Corbett Tiger Reserve: बाघिन को अब पूरा जीवन पेट में धंसे तार के साथ जीना होगा, चिकित्सकों की टीम ने फंदे को निकालना माना रिस्की

Share

Dehradun News: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ रेंज में तीन महीने पहले जो बाघिन शिकारियों के फंदे से घायल हो गई थी,वह अभी भी रेस्क्यू सेंटर में ही है। हालत यह है कि अब इस बाघिन का अपने प्राकृतिक आवास लौटना भी मुश्किल दिख रहा है। दरअसल, बाघिन के पेट में शिकारियों का फंदा धंस गया था और इसे निकालने में बाघिन की जान जाने का खतरा दिखाई दे रहा है। वन विभाग में पशु चिकित्सकों की टीम ने भी यही माना है और अब फैसला चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन समीर सिन्हा पर छोड़ दिया है। इसी साल यह बाघिन शिकारियों के फंदे में फंस गई थी, जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि यह फंदा बाघिन के पेट में अंदर तक धंस चुका था, लिहाजा आनन-फानन में वन विभाग ने बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर उसे ढेला के रेस्क्यू सेंटर में लाकर रखा और इलाज शुरू कर दिया। इस दौरान चिकित्सकों की एक टीम ने यह जांचना शुरू कर दिया कि बाघिन के पेट में घुस चुका तार निकालना कितना सुरक्षित होगा। अपनी जांच पूरी करने के बाद आखिरकार इस टीम ने अपनी रिपोर्ट चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन कार्यालय को भेज दी है।

रिपोर्ट में साफ है कि यदि इस तार को निकाला गया तो बाघिन की जान को भी खतरा हो सकता है। लिहाजा अंतिम फैसला अब चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन समीर सिन्हा पर छोड़ दिया गया है। वहीं समीर सिन्हा ने बताया कि जिस समय यह रिपोर्ट उनके कार्यालय को भेजी गई, उस समय परिस्थितियों के लिहाज से रिपोर्ट तैयार की गई थी। लिहाजा एक बार फिर वह चिकित्सकों की टीम से बात करके इस पर अंतिम फैसला लेंगे। बताया गया कि जिस बाघिन के पेट में फंदा फंसा था, उसके घायल होने के बाद ब्रीडिंग हुई थी। बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया था, जिन्हें बाघिन ने खुद ही निवाला बना लिया। इस दौरान की स्थितियों के आधार पर चिकित्सकों की तरफ से रिपोर्ट दी गई थी, लेकिन एक बार फिर इस पर विचार किया जा रहा है। वैसे जो रिपोर्ट दी गई है उसके बाद बाघिन का घर लौटना तो मुश्किल ही दिखाई दे रहा है। क्योंकि शिकारी के फंदे में फंसने के बाद बाघिन बुरी तरह घायल हुई है। हालांकि फिलहाल वह पूरी तरह से स्वस्थ है लेकिन जंगल में जाकर फिर से उसके द्वारा शिकार कर पाना अब इस स्थिति में मुश्किल दिखाई दे रहा है।