देशभर में बाघों को बचाने की मुहिम चल रही है, लेकिन इस मुहिम को लेकर वन अधिकारी-कर्मचारी कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा राजाजी टाइगर रिजर्व में हुई एक घटना से लगाया जा सकता है। यहां से एक बाघिन लापता है। बाघिन को लापता हुए 3 महीने हो गए हैं, उसे तलाशने के लिए स्पेशल टीम बनाई गई है। लाखों रुपये खर्च कर राजाजी पार्क में ट्रैप कैमरा भी लगाए गए हैं, बावजूद इसके अब तक इस बाघिन को ट्रेस नहीं किया जा सका है। ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं। ये मामला इसलिए और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है, क्योंकि इस क्षेत्र में पहले भी एक बाघ लापता हो चुका है, जिसका पता आज तक नहीं लगाया जा सका है। दरअसल, राजाजी टाइगर रिजर्व के दक्षिणी हिस्से में बाघों का कुनबा बढ़ाने की योजना के तहत 24 दिसंबर 2020 में कार्बेट से एक बाघिन को और फिर नौ जनवरी 2021 को एक बाघ मोतीचूर रेंज लाया गया। अभी तीन और बाघ यहां लाए जाने हैं मगर, इस योजना के पहले ही चरण में वन विभाग की पोल खुलने लगी है।
चौंकाने वाली बात यह है कि बाघिन पर लगा रेडियो कॉलर बीते छह माह से काम नहीं कर रहा है। अगर यह काम कर रहा होता तो उसकी लोकेशन तलाशने में कोई दिक्कत नहीं होती। पार्क सूत्रों के मुताबिक बाघिन 20 अगस्त को आखिरी बार कैमरा ट्रैप में दिखी है। पार्क से बाघों के गायब होने का ये पहला मामला नहीं है। करीब दो साल पहले मोतीचूर रेंज से इसी तरह टी वन नाम की बाघिन गायब हो गयी थी, जिसका आज तक कोई भी सुराग नहीं मिल पाया है। इतना ही नहीं कार्बेट पार्क से नौ जनवरी 2021 को लाया गया बाघ भी महीने भर लापता रहा था। बाघ की देखभाल में लगे वन कर्मियों को इस बात की भनक एक हफ्ते बाद लगी। हालांकि कुछ दिन बाद कैमरा ट्रैप में उसकी तस्वीरें दिखी तो पार्क अधिकारियों ने राहत की सांस ली। उधर तीन महीने से लापता बाघिन को लेकर उत्तर प्रदेश के वन विभाग से भी संपर्क किया जा रहा है। पूरे मामले की जानकारी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को भी दी गई है।