रामनगर: गर्जिया मंदिर के टीले में आई दरारों को भरने और इसके पुनर्निर्माण का मामला अधर में लटक गया है। 10 सालों से अभी तक इस पर कोई काम नहीं हुआ है। मंदिर के मुख्य पुजारियों ने कहा बरसात में मंदिर के टीले को खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा सरकार के इसके लिए धरातल पर काम करना चाहिए। गर्जिया मंदिर की टीले में बाढ़ से आई दरार का सरकार ने संज्ञान लिया था। उस वक्त पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने फरवरी 2021 में टीले का कार्य कराने की बात कही थी। लेकिन अभी तक इस ओर कोई काम नहीं किया गया है। 2010 में आई बाढ़ से गर्जिया मंदिर के टीले में हल्की दरार आई थी।
2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने रामनगर का दौरा किया था। उस वक्त मंदिर समिति के लोगों ने मंदिर के टीले में आई दरार की बात उनके सामने रखी थी। जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने मंदिर की सुरक्षा की घोषणा की थी। जिसके बाद तुरंत ही यहां पर रुड़की से पहुंची टीम ने मंदिर के टीले की जांच की। जिसमें टीम ने मंदिर के टीले को आने वाले समय मे बाढ़ से खतरा बताया। मामले में सिंचाई विभाग द्वारा भी कई बार मंदिर के टीले की सुरक्षा को लेकर कई बार प्रस्ताव शासन को भेजा है, लेकिन अभी तक ना ही राज्य तकनीकी सलाहकार समिति की बैठक इसे लेकर हुई और ना ही इसके लिए बजट आवंटित हुआ है। जिसके कारण ये मामला अधर में लटका हुआ है।
बताया जा रहा है कि आगामी 13 जुलाई को राज्य तकनीकी सलाहकार समिति की बैठक में अनुमोदन के बाद ही टीले के बजट को शासन को भेजा जाएगा। सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता राजीव खनौलिया ने बताया गर्जिया मंदिर का टीला एक नाजुक प्वाइंट पर पहुंच चुका है। उन्होंने बताया 2021 अक्टूबर माह में आई बाढ़ की वजह से टीले में काफी दरार आई है। 2021 अक्टूबर में आई बाढ़ की वजह से जो ब्लॉक हमारे द्वारा पूर्व में बनाए गए थे, वह भी पूरी तरह डैमेज हो गए हैं। वर्तमान में इसके लिए एक योजना बनाई गई है. जिसमें वर्तमान दर के हिसाब से 554.86 लाख की लागत आएगी। अब देखना होगा की सलाहकार समिति की पहली बैठक के बाद सरकार द्वारा धरातल पर काम खरा उतरता है या नहीं।