श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षा बंधन का पवित्र त्योहार मनाया जाएगा। ये त्यौहार भाई-बहन के प्यार का प्रतीक माना जाता है। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई के कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस बार रक्षाबंधन की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लेकिन ज्योतिष के अनुसार भद्रा रहित रक्षाबंधन मनाने का हिंदू धर्म में मान्यता है। ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक विभिन्न पंचांगों के अनुसार रक्षाबंधन की अलग-अलग स्थिति बनी हुई है। लेकिन 30 अगस्त को 10:59 के बाद पूर्णमासी लग रही है, जबकि उसी दिन भद्रा भी लग रहा है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि भद्रा में होलिका दहन और रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता है। भद्राकाल 30 अगस्त को रात्रि 9:02 बजे तक रहेगा, ऐसे में 31 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा।
मान्यता है कि शूर्पणखा ने रावण के हाथों में भद्रा काल में राखी बांधी थी जो रावण के लिए अनिष्ट कारक रहा. ऐसे में भद्रा काल में रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जा सकता। ज्योतिष के अनुसार भद्रा काल में मांगलिक कार्य जैसे मुंडन, विवाह, गृह प्रवेश, तीर्थ स्थलों का भ्रमण, व्यापार आरंभ वर्जित है। इसलिए भद्रा में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। रात्रि में जनेऊ बदलने और रक्षाबंधन का परंपरा नहीं। ज्योतिष के अनुसार 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 10 मिनट तक पूर्णमासी रहेगा, जो भद्रा रहित होगा। ऐसे में 31 अगस्त को सुबह बहनें अपने भाइयों को कलाइयों पर राखी बांध रक्षाबंधन की शुरुआत कर सकती हैं।