आज हम लेकर आए हैं एक ऐसे विवाद की खबर, जिसने बेरोजगार युवाओं के बीच आग लगा दी है। भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के गंभीर आरोप के बाद सैंकड़ों युवा देहरादून के परेड मैदान में एकत्रित हुए हैं। Uttarakhand Paper Leak Case इन युवाओं की मांग है – सीबीआई से हो जांच, ताकि सच की परतें खुल सकें, क्या सच में कोई बड़ी साजिश चल रही है? या फिर ये केवल एक प्रशासनिक चूक है? मेरे साथ अंत तक बने रहिएगा। क्योंकि मै दिखाने जा रहा हूं बेरोजगारों के गुस्से को मै दिखाने जा रहा हूं सियायत के रंग को। दोस्तो उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के मामलों ने एक बार फिर युवाओं का भरोसा हिला दिया है। इसी मुद्दे को लेकर सैकड़ों की संख्या में बेरोजगार युवा देहरादून के परेड ग्राउंड में एकत्र हुए। युवाओं का कहना है कि हर बार की तरह इस बार भी सरकार ने पेपर लीक होने के बावजूद दोषियों को बचाने का काम किया है और जांच केवल खानापूर्ति बनकर रह गई है। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने सरकार से सीबीआई जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि नकल माफिया को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है और उनके तार कई सफेदपोशों और अधिकारियों से जुड़े हुए हैं। हम हर साल ईमानदारी से परीक्षा की तैयारी करते हैं, लेकिन हर बार पेपर लीक हो जाता है। सरकार सिर्फ बयान देती है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
अगर CBI जांच नहीं हुई, तो हम सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे। इसके अलावा सफेदपोशों और अफसरों पर आरोप भी आरोप लग रहे हैं। जी हां दगड़ियो प्रदर्शनकारी युवाओं ने यह भी आरोप लगाया कि पेपर लीक केवल बाहरी माफिया का काम नहीं है, बल्कि इसमें अधिकारियों और कुछ नेताओं की मिलीभगत भी शामिल है। उनके अनुसार, यह कोई सामान्य प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध है जिसे वर्षों से नजरअंदाज किया जा रहा है और ये तो पूरा उत्तराखंड देख ही रहा था और अब तो देश में इस पेपरलीक कांड की गूंज है। उत्तराखंड बेरोजगार संघ, जो इस प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा है, ने कहा कि यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो राज्य भर में आंदोलन तेज किया जाएगा। संघ के अध्यक्ष ने चेतावनी दी कि अब युवाओं का सब्र जवाब दे रहा है। ये केवल नौकरी की बात नहीं है, ये भविष्य और भरोसे का सवाल है। इधर दोस्तो एक तरफ प्रदर्शन और दूसरी तरफ देहरादून में धारा एक 163 लागू कर दी गई। ये वो धारा है जो इससे पहले 144 के नाम से जानी जाती थी। इसका मतलब सब जानते हैं वहीं दूसरी ओर, प्रशासन ने आंदोलन को देखते हुए सतर्कता बढ़ा दी है।
देहरादून शहर में जगह-जगह पुलिस तैनात कर दी गई है। परेड मैदान के आस-पास के इलाकों में धारा 163 लागू की गई है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके। हालांकि प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा, लेकिन पुलिस और प्रशासन हर स्थिति पर नजर बनाए हुए है। दोस्तो ये तस्वीर अपने आप में कई सवालों को जन्म देती है। कई आरोप लग रहे हैं, जांच सीबीआई से कराई जाय और भी तमाम आरोप। दोस्तो घटनाक्रम यह बताता है कि उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता को लेकर युवा कितने असंतुष्ट और आक्रोशित हैं। पेपर लीक केवल एक परीक्षा की विफलता नहीं है, यह एक पूरी प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। यदि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेती है और केवल तात्कालिक समाधान देती है, तो यह युवाओं का भरोसा खोने का एक और बड़ा कारण बनेगा। दगड़ियो अब देखना यह है कि सरकार इस जनाक्रोश को कैसे लेती है — एक चेतावनी के रूप में या एक और अनसुना कर देने वाले विरोध के रूप में ये देखना होगा। ये बात उन बेरोजगारों की मैने आपको बताई जो सालों तैयारी करते हैं नौकरी के लिए परीक्षा की परीक्षा होती है तो वो विवादों में आ जाती है और अटक जाता है कई बेरोजगार युवाओं का वो सपना अधर में जिससे वो अपने भविष्य को बेहतर देख रहे थे।