पत्रकार की जान कैसे गई ! | Uttarakhand News | Journalist Rajeev Pratap | Corruption

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पत्रकार राजीव की रहस्यमयी मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। सरकार ने जांच कमेटी तो बना दी है, लेकिन न तो परिजनों को इस पर भरोसा है और न ही विपक्ष को सवाल ये है कि क्या ये जांच सच तक पहुंचेगी, या फिर इसे भी एक हादसा बताकर फाइल बंद कर दी जाएगी? Journalist Rajiv Pratap Death Case देहरादून में राजीव के घर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी सरकार से निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। ऐसे में अब निगाहें सरकार की नीयत और जांच के नतीजों पर टिकी हैं, कि आगे क्या होगा। दोस्तो उत्तरकाशी के पत्रकार राजीव प्रताप की मौत के मामले की जांच के लिए उत्तराखंड पुलिस ने एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) का गठन किया है। उत्तरकाशी के पुलिस उपाधीक्षक की अध्यक्षता में गठित एसआईटी सभी पहलुओं की जांच करेगी, जिसमें सीसीटीवी फुटेज, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, कॉल डिटेल और पत्रकार के साथ आखिरी बार देखे गए लोगों के बयान शामिल हैं। उत्तराखंड डीजीपी दीपम सेठ ने इसकी पुष्टि की, उत्तराखंड डीजीपी दीपम सेठ के मुताबिक, पत्रकार राजीव प्रताप के परिवार ने बताया था कि उन्हें धमकी भरे फोन आए थे। हालांकि इस संबंध में अभी तक कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है, लेकिन एसआईटी इस पहलू की भी जांच करेगी, लेकिन इस जांच से पहले ही सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि परिजन को एसआईटी की जांच से पहले ही आशंकाएं सताने लगी है।

पहले आप देखिए पुलिस ने क्या कहा, फिर बताउंगा प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री ने क्या दिया बयान और हां राजीव की पिता की उस बात को सुनाउंगा जिसमें वो जांच को लेकर संतुष्ट नहीं हैं, लेकिन पहले पुलिस तो दोस्तो ये बात पुलिस की हो गई पुलिस जांच करेगी एसआईटी जांच करेगी। उत्तरकाशी मेँ पत्रकार राजीव प्रताप की मौत के मामले मेँ जांच के लिए टीम गठित, जिसमें सभी पहलुओं का विश्लेषण करने का दावा किया जा रहा है। पत्रकार राजीव प्रताप सिंह 19 सितंबर को उत्तरकाशी में लापता हुए थे और उनका शव 28 सितम्बर को पुलिस ने बैराज से बरामद किया है। पत्रकार राजीव की मौत के मामले में जांच के लिए डीएसपी उत्तरकाशी के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया है। वहीँ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी लगातार पूरे मामले को देख रहे है। साथ ही निष्पक्षता के साथ जाँच करने की बात कही है। सूचना महानिदेशक ने भी पुलिस और मृतक पत्रकार के परिजनों से बातचीत कर उनको सांत्वना दी है।अब ये तो ठीक है कि लेकिन उस जांच पर ही जब पीड़ित परिवार सवाल उठाने लगे या जांच से पहले ही आशंका की बात होने लगी है तो फिर उस जांच का अंत क्या होगा, लेकिन मै आपको राजीव के पिता के उस बयान को दिखा रहा हूं जिसमें वो असमंजस में हैं। दोस्तो पत्रकार राजीव की मौत पर सरकार ने भले ही जाँच कमेटी गठित करने का काम किया हो, लेकिन विपक्ष और खुद मृतक राजीव के परिजनों को जाँच कमेटी पर विश्वास नहीं है।

देहरादून में मृतक राजीव के घर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने परिजनों को सांत्वना देने का काम किया। साथ ही सरकार से उच्च स्तरीय जाँच की भी मांग की है। वहीँ मृतक राजीव के पिता को भी आशंका है कि जिस तरह से पुलिस पहले ही राजीव की मौत को हादसा बता रही है। ऐसे में हमें डर है कि कहीं जाँच कमेटी भी इसे हादसा ही ना घोषित कर दे, तो दोस्तो जांच से पहले ही सवाल उठना। क्या कहता है दोस्तो, राजीव अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी मौत से जुड़े सवाल आज भी ज़िंदा हैं। परिवार को इंसाफ चाहिए, न कि सिर्फ एक जांच कमेटी की औपचारिकता, जब पुलिस पहले ही मौत को हादसा बता चुकी है, तो परिजनों को डर है कि कहीं जांच भी उसी दिशा में ना मोड़ दी जाए। अब देखना होगा कि सरकार सच सामने लाने की कोशिश करती है या फिर ये मामला भी वक्त के साथ दबा दिया जाएगा, ये तो वक्त बताएगा।