National Bravery Award: बालपन में अदम्य साहस का परिचय देने वाले उत्तराखंड के तीन बच्चों का नाम उत्तराखंड राज्य बाल कल्याण परिषद ने राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए दिल्ली भेज दिए हैं। भारतीय बाल कल्याण परिषद की ओर से चयन करने के बाद अदम्य साहस के लिए जनवरी में दिल्ली में पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। उत्तराखंड से इस बार तीन बच्चों के नाम राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए भेजे गए हैं। राज्य बाल कल्याण परिषद ने भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली को जिन बच्चों के नाम भेजे हैं, उसमें रुद्रप्रयाग जिले के नितिन, पौड़ी गढ़वाल के आयुष ध्यानी एवं अमन सुंद्रियाल शामिल हैं।
बता दें, रुद्रप्रयाग के तमिण्ड गांव निवासी नितिन का सामना चंडिका मंदिर जाते हुए रास्ते में गुलदार से हो गया था। अदम्य साहस का परिचय देते हुए नितिन ने गुलदार से न सिर्फ अपनी बल्कि अपने भाई की भी जान बचा ली। घटनाक्रम के अनुसार 18 वर्षीय नितिन 12 जुलाई 2021 की सुबह अपने बड़े भाई सुमित के साथ नारी देवी चंडिका मंदिर महायज्ञ में जा रहा था। रास्ते में पानी के स्रोत से वह पानी पीने लगा इस बीच उसका बड़ा भाई कुछ आगे निकल गया, तभी पहले से घात लगाए बैठा गुलदार नितिन पर झपट गया। नितिन ने गुलदार से संघर्ष में उसके दोनों पंजों को पकड़ लिया, जो लहूलुहान होने के बावजूद अपने जीवन के लिए संघर्ष करता रहा। कुछ देर बाद नितिन का बड़ा भाई मौके पर पहुंच गया और उसने गुलदार पर पत्थर फेंके, इस बीच गुलदार नितिन को छोड़कर उसके भाई की और दौड़ पड़ा। इसी बीच नितिन के हाथ एक छड़ी लगी और उसने गुलदार पर तेजी से घुमाया और शोर मचाना शुरू कर दिया। बच्चे की आवाज सुनकर ग्रामीण पहुंचे तो गुलदार भाग गया।
इसी तरह पौड़ी जिले के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय डुंगरी नैनीडांडा के 9वीं कक्षा के छात्र आयुष ध्यानी और अमन सुंद्रियाल ने स्कूल की प्रधानाध्यापिका के साथ जंगल में लगी आग बुझाकर स्कूल को सुरक्षित बचा लिया। हुआ यूं कि छुट्टी के बाद अपनी प्रधानाध्यापिका मीना को जंगल की आग बुझाते देख आयुष और अमन अपनी जान की परवाह किए बगैर आग बुझाने में जुट गए। रिपोर्ट में बताया गया कि स्कूल जंगल के पास होने से आग का खतरा बना था। राज्य बाल कल्याण परिषद की महासचिव पुष्पा मानस के मुताबिक परिषद ने पुरस्कार के लिए इन बहादुर बच्चों के नाम भेजे गए हैं। पुरस्कार के लिए अंतिम चयन भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली की ओर से किया जाएगा। उत्तराखंड में अबतक कुल 14 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार मिला है।