अवैध वेनम सेंटर का क्या है सच? दोस्तो ये सवाल तब भी था जब अवैध वेनम सेंटर को लेक खूब बात हूई, और आज भी ये सवाल बरकरार है। Haridwar Snake Venom Case उत्तराखंड में एक खतरनाक खेल जारी है, जहां अवैध वेनम सेंटर ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, लेकिन इस जहर के खेल से अब तक पर्दा नहीं उठ पाया, क्या है इस रहस्यमय केंद्र का सच? कौन हैं इसके पीछे के लोग? आज मैं इस मामले में हो रही जांच की गहराई से जुड़ी हर अहम जानकारी, के साथ आया हूं। जिसे जानना हर नागरिक के लिए जरूरी है, दोस्तो हरिद्वार में अवैध वेनम सेंटर मामला: जांच में देरी और फरार संचालक की तलाश कैसे बनी पहेली, बात इस पर होगी। दगडड़ियो उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में चल रहे अवैध वेनम सेंटर के मामले ने वन विभाग और पुलिस दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। जहरीले सांपों के जहर का अवैध कारोबार पिछले करीब एक महीने से चर्चा में है, लेकिन अब तक इस मामले में जांच में देरी और मुख्य आरोपी संचालक के फरार होने से सुलझाव नहीं हो पाया है।
वन विभाग इस प्रकरण की जांच लगभग एक महीने से कर रहा है, लेकिन आरोपी नितिन नामक शख्स की पकड़ से अभी तक सफलता नहीं मिली है। इसी कारण अब इस जांच को पुलिस के सुपुर्द करने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन जब इस मामले में सुबोध उनियाल वन मंत्री से सवाल किया पत्रकारों ने तो जवाब कुछ यूं मिला। दोस्तो इस जवाब में उतना दम दिखा नहीं जितनी गंभीरता से इस मामले को लिया जाना चाहिए था। इस मामले में पूर्व केंद्रिय मेंत्री और उत्तरप्रदेश में बीजेपी की नेता मनेका गांधी भी अपने पत्र के जरिए कई सवाल कर चुकी हैं, जिमसें उन्हें ने पूरे के पूरे वन महकमे को कठघरे में खड़ा करके कई आरोप लगाए थे। लेकिन यहां जांच के नाम पर कुछ ठोस कार्रवाई होती दिखाई नहीं दे रही है। दगड़ियो करीब एक महीने पहले एक अवैध वेनम सेंटर संचालित होने की सूचना मिली थी। इस सेंटर में जहरीले सांपों का जहर अवैध रूप से रखे जाने और उससे व्यापार किया जाने की आशंका जताई गई। जानकारी के मिलते ही वन विभाग की टीम सक्रिय हो गई और तुरंत संचालक के खिलाफ मामला दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी गई। राजाजी टाइगर रिजर्व और हरिद्वार डिवीजन की टीमों ने विभिन्न स्थानों पर दबिश दी, लेकिन आरोपी का कोई सुराग नहीं मिला। यहां दोस्तो जांच में सामने आया कि नितिन लंबे समय से इस अवैध कारोबार में लिप्त था और उसने एक व्यापक नेटवर्क भी खड़ा कर रखा था। इस कारण मामला और गंभीर हो गया है, वन विभाग के अधिकारी इस कारोबार के दायरे को समझने की कोशिश कर रहे हैं ताकि पूरी गिरोह का पर्दाफाश किया जा सके।
इधर दोस्तो इस मामले में मुख्य आरोपी फरार है और इस मामले की जांच पड़ताल कछुवा चाल चल रही है। मुख्य आरोपी नितिन के फरार होने के बाद न्यायालय ने उसके खिलाफ नॉन-बेलेबल वारंट जारी कर दिया है, जिससे उसकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया और भी सख्त हो गई है। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इस मामले में वन विभाग की कार्रवाई को लेकर कहा है कि जांच शुरू होने के बाद से ही विभाग पूरी तत्परता से काम कर रहा है, लेकिन आरोपी अभी तक पकड़ में नहीं आ पाया है, लेकिन इससे इतर और जवाब और ठोस हो सकता था। अगर वन विभाग की कार्रवाई तेजी हो रही होती, लेकिन नहीं वन मंत्री ने यह भी बताया कि पुलिस को इस प्रकरण की जांच सौंपने पर विचार चल रहा है और जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इससे साफ है कि अब मामले को लेकर उच्च स्तर पर गंभीरता से सोचा जा रहा है। दोस्तो जब रुड़की में वन विभाग के नाक के नीचे अवैध वेनम सेंटर चल रहा था, तब भी ये सवाल उठा था कि कैसे ये अवैध वेनम सेंटर चल रहा है, लेकिन तब भी कोई ठोस दावा वन विभाग करने की स्थिति में नहीं था और मेनका गांधी के पत्र ने तो वन विभाग के बड़े अधिकारियों की कार्यशैली को ही कठघरे में खड़ा कर दिया था।
दोस्तो वन विभाग की जांच में एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी न हो पाने और मामले की गुत्थी सुलझ न पाने से आम जनता में चिंता और असंतोष बढ़ रहा है। इस अवैध कारोबार के कारण न केवल पर्यावरण और वन्यजीवन को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि इससे जुड़े अपराध भी बढ़ सकते है। दोस्तो विशेषज्ञों का कहना है कि जहर का यह अवैध कारोबार न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा है। ऐसे मामलों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई आवश्यक होती है, ताकि अपराधियों को कानून के शिकंजे में लाया जा सके। वन विभाग की जांच में देरी से न केवल आरोपियों को मौका मिलता है, बल्कि इससे जनता का भरोसा भी डगमगा सकता है। अब वन मंत्री के बयान से यह स्पष्ट होता है कि अब यह मामला वन विभाग से पुलिस को हस्तांतरित किया जा सकता है। पुलिस के पास जांच करने के अधिक संसाधन और ताकत होती है, खासकर जब आरोपी फरार हो और कई राज्यों में छिपा हो।
उत्तर प्रदेश और अन्य पड़ोसी राज्यों तक आरोपी की तलाश जारी है, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली। पुलिस को जांच सौंपने से इस मामले में व्यापक जांच की संभावना बढ़ जाती है। इससे अपराध के नेटवर्क को तोड़ने और आरोपियों की गिरफ्तारी में तेजी आने की उम्मीद है। हालांकि, इसके लिए वन विभाग और पुलिस के बीच बेहतर समन्वय और साझा रणनीति आवश्यक होगी। अवैध वेनम सेंटर मामले ने उत्तराखंड के वन विभाग और पुलिस के सामने गंभीर चुनौती पेश की है। आरोपी की गिरफ्तारी और पूरे मामले की तह तक जाने के लिए तेजी से और समन्वित कार्रवाई की जरूरत है। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इस मामले को लेकर आश्वासन दिया है कि जल्द ही अंतिम निर्णय होगा और जांच में देरी नहीं होने दी जाएगी। आने वाले दिनों में इस मामले की जांच को पुलिस के सुपुर्द करने से उम्मीद की जा रही है कि वह इस पहेली का समाधान कर सकेगी। जनता की नजरें अब इस पर टिकी हैं कि आखिर कब तक इस अवैध कारोबार के अपराधियों को कानून के कटघरे में लाया जाएगा।