जिंदगी पहाड़ों पर आसान नहीं है, और जिंदगी गांवों में आसान नहीं है। जिन लोगों के खौफ की बात में आगे करने जा रहा हूं। वो खौफ वो डर यूं ही नहीं है। अभी चुनाव के दौरान एक तस्वीर मेने आपको दिखाई थी। कि कैसे पोलिंग टीम अपने बूथ तक पहुंचने को मजबूर है। The mysterious ditch वहां के लोगों के लिए कितनी बड़़ी मुसीबत होगी। पहली तस्वीर वो जब पंचायत चुनाव कराने को एक टीम इस गांव तक पहुंचने की जदोजहत करती दिखाई दी थी। यहां मदद गांव वालों ने की, वरना यहां चुनावी टीम पहुंच ही नहीं पाती। दूसरी तस्वीर वो तस्वीर है जब चुनाव खत्म हुआ टीम मतपेटियों के साथ वापस लौटी, तो चुनौती वहीं कि इस खतरनाक खाई परेशानी खड़ी कर रही थी। तब भी गांव वालों ने मदद की। दरअसल दोस्तो ये डराने वाली तस्वीरें देहादून के बटोली गांव की हैं। जहां के हालात के बारे में आगे में आपको विस्तार से बताने जा रहा हूं, लेकिन सच तो दगड़ियो ये भी है कि अगर चुनाव नहीं होता। चुनावी टीम इस रास्ते से यहां नहीं पहुंचती तो शायद ही इस गांव की परेशानियां हमारे सामने आ पाती। उत्तराखंड के देहरादून जिले के सहसपुर स्थित बटोली गांव एक अजीब सी प्राकृतिक मुसीबत में घिरा हुआ है। परेशानी ऐसी कि जो दिनों दिन बढ़ती जा रही है और इसका कारण भी ग्रामीण नहीं समझ पा रहे हैं।
दरअसल, मामला इस गांव से ठीक पहले बनी 4 किलोमीटर लंबी और गहरी खाई का है, जो लैंडस्लाइड के चलते बढ़ती जा रही है। हालांकि, लैंडस्लाइड के पीछे की वजह को जानने के लिए भूवैज्ञानिक भी यहां पहुंचे थे, लेकिन अबतक फिलहाल ग्रामीणों के लिए ये गहरी खाई एक रहस्य ही बनी हुई है। उत्तराखंड के नक्शे पर बटोली गांव भले ही राजधानी के नजदीक दिखता हो, लेकिन हकीकत में ये जगह अब लोगों के रहने लायक नहीं रह गई है। शायद यही कारण है कि ग्रामीणों ने अब इस गांव से पलायन करना भी शुरू कर दिया है। करीब 150 से 200 लोगों के जनसंख्या वाले इस गांव में यूं तो खेत, खलिहान और पशुपालन के जरिए लोग अच्छी खासी आमदनी कर पा रहे हैं, लेकिन कुछ प्राकृतिक घटनाएं ऐसी हो रही हैं जो ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गई है। देहरादून से करीब 28 से 29 किलोमीटर सहसपुर की तरफ जाने के बाद ये गांव आता है। करीब एक 1 किलोमीटर कच्ची सड़क के रास्ते से उस जगह पर पहुंचा जा सकता है, जहां पर बड़ा लैंडस्लाइड हुआ है और ये तेजी से बढ़ भी रहा है। हालांकि, गांव के लोग कहते हैं कि इस जगह पर इतना बड़ा लैंडस्लाइड इतने कम वक्त में कैसे हो गया और इतनी बड़ी खाई यहां कैसे बन गई, ये किसी की समझ में नहीं आ रहा है। इसके लिए जिला प्रशासन के साथ ही भूवैज्ञानिक भी यहां अध्ययन करने पहुंचे थे।
लेकिन अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है कि आखिरकार इस जगह पर बेहद कम वक्त में इतना ज्यादा लैंडस्लाइड कैसे हो गया?दोस्तो पहाड़ के बीचों बीच बनी रहस्यमई खाई कच्चे रास्ते यहां वाहनों के पहिये थम जाते हैं। क्योंकि इससे आगे जाने का कोई रास्ता ही नहीं बचता। मौके पर पहुंचने पर स्थिति साफ होती है। स्पष्ट नजर आ रहा है कि पहाड़ के बीच में बड़ा लैंडस्लाइड हो रहा है, जिसमें किसी जल स्रोत से पानी भी निकल रहा है। जबकि चारों तरफ से मलबा गिर रहा था। न केवल भूरी मिट्टी बल्कि लाल मिट्टी भी कुछ जगह पर दिख रही थी। इसका मतलब साफ है कि यहां पर कुछ जगह पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा काफी गहराई तक टूट रहा है। इससे भी हैरानी वाली बात यह है कि गांव के बुजुर्ग और बच्चे जान हथेली पर रखकर भूस्खलन पार कर गांव की ओर जाने को मजबूर हैं। दोस्तो ऐसा नहीं है कि ये आज ही हो रहा है 10-15 साल से धीरे-धीरे हो रहा था लैंडस्लाइड: स्थानीय लोगों ने बताया कि इस क्षेत्र में पिछले 10-15 साल से भूस्खलन हो रहा है। पहले हल्का होता था तो उससे सड़क ठीक थी। उससे बचाव के लिए कुछ तरीके भी अपनाए गए लेकिन वो इतने कारगर साबित नहीं हुए। हालांकि, इस साल ये लैंडस्लाइड कई गुना बढ़ा और हालात ये हैं कि पैदल रास्ता ही खत्म हो गया है। इससे पूरा गांव प्रभावित हो गया है।