जी हां दोस्तो उत्तराखंड के जिस आंतक की चर्चा देश में हो गई, उस आतंक ने अब खतरे में डाल दी हजारों लोगों की जिंदगी। अब तो स्थिति ये है कि लोग घरों में दुबकने को मजबूर हैं, लेकिन ऐसा अचानक क्यों हुआ। इससे निपटने की क्या तैयारी, बताउंगा आपको अपनी इस रिपोर्ट के जरिए। दोस्तो आज में बात एक ऐसे जिले की जा रहा हूं जिसका धर्मिक महत्व बहुत बड़ा है रुद्रप्रयाग, रुद्रप्रयाग में इन दिनों डर का साया गहराता जा रहा है। दोस्तो यहां गुलदार के बाद अब भालू भी गांवों में आतंक मचा रहे हैं। बीते तीन महीनों में कई लोग घायल हुए हैं, तो कई मवेशियों की जान जा चुकी है, स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि 128 गांवों को संवेदनशील घोषित किया गया है। दोस्तो आखिर क्यों जंगल छोड़कर आबादी की ओर बढ़ रहे हैं जंगली जानवर? वीडियो को अंत तक जरू देखिएगा दोस्तो। दोस्तो ये तस्वीर रवि ग्राम वार्ड के पास जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्र की है यहां एक भालू बिजली के तार में उलझ गया, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई। इसकी सूचना तुरंत वन विभाग को दी गई। वन विभाग की टीम समय रहते मौके पर पहुँची और त्वरित कार्रवाई करते हुए भालू को सुरक्षित रूप से रेस्क्यू किया। बाद में भालू को एक पिंजरे में सुरक्षित कर लिया गया, अब दोस्तो यहां तो भालू फंस गया पकड़ा गया। पौड़ी में एक आदमखोर गुलदार मारा गया, लेकिन क्या रुद्रप्रयाग में कभी इन गलदार-भालू के आतंक से निजात मिलेगी। ये मै क्यों कह रहा हूं उसके लिए इस रिपोर्ट को अंत तक जरू देखिएगा।
दोस्तो रुद्रप्रयाग जनपद में इन दिनों गुलदार के साथ ही भालू का आतंक है। बीते तीन माह में गुलदार 15 से अधिक इंसानों को घायल कर चुका है। जबकि गुलदार इस साल अभी तक चार लोगों को शिकार बना चुका है। गुलदार और भालू के हमले में बीते तीन माह के भीतर बीस से अधिक मवेशी घायल होने के साथ ही मर चुके हैं, जिले में भालू की लगातार बढ़ती सक्रियता के कारण आम जनता परेशान है। दोस्तो रुद्रप्रयाग जनपद में इन दिनों जंगली भालू की दहशत है। जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में भालू की धमक से ग्रामीण जनता परेशान है। भालू इंसानों के साथ ही जानवरों पर भी जानलेवा हमला कर रहे हैं। स्थिति ये है कि कई बार भालू झुंड में भी गांवों में पहुंच रहे हैं। रुद्रप्रयाग जनपद में 128 गांव जंगली जानवरों के हमलों में पाये जाने वाले संवेदनशील गांव घोषित किये गये हैं। बीते तीन माह में भालू की सक्रियता जनपद में अधिक बढ़ी है। अलग क्षेत्रों में भालू ने 15 से अधिक लोगों पर हमला करके घायल किया है, जबकि दोस्तो बीस से अधिक मवेशियों को गुलदार और भालू अभी तक घायल करने के साथ ही मार चुके हैं। गुलदार का भी रुद्रप्रयाग जनपद में लगातार आतंक बना हुआ है। गुलदार अभी तक जनपद के अलग-अलग क्षेत्रों में तीन महिलाओं और एक पुरुष को निवाला बना चुका है। वन विभाग की ओर से अभी तक दो आदमखोर गुलदारों के साथ ही दो भालुओं का भी रेस्क्यू किया जा चुका है।
पिछले साल की तुलना में इस साल भालू की सक्रियता अधिक बढ़ी है। वहीं बात वहीं कार्रवाई की करें, कोई योजना को की बात करें तो प्रभागीय वनाधिकारी कहते हैं कि बीते कुछ समय से वन्य जीव एवं मानव संघर्ष बढ़ा है। भालुओं को जंगल में खाना नहीं मिल रहा है और आबादी वाले क्षेत्रों में वह खुले में छोड़े गये कूड़े की ओर आकर्षित हो रहे हैं। गुलदार भी अधिकतर आवारा पशुओं पर झपट रहे हैं। इन दिनों जनपद में लगातार सर्च अभियान के साथ ही निगरानी रखी जा रही है। गुलदार के हमले में जनपद में अभी तक चार लोगों की मौत हुई है, जबकि भालू के हमले में लगभग 15 लोग घायल हुए हैं। दोस्तो भालू की सक्रियता बढ़ने का मुख्य कारण मौसम परिवर्तन है। समय पर बारिश न होने के साथ ही कम ठंड पड़ना भी भालूओं को आबादी वाले क्षेत्रों की ओर आकर्षित कर रहा है। अक्टूबर के बाद भालू आबादी वाले क्षेत्रों में नहीं आते थे, लेकिन वर्ष लगातार भालू आ रहे हैं। खुले में छोड़े गये कूड़े की ओर भी भालू आकर्षित हो रहे हैं, जबकि जंगलों में उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिल पा रहा है। जंगली जानवरों के आतंक के कारण इन दिनों जनपद के कई हिस्सों में वन विभाग एवं जिला प्रशासन की ओर से स्कूली छात्रों के लिये वाहन की भी व्यवस्था की गई है। रुद्रप्रयाग ही नहीं, बल्कि पहाड़ी इलाकों में मानव और वन्यजीव संघर्ष एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। मौसम परिवर्तन, जंगलों में भोजन की कमी और आबादी क्षेत्रों में फैला कूड़ा जंगली जानवरों को गांवों की ओर खींच रहा है। वन विभाग लगातार निगरानी और रेस्क्यू अभियान चला रहा है, लेकिन सवाल अब भी कायम है—क्या सिर्फ रेस्क्यू से इस समस्या का समाधान संभव है? या फिर जरूरत है एक ठोस और दीर्घकालीन नीति की, ताकि इंसान और जंगल दोनों सुरक्षित रह सकें।