उत्तराखंड का बेटा जिसे UP पुलिस का मिला बड़ा जिम्मा? गांव में बंटी मिठाई, जश्न का माहौल। आखिर किसकी कामयाबी पर खुश हुआ उत्तराखंड?सादा जीवन, उच्च सोच, उत्तराखंड के रघुवीर लाल ने यूपी में हासिल किया बड़ा ओहदा कौन हैं रघुवीर लाल? दोस्तो बेटा उत्तराखंड का और उत्तरप्रदेश में बन कैसे बन गया बड़ा अधिकारी। IPS Raghubir Lal दोस्तो उत्तराखंड के कई आईएएस-आईपीएस अधिकारी देशभर के अलग-अलग राज्यों में उच्च पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हम बार बार पौड़ी का जिक्र करते हैं कि आपको ये नाम अजीत डोभाल। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) से जुड़े रहे और देश की सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं, ऐसे आपको कई लोग मिल जाएंगे। जो देश के फलक पर देश के उच्च पदों पर हैं, लेकिन अब इस सूची में एक ओर नाम जुड़ गया है। रुद्रप्रयाग जिले राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि के पूर्व छात्र रघुवीर लाल। जी हां दोस्तो रघुवीर लाल को उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर का नया पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है। उनकी इस उपलब्धि से पूरे जिले में हर्ष और उत्साह का माहौल है।
दोस्तो रघुवीर लाल का मूल निवास ग्राम सभा मणिगुह, विकासखंड अगस्त्यमुनि, जिला रुद्रप्रयाग में है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय मणिगुह, इंटरमीडिएट की पढ़ाई गणेशनगर और स्नातक शिक्षा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि से पूरी की है। दोस्तो जब छोटे गांवों से निकलकर कोई शख्स देश के प्रशासनिक ढांचे में ऊंचा मुकाम हासिल करता है, तो वो न सिर्फ अपने परिवार, गांव और ज़िले का नाम रोशन करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण बन जाता है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के मणिगुह गांव से निकले आईपीएस अधिकारी रघुवीर लाल ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। दोस्तो उत्तर प्रदेश में 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी रघुवीर लाल को अब कानपुर नगर का पुलिस कमिश्नर बनाया गया है। यह न सिर्फ एक बड़ी प्रशासनिक जिम्मेदारी है, बल्कि यह उन तमाम युवाओं के लिए एक उदाहरण है जो सीमित संसाधनों में रहते हुए भी बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं। दोस्तो रघुवीर लाल का जन्म और प्रारंभिक जीवन उत्तराखंड के जिला रुद्रप्रयाग के छोटे से गांव मणिगुह में बीता। यह गांव विकासखंड अगस्त्यमुनि में स्थित है, जो प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक समृद्धि से भरा हुआ इलाका है, लेकिन संसाधनों की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण भी, उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय मणिगुह से हासिल की।
इसके बाद इंटरमीडिएट की पढ़ाई गणेशनगर से और फिर स्नातक की पढ़ाई राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि से पूरी की। शिक्षा की ये यात्रा बताती है कि प्रतिभा किसी बड़े स्कूल या शहर की मोहताज नहीं होती। अब मैं बताता हूं आपको रघुवीर लाल कैसे आईपीएस बने। आईपीएस बनने तक का सफर, रघुवीर लाल 1997 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी हैं। उनकी काबिलियत, ईमानदारी और प्रशासनिक कुशलता के चलते उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस में कई अहम पदों पर कार्य किया है। कानपुर नगर जैसे बड़े और संवेदनशील शहर का पुलिस आयुक्त बनाए जाना, उनके करियर का एक महत्वपूर्ण और सम्मानजनक पड़ाव है। इसके सात ही आपको बता दूं कि ट्रांसफर से पहले वे लखनऊ में अपर पुलिस महानिदेशक (ADG), सुरक्षा के पद पर कार्यरत थे। इस जिम्मेदारी के दौरान भी उन्होंने न केवल अनुशासन, बल्कि मानवीय संवेदनाओं के साथ कानून-व्यवस्था को बनाए रखा। उनकी इस बड़ी उपलब्धि की खबर जब गांव पहुंची, तो मणिगुह गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों ने मिठाइयां बांटी, ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया और एक स्वर में कहा — यह सिर्फ रघुवीर लाल की नहीं, पूरे गांव की सफलता है।
दोस्तो ये जान लीजिए की प्रशासनिक दृष्टिकोण से कानपुर में नई जिम्मेदारी कैसी है कितनी चुनौतीपूर्ण है। कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े और औद्योगिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। यहां का पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम, शहरी अपराध, ट्रैफिक, कानून-व्यवस्था, राजनीतिक हलचल और संवेदनशीलता के चलते बेहद जटिल होता है। ऐसे में रघुवीर लाल को यह जिम्मेदारी मिलना, यह दिखाता है कि उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन को उन पर पूरा भरोसा है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि वे इस नई भूमिका में कैसे खुद को साबित करेंगे। दोस्तो रघुवीर लाल की सफलता कोई संयोग नहीं है। ये वर्षों की मेहनत, सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता और पहाड़ से मिली सादगी और अनुशासन का परिणाम है। उनकी कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो सोचता है कि छोटे गांवों से बड़े सपने नहीं देखे जा सकते। रघुवीर लाल ने ये साबित किया है कि संघर्ष की ज़मीन से ही सफलता का महल खड़ा होता है। दोस्तो उत्तराखंड को रघुवीर लाल पर गर्व है — और उनके गांव मणिगुह से लेकर कानपुर की सड़कों तक, अब हर कोई यही कह रहा है — यह सच्चे कर्मयोगी की जीत है।