12 KM पैदल चलकर पहुंचे DM Savin Bansal | Uttarakhand News | Viral Video | Dehradun Cloudburst

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जब पहाड़ों ने रास्ते रोक दिए, तब प्रशासन ने हौसले से रास्ता बनाया, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर देहरादून के डीएम सविन बंसल ने वो किया, जो अक्सर सिर्फ फाइलों में लिखा जाता है। ज़िले के सबसे दुर्गम और आपदाग्रस्त गांव फुलेत तक 12 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे डीएम — उबड़-खाबड़, खतरे भरे रास्तों को पार कर जब प्रशासन खुद ज़मीन पर उतरा, तो गांववालों को पहली बार लगा। सरकार सच में उनके साथ है, एक डीएम ऐसा भी। Disaster in Dehradun बताने और दिखाने के लिए आया हूं कैसे पैदल पहुँचा प्रशासन, उम्मीद की राह पर आपदा पीड़ित — फुलेत में दिखी जमीनी नेतृत्व की मिसाल। आप जान पाएं की कुछ अधिकारी एसे भी होते हैं जो एसी वाले कमरो में या कंट्रोल रूम से कमान नहीं संभालते वो जमीन पर जा कर काम करते हैं। दगड़ियो उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में जब आसमानी कहर बरपाता है, तो उसकी सबसे तीखी चोट उन गांवों पर होती है, जो न केवल भौगोलिक रूप से दुर्गम होते हैं, बल्कि व्यवस्थागत नजरअंदाजी के शिकार भी, इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ, लेकिन फर्क ये रहा कि हालात को समझने के लिए खुद ज़िले के सबसे बड़े अधिकारी, डीएम देहरादून सविन बंसल, राज्य के सबसे कठिन माने जाने वाले इलाकों में पैदल पहुंचे — और ये केवल एक दौरा नहीं था, बल्कि प्रशासनिक संवेदनशीलता और जमीनी नेतृत्व का जीता-जागता उदाहरण था।

दोस्तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि प्रथम रिस्पॉन्डर के रूप में अधिकारी स्वयं ग्राउंड ज़ीरो पर पहुंचें, न कि केवल फाइलों पर कार्रवाई की जाए। उसी निर्देश को मूर्त रूप देते हुए डीएम सविन बंसल ने देहरादून ज़िले के सबसे दुर्गम और आपदाग्रस्त क्षेत्र फुलेत और उसके आसपास के गांवों में कदम रखा — वो भी 12 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर के– बाइट लगाना—-दोस्तो ये दौरा कोई दिखावटी नहीं दिखाई दिया मुझे जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर छमरौली तक के दुर्गम रास्तों को पार कर, और फिर वहां से 12 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर फुलेत, छमरोली, सिमयारी, सिल्ला, क्यारी और सिरोना जैसे गांवों में पहुंचे डीएम। रास्ता कहीं भूस्खलन से भरा था, तो कहीं कीचड़ और टूटे हुए रास्तों ने चलना मुश्किल बना दिया, लेकिन प्रशासनिक अमले की टीम के साथ डीएम ने इस चुनौती को पार किया। दगड़ियो आपको बता दूं कि फुलेत और आस-पास के गांवों में हालिया बारिश और भूस्खलन ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, खेतों में मलबा भर गया है, रास्ते टूट गए हैं और ज़िंदगी एक तरह से ठहर गई है। ऐसे में जब लोगों ने देखा कि कोई सरकारी अफसर नहीं बल्कि खुद डीएम उनके गांव में चलकर आया है, तो एक अलग ही भरोसा और भावनात्मक जुड़ाव नजर आया।

दोस्तो ग्रामीणों ने खुलकर अपनी समस्याएं रखीं — कहीं राशन नहीं पहुंच पा रहा, तो कहीं चिकित्सा सुविधा नहीं है, कई जगह मवेशियों के लिए चारे की समस्या थी और कई परिवार खुले आसमान के नीचे थे। डीएम सविन बंसल ने हर बात को गंभीरता से सुना, और मौके पर ही अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए, इतना ही नहीं दोस्तो फील्ड विज़िट के दौरान डीएम ने साफ कहा कि “कोई भी प्रभावित परिवार सहायता से वंचित नहीं रहेगा।” उन्होंने राहत शिविरों की स्थिति सुधारने, फील्ड मेडिकल यूनिट्स सक्रिय करने, और टूटे संपर्क मार्गों की मरम्मत में तेजी लाने के निर्देश दिए। वहीं, पुनर्वास की आवश्यकता वाले परिवारों को चिन्हित कर त्वरित प्रक्रिया शुरू करने की बात कही गई। आपदा प्रभावितों की समस्याओं को केवल सुनने के बजाय उस पर एक्शन लेने की जो तत्परता इस दौरे में नजर आई, वह सामान्य प्रशासनिक रवैये से अलग थी। दगड़ियो अक्सर प्रशासन को लेकर लोगों के मन में एक दूरी और अनदेखी की भावना रहती है, लेकिन जब डीएम जैसे अधिकारी खुद जोखिम उठाकर, उबड़-खाबड़ रास्तों से गुजर कर किसी गांव में पहुंचते हैं, तो वह केवल एक दौरा नहीं, विश्वास की पुनर्स्थापना होती है। इस यात्रा ने ये साफ किया कि अगर ज़मीनी स्तर पर नेतृत्व संवेदनशील और सक्रिय हो, तो दुर्गम गांव भी खुद को राज्य की मुख्यधारा से जुड़ा महसूस कर सकते हैं। फुलेत जैसे गांवों में उम्मीद और हौसले का जो संचार इस यात्रा से हुआ है, वह आने वाले समय में राहत कार्यों को और गति देगा, बांकी मै क्या बोलू वो तो ये तस्वीरे गवाही दे रही हैं तबाही की भी डीएम सविन बंसल के दौरे की भी। दगड़ियो डीएम सविन बंसल का यह कदम उन सभी अधिकारियों के लिए भी एक संदेश है जो फील्ड विज़िट को केवल औपचारिकता मानते हैं। आपदा की घड़ी में प्रशासन अगर जनता के साथ खड़ा हो, तो राहत सिर्फ कागजों पर नहीं, ज़मीन पर नजर आती है। मुख्यमंत्री के निर्देश को असल रूप में ज़मीन पर उतारने का यह उदाहरण आने वाले वक्त में एक मिसाल बनेगा.. इस लिए मैने यहां लिका है एक जिलाधिकारी ऐसा भी।