्तराखंड की तबाही ने दर्दनाक घटना को दिया जन्म, जब मार्ग हुआ बंद एक मां की खुशियाँ लूट ली गईं। एक बेहद दुखद खबर लेकर आना पड़़ा है, मामला ही कुछ ऐसा है। The devastation in Uttarakhand gave birth to a painful incident दगड़ियों अपना उत्तराखंड, जिसे उसकी खूबसूरत घाटियों और पहाड़ी इलाकों के लिए जाना जाता है, वहीँ अब एक दिल दहला देने वाली घटना ने एक परिवार की खुशियाँ चुरा लिया। ये घटना चमोली जिले के सिलोडी गांव की है, जो समर्पण, संघर्ष और दुख की गहरी छाप छोड़ गई, इस घटना मुझे भी अंदर तक झकझोर दिया। पूरी खबर बताउं दगड़ियों उससे पहले आपको बता दूं कि मौसम विभाग ने अगले कुछ और दिनों के लिए सतर्क रहने के लिए कहा है ताकि कौइ अनहोनी हो जैसा की हम सब जातने हैं कि पहाड़ टूट रहा है और जिस खबर को में आपके सामने लाया हूं यहां भी एक परिवार पर दुख का पहाड़ टूटा है।

दगड़ियो, शुक्रवार की सुबह, जब 32 वर्षीय कविता देवी अपने पहले बच्चे को जन्म देने की तैयारी कर रही थी, तो प्रकृति ने एक और कड़ा इम्तिहान लिया प्रसव पीड़ा के बाद, कविता के परिजनों ने त्वरित निर्णय लिया और उसे ग्रामीणों की मदद से नारायणबगड़ स्वास्थ्य केंद्र ले जाने का प्रयास किया लेकिन इस बीच जो बात सबसे कष्टप्रद रही, वह थी मार्ग का बंद होना। पिछले आठ दिनों से सिलोडी गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली सड़क पूरी तरह से बाधित थी। चमोली जिले के ग्रामीणों को इस क्षेत्र में चलने-फिरने में तो दिक्कत हो ही रही थी, अब यह समस्या जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर बन गई। कविता और उसके परिजनों ने हर हाल में उसे स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाने का प्रयास किया, लेकिन रास्ते की लंबी कठिनाई ने उनके लिए रास्ते की मुश्किलें और बढ़ा दीं। जैसे-जैसे दूरी बढ़ी, उनकी उम्मीदें भी धीरे-धीरे कम होने लगीं।

आखिरकार, इस संघर्ष के बीच रास्ते में ही कविता ने बच्चे को जन्म दिया। यह घटना जितनी दिल दहला देने वाली थी, उतनी ही बेज़ुबान थी—क्योंकि एक माँ ने अपने बच्चे को इस दुनिया में लाने की कोशिश की, लेकिन वह उसी बीच जीवन से जूझ रही थी। परखाल के एक निजी वाहन से उसे स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, लेकिन तब तक नवजात का दम टूट चुका था। भ्रष्टाचार और विभागीय लापरवाही की सजा, ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क बंद होने की वजह से न केवल यह दुर्घटना हुई, बल्कि यह चमोली जिले की सड़कों पर विभागीय लापरवाही का एक और उदाहरण है। सड़क का बंद होना एक ऐसी विफलता है जिसे जिम्मेदार अधिकारियों ने नज़रअंदाज किया है। क्षेत्र पंचायत सदस्य हिमानी देवी ने भी अपनी चिंता जाहिर की, कहते हुए कि इस तरह के घटनाओं को प्रशासन की लापरवाही का परिणाम बताया, यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि डोडिंग गधेरे में भूस्खलन के कारण हर साल मार्ग बाधित हो जाता है।

पिछले तीन सालों से यह समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है, लेकिन इस पर कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया। हर बार हल्की बारिश में ही इस मार्ग पर भूस्खलन का डर बना रहता है, और यही दरअसल लोगों के जीवन को संकट में डालता है। दोस्तो नवजात की मौत और एक परिवार की उम्मीदें टूट जाना, कविता देवी और उसके परिवार के लिए यह दुखद दिन था, जब उनका नवजात बच्चे की मौत ने उनके घर के सुख को चुराया। यह घटना न केवल उस परिवार के लिए बल्कि हर एक उस ग्रामीण के लिए एक बड़ा धक्का थी, जिसने इस बात को महसूस किया कि किस तरह एक जिम्मेदार प्रशासनिक मशीनरी के बिना, कितनी जानों की बलि दी जा सकती है। कविता की मां के आँसू आज भी सूखे नहीं हैं। उन्होंने कहा, “कितनी बार हमें इन रास्तों से गुजरने की दुआ दी गई है, लेकिन आज हमारा अपना बेटा अपने ही घर के रास्ते पर असमय खो गया।” यह दुखद तस्वीर हमें यह एहसास कराती है कि, हर साल उत्तराखंड में मानसून की बारिश से लाखों लोग प्राकृतिक आपदाओं का शिकार होते हैं, लेकिन अगर प्रशासन की तरफ से सुधारात्मक कदम न उठाए गए तो ऐसे हादसों से बचा नहीं जा सकता।

आखिर कब मिलेगा स्थायी समाधान? वर्तमान में, चमोली जिले में सड़क की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है, और एक स्थायी समाधान की तलाश की जा रही है। क्या यही उत्तराखंड की सड़कों का भविष्य है—बार-बार बाधित होना, और कभी भी किसी जीवन का रुक जाना? दगड़ियो न केवल यह घटना, बल्कि ऐसी अन्य घटनाएँ भी राज्य की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक हैं, जहाँ विकास और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। ग्रामीणों ने अब प्रशासन से यह उम्मीद जताई है कि एक स्थायी समाधान निकाला जाएगा ताकि इस तरह की त्रासदियों से बचा जा सके। संघर्ष और कष्टों के बीच उम्मीद उत्तराखंड की यह दिल दहला देने वाली घटना हमें यह समझाती है कि प्रशासनिक लापरवाही से एक मासूम की जान चली जाती है, और एक माँ का दिल टूट जाता है। यह घटना न केवल एक माँ के लिए एक अनभूत दर्द है, बल्कि यह हमारे समाज और प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चेतावनी है कि समय रहते कदम उठाए जाएं। जब तक हम प्रशासनिक सुधारों को गंभीरता से नहीं लेंगे, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे।

उत्तराखंड के लोग अब एक स्थायी समाधान की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि भविष्य में कोई और कविता देवी या उसका बच्चा जीवन और मृत्यु के बीच के इस कठिन संघर्ष का सामना न करें। दोस्तो ये समझने की बात है जहां हम हेली सेवा हेली एंबुलेंस की बातें करते हैं। वहां ये चमोली जिले से एक बेहद दुखद खबर सामने आ रही है जहां पर सड़क बंद होने के कारण एक गर्भवती महिला ने रास्ते पर ही नवजात बच्चे को जन्म दिया। हालांकि अस्पताल पहुंचते ही मासूम ने दम तोड़ दिया जिसके बाद से उसके परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। वही ग्रामीणों ने सड़क बंद होने और विभागीय लापरवाही को इस घटना का जिम्मेदार बताया है।अभी तक मिली जानकारी के अनुसार चमोली जिले के नारायणबगड़ विकासखंड से 16 किलोमीटर दूर स्थित सिलोडी गांव की निवासी 32 वर्षीय कविता देवी पत्नी कुंवर सिंह को बीते शुक्रवार की सुबह करीब 6:30 अचानक से प्रसव पीड़ा उठी।

जिसके कारण कविता के परिजन उन्हे ग्रामीणों के सहयोग से डंडी कंडी के सहारे 7 km तक नारायणबगड स्वास्थ्य केंद्र ले जाने लगे। सड़क बंद होने के कारण ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालांकि इसी दौरान बीच रास्ते में महिला ने बच्चे को जन्म दिया।इसके बाद परखाल से निजी वाहन द्वारा जच्चा बच्चा को नारायणबगड़ स्वास्थ्य केंद्र 12:00 बजे लाया गया जहां पर पहुंचते ही नवजात ने दम तोड़ दिया। जिस पर ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि परखाल सिलोडी मोटर मार्ग पिछले 8 दिनों से पूरी तरह से बाधित है। वहीं क्षेत्र पंचायत सदस्य हिमानी देवी ने कहा कि मार्ग बंद होने के कारण लगातार लोगों को परेशानियां झेलने पड़ रही है। आज यह दर्दनाक घटना विभागीय लापरवाही की वजह से हुआ है। वहीं दूसरी ओर सामाजिक कार्यकर्ता वीरेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले 3 सालों से डोडिंग गधेरे मे भूस्खलन के कारण बार-बार मोटर मार्ग बाधित होता है जिसका स्थाई समाधान अभी तक नहीं निकाला गया है। विभाग की लापरवाही के चलते अक्सर हल्की बरसात भी लोगों का जीवन जीना मुश्किल कर देती है।