विधायक ने दिखाई,थाइलैंड की अयोथ्या नगरी,जहां बनेगा प्रभु श्रीराम का मंदिर| Uttarakhand News

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जी हां दोस्तो हर भारतीय के लिए गौरव का पल, दिवाली UNESCO अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की लिस्ट में शामिल, तो उधर थाइलैंड में अयोथ्या की धरती पर प्रभु श्रीराम का मंदिर। कैसे ये छण सनातन संस्कृति का गौरव बन गया। Ayodhya city of Thailand क्या है प्रभु श्रीराम का थायलैंड से कनेक्शन, क्या कहा हरिद्वार के साधु-संतों और सियासी लोगों का बताउंगा अपनी इस रिपोर्ट के जरिए। दोस्तो कैसे आज की तारीख भारतीय संस्कृति के इतिहास में, सुनहरे अक्षरों से लिखी जा रही है। भारतवासियों के लिए ये गौरव का क्षण है। हमारा रोशनी का महापर्व दीपावली आखिरकार अब एक त्योहार नहीं, बल्कि एक वैश्विक धरोहर बन गया है, तो उधर थायलैंड प्रभुश्रीराम का मंदिर। पूरी खबर को अंत देखिएगा दोस्तो मै शुरुआत कर रहा हूं थायलैंड की अयोथ्या से जहां आने वाले वक्त में भव्य श्रीराम मंदिर बनने जा रहा है। दोस्तो धार्मिक नगरी हरिद्वार के खानपुर से निर्दलीय विधायक हैं उमेश कुमार। उमेश कुमार ने किया वीडियो जारी किया है। इसमें उन्होंने बताया कि थाइलैंड के अयोथ्या की धरती पर प्रभु श्रीराम के मंदिर की स्थापना के लिए भूमि के चयन के लिए आचार्य पहुंच रहे है। इस दौरान उनके वीडियो में विख्यात संत आचार्य महामंडलेश्वर श्री कैलाशानंद ज , भजन सम्राट कन्हैया मित्तल और बॉलीवुड गायक राहुल यादव (फ़ाज़िलपुरिया) सहित कई लोगो प्रतिनिधि मंडल भी मौजूद है। दोस्तो बता दूं कि थाईलैंड वैसे तो बौद्ध बहुल देश है, लेकिन हिंदू रीति-रिवाज वहां खूब दिखते हैं। वहां के शाही परिवार में भी बहुत सी परंपराएं हिंदुओं से मिलती-जुलती हैं। प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयुथ्या से भी मिट्टी भेजी गई थी। खुद राम जन्मभूमि ट्रस्ट के जनरल सेक्रेटरी चंपत राय कहा था कि अयुथ्या और कुछ नहीं, बल्कि थाइलैंड की अयोध्या है। यहीं पर अबने गा श्रीराम का मंदिर। वहीं दूसरी एक और तस्वीर समने आई, ये हरिद्वार से सामने आई। दोस्तो दुनिया को रोशन करने वाला दीपों का पावन पर्व दीपावली अब वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुका है।

यूनेस्को ने दिवाली को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल कर ये साबित कर दिया है कि भारतीय परंपराएं केवल उत्सव नहीं, बल्कि मानव सभ्यता की अनमोल धरोहर हैं। दिवाली हमेशा से प्रकाश, उम्मीद, आध्यात्मिक ऊर्जा और घर-आंगन में समृद्धि का प्रतीक रही है। दोस्तो यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में दीपावली को शामिल किए जाने के फैसले का हरिद्वार के साधु-संतों ने जोरदार स्वागत किया है। हिंदू रक्षा सेवा के अध्यक्ष प्रबोधानंद गिरि महाराज ने कहा कि दीपावली केवल उत्सव नहीं, बल्कि अंधकार से प्रकाश, नकारात्मकता से सकारात्मकता और अज्ञान से ज्ञान की यात्रा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह पर्व सनातन परंपराओं की आत्मा है, जो मानव जीवन को उत्थान, सद्भाव और धर्ममय जीवन की ओर प्रेरित करता है। गिरि महाराज के अनुसार दुनिया अब भारत की आध्यात्मिक विरासत और सांस्कृतिक मूल्यों को सम्मान देने लगी है, जो अपने आप में ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसी क्रम में महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश ने भी यूनेस्को का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि दीपावली को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलना इस बात का संकेत है कि भारत विश्व गुरु बनने की दिशा में सशक्त कदम बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि यह पर्व अब सिर्फ भारतीय सीमाओं तक सीमित नहीं, बल्कि विश्व समुदाय के साझा उत्सव के रूप में देखा जाएगा। उनका मानना है कि आने वाले वर्षों में दुनिया के तमाम देश दीपावली को शांति, सौहार्द और प्रकाश के प्रतीक के रूप में अपनाएंगे और यह भारत की सांस्कृतिक विराटता का संदेश संपूर्ण विश्व में फैलाएगा। दोस्तो स्वागत होना भी चाहिए, भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा के इतिहास में सुनहरे अक्षरों से दर्ज ने होने पर गर्व होना चाहिए। दीपावली अब सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने भारत की अमूल्य सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बन चुका है। यूनेस्को की इस वैश्विक मान्यता और थाईलैंड अयुथ्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर के निर्माण की खबरें ये साबित करती हैं कि भारतीय सभ्यता और धर्म की रोशनी अब सीमाओं से परे फैल रही है।