उत्तराखंड में ऊर्जा निगमों के प्रबंध निदेशकों पर नकेल कसने का सिलसिला जारी है। पहले यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक की वित्तीय पावर से लेकर तबादलों तक पर अधिकार कम किये गये। अब पिटकुल में भी शासन ने बिना अनुमति के तबादले करने पर रोक लगा दी गई है। उत्तराखंड पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड में स्थानांतरण को लेकर शासन में सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने एक आदेश जारी कर हड़कंप मचा दिया है। दरअसल पिटकुल में अब कर्मचारियों और अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए शासन की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। यानी अब शासन की मंजूरी के बिना उत्तराखंड पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड में किसी भी कर्मचारी और अधिकारी का तबादला प्रबंध निदेशक के स्तर पर नहीं किया जा सकता है।
शासन की तरफ से किए गए निर्देशों के क्रम में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि स्थानांतरण सत्र समाप्त होने के पश्चात भी जिस तरह स्थानांतरण की कार्यवाही की जा रही थी वह पूरी तरह गलत थी। शासन के संज्ञान में आया था कि नियमों के खिलाफ स्थानांतरण किए जा रहे हैं। कई बार दिए गए दिशा निर्देशों का भी उल्लंघन किया जा रहा है। मानसून सत्र शुरू होने के बावजूद ऐसी स्थिति में स्थानांतरण किया जाना गलत माना गया। लिहाजा इस संदर्भ में शासन ने आदेश जारी कर कॉरपोरेशन में तबादलों पर बिना शासन की मंजूरी के रोक लगा दी है।
दरअसल, उत्तराखंड में स्थानांतरण सत्र खत्म हो चुका है। इसके बाद अनिवार्य तबादलों के अलावा कोई तबादले नहीं किये जा सकते, लेकिन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अधिकारी कॉरपोरेशन में समय-समय पर स्थानांतरण कर रहे थे, जो कि नियमों का खुला उल्लंघन है। ताज्जुब की बात यह है कि इससे पहले उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड में भी ऐसे ही नियमों का उल्लंघन होने की बात कहकर शासन की तरफ से आदेश किया गया था। उसमें भी प्रबंध निदेशक को पत्र लिखते हुए बिना शासन की मंजूरी के कोई भी स्थानांतरण नहीं किए जाने के आदेश किए गए थे। इससे साफ है कि ऊर्जा निगमों में तमाम स्थितियों पर अब शासन ने सीधा नियंत्रण ले लिया है। हालांकि, ऐसे कितने तबादले किए गए? क्या इन तबादलों को वापस लिया गया? इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है।