सुर्खियों में ‘नेगी दा’ का ये गीत, उत्तराखंड में नौकरी के खेल पर नेताओं को लिया आड़े हाथ, आप भी सुने…

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देहरादून: लोक गायक गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी उत्तराखंड के मुद्दों को अपने गीतों से उठाते रहे है। नौ छमी नारेणा जैसे बेबाक गीत के बाद एक बार फिर नेगी दा ने लोकतंत्र और भ्रष्टाचारी नेताओं को आड़े हाथ लिया है। भर्ती घोटालों के बीच गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी का जनगीत आया है। जो तेजी से वायरल हो रहा है। गीत में नेगी दा ने जनसेवा का चोला ओढ़ने वाले नेताओं पर जमकर कटाक्ष किया है। लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी के इस गीत में नेगी दा ने एक बार फिर से मौजूदा सरकार के साथ-साथ पूर्व की सरकारों पर कटाक्ष किया है। इस गीत में नेगी दा गाते हैं कि, ‘हम त प्रजा का प्रजा ही रैग्या लोकतंत्र मा’। जिसका हिंदी में अर्थ है- केवल नेताओं के बच्चे नौकरी के काबिल हैं और प्रजा तो केवल प्रजा है जिसके नौनिहाल किसी काम के नहीं हैं।

इस गीत में उन्होंने कहा है कि तुम जन सेवक राजा व्हैग्या राजा लोकतंत्र मा। जनता सढ़कियों में भ्रष्टाचार से लड़नी, और तुम भ्रष्टाचार में साझा व्हैग्या लोकतंत्र मा। फल फूललू जब राजा हमारू चैन से खाला, फल लगनी काचा खा ग्या लोकतंत्र मा। तुम्हरे ही परिजन छन यख नौकरियां काबिल, हम बल काम न काजा का व्हैग्या लोकतंत्र मा। करनी धरनी कुछ नी तुम बस भौंपू बजौंदा, नेता जी तुम ता बाजा व्हैग्या लोकतंत्र मा। अब न चलण दियोला तुम्हरी धांधलबाजी, अलसे गै छा ताजा व्हैग्या लोकतंत्र मा। अब न चलण दियोला तुम्हरी धांधलबाजी, अलसे गै छा ताजा व्हैग्या लोकतंत्र मा।

अपने इस गीत में नरेंद्र सिंह नेगी ने जन आंदोलन का स्वरूप भी दिया है। जिसमें कहा कि अब हम नेताओं की धांधली और भ्रष्टाचार को नहीं चलने देंगे। अभी तक हम सुस्त थे और अब हम जागरूक हो गए हैं। बता दे, उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कई जनगीत गाए हैं। उन जनगीतों ने उत्तराखंड आंदोलन को एक नई धार दी। राज्य बनने के बाद सत्ता और राजनीति की कुव्यवस्था पर नरेंद्र सिंह नेगी ने गीत लिखे। गौरतलब है कि यूकेएसएसएससी की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर लीक प्रकरण और विधानसभा व सचिवालय में बैकडोर नियुक्तियों को लेकर उत्तराखंड के मैदान से पहाड़ों तक घमासान मचा है। इस बीच नेगी दा का ये गीत खूब पसंद किया जा रहा है।