इस साल 2023 की चारधाम यात्रा को अच्छी तरह आरंभ और सकुशल संपन्न करना सरकार के लिए काफी बड़ी चुनौती रहेगी। पिछले साल 2022 में चारधाम यात्रा ने ऐतिहासिक रिकॉर्ड कायम किया था। देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड के चारों धामों में पहुंचे थे। कोरोना काल के बाद साल 2022 उत्तराखंड पर्यटन के लिहाज से भी काफी सकारात्मक रहा। वहीं, इस साल सरकार वही उपलब्धि दोहराने के साथ ही नए रिकॉर्ड की ओर देख रही है लेकिन उससे पहले कई चुनौतियां हैं जो सरकार को पार करनी होंगी। जोशीमठ में दरारों की बात हो या फिर स्वास्थ्य और दूसरी व्यवस्थाओं का मुकम्मल होना, ऐसे में साल 2023 की चारधाम यात्रा को सकुशल संपन्न कराना बड़ी चुनौती है।
जोशीमठ में घरों, सड़कों और पहाड़ों में आ रही दरारें आए दिन बढ़ती जा रही हैं। ऊपर से चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी सरकार को परेशानी में डाल सकती है। चारधाम यात्रा का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बदरीनाथ है। हालांकि, केदारनाथ में श्रद्धालुओं की संख्या बीते कुछ सालों से बढ़ी है लेकिन आज भी सबसे अधिक भीड़ बदरीनाथ धाम में ही होती है। बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब को जाने वाला रास्ता जोशीमठ शहर से होकर गुजरता है। ऐसे में बीते दिनों से जोशीमठ शहर में आ रही दरारें कहीं इस यात्रा को बाधित न कर दें, हालांकि, जोशीमठ का एक छोटा हिस्सा ही इस आपदा से गुजर रहा है। लेकिन जब यात्रा के दौरान सैकड़ों की तादाद में वाहन बदरीनाथ की तरफ जाते हैं तो यह रास्ता उनके लिए मुख्य पड़ाव होता है। ऐसे में कई बार इन रास्तों पर लंबे-लंबे जाम भी लग जाते हैं। राज्य सरकार और सिस्टम के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगा।