द्वितीय केदार मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बुधवार प्रातः शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। Madmaheshwar Temple Kapat Close इस अवसर पर मंदिर को फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था। भगवान मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली देव निशानों और स्थानीय वाद्य यंत्रों की गूंज के बीच श्रद्धालुओं की उपस्थिति में प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान कर गई। 25 नवंबर को डोली शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएगी। बाबा मद्महेश्वर की डोली के अपने मंदिर से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर आगमन पर स्वयं केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग मंगोलचारी पहुंचकर डोली की अगवानी करते हैं। इस वर्ष 22 मई से शुरू हुई द्वितीय केदार की यात्रा में अभी तक 20 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं।
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि 20 नवंबर बुधवार को कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली रात्रि विश्राम हेतु गौंडार पहुंचेगी। 21 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर में प्रवास तथा 22 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी। 23 नवंबर को गिरिया से चलकर भगवान मद्महेश्वर की चलविग्रह डोली अपने देव निशानों के साथ शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में विराजमान हो जायेगी। इसी के साथ ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेगी। उल्लेखनीय है कि 23 नवंबर को ही मुख्य रूप से मद्महेश्वर मेला भी आयोजित होता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान मद्महेश्वर जी के दर्शन हेतु पहुंचते हैं।