धामी सरकार का बड़ा फैसला, उत्‍तराखंड में खत्‍म हुई अंग्रेजी हुकूमत से चली आ रही कानूनी व्‍यवस्‍था!

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देहरादून: अंकिता भंडारी केस से चर्चा में आए 150 साल पुराने पुलिस पटवारी सिस्टम को उत्तराखंड सरकार ने खत्म खत्म कर दिया है। अब हत्या, रेप जैसे जघन्य अपराधों की जांच नियमित पुलिस ही करेगी। सभी केसों की फाइल तुरंत पुलिस को दी जाएगी। अन्य अपराधों को भी चरणबद्ध तरीके से पुलिस के पास भेजा जाएगा। राज्य सरकार ने पहले चरण में 1800 गांवों में राजस्व पुलिस व्यवस्था को रेगुलर पुलिस में परिवर्तित कर दिया है। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के कई इलाकों में राजस्व पुलिस व्यवस्था को नियमित पुलिस व्यवस्था के तहत लाए जाने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है।

इसके प्रथम चरण के अन्तर्गत 52 थाने एवं 19 रिपोर्टिंग पुलिस चौकियों का सीमा विस्तार करते हुए कुल 1800 राजस्व पुलिस ग्रामों को नियमित पुलिस व्यवस्था के अन्तर्गत अधिसूचित किया गया है। 1800 गांवों में पुलिस व्यवस्था स्थापित होने से अपराध एवं असामाजिक गतिविधियों में कमी आयेगी। इसमें देहरादून जिले के 4, उत्तरकाशी के 182, चमोली जिले के 262, टिहरी जिले के 157 और पौड़ी जिले के 148 गांव शामिल हैं। इस संबंध में द्वितीय चरण में 6 नये थानों एवं 20 रिपोर्टिंग पुलिस चौकियों का गठन प्रस्तावित है।

इस सम्बन्ध में द्वितीय चरण में 6 नये थाने एव 20 रिपोर्टिंग पुलिस चौकियों का गठन प्रस्तावित है। नये थाने चौकियों के गठन के अन्तर्गत लगभग 1444 राजस्व ग्राम नियमित पुलिस व्यवस्था के अन्तर्गत अधिसूचित किये जाने की कार्यवाही शीघ्र ही पूर्ण कर ली जायेगी। बता दें, पटवारी पुलिस महज एक कानून-व्यवस्था की मशीन नहीं बल्कि पहाड़ी समाज का एक अंग भी थी। इस व्यवस्था की पहचान उत्तराखंड से है तो उत्तराखंड की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान भी पटवारी पुलिस में निहित है।